जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रोडवेज में महिला परिचालक के लिए चाइल्ड केयर लीव (childcare leave not given female conductor) का प्रावधान नहीं रखने पर आरएसआरटीसी के एमडी, कार्यकारी निदेशक ट्रैफिक और चीफ मैनेजर सहित अन्य से जवाब तलब किया है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश अंबिका योगी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने अधिकारियों को स्पष्ट रूप से बताने को कहा है कि महिला परिचालक को यह सुविधा क्यों नहीं दी जा रही है.
याचिका में अधिवक्ता गोपाल सिंह बारेठ ने अदालत को बताया कि आरएसआरटीसी की महिला कर्मचारियों को दो अलग-अलग कैटेगरी में रखा गया है. पहली कैटेगरी की महिला कर्मचारियों पर सेवा नियम लागू होते हैं और दूसरी कैटेगरी की महिला कर्मचारियों पर स्थाई आदेश, 1965 लागू किया जाता है. याचिका में कहा गया कि सेवा नियम के नियम 74(बी) के तहत महिला कर्मचारी को कुल 730 दिन की चाइल्ड केयर लीव का लाभ दिया जाएगा.
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जबकि स्थाई आदेश के अधीन आने वाली महिला कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं दिया जाता है. याचिका में कहा गया कि उसने अपने दो बीमार बच्चों की देखभाल के लिए रोडवेज से चाइल्ड केयर लीव मांगी थी. लेकिन कार्यकारी निदेशक ने स्थाई आदेश, 1965 में इस संबंध में प्रावधान नहीं होने का हवाला देते हुए इसका लाभ देने से इनकार कर दिया. याचिका में कहा गया कि इस तरह कर्मचारियों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.
असिस्टेंट प्रोफेसर पद के साक्षात्कार में शामिल क्यों नहीं कियाः राजस्थान हाईकोर्ट ने मैनेजमेंट में सेट उतीर्ण होने के बावजूद व्यावसायिक प्रशासन विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर पद के साक्षात्कार में शामिल नहीं करने पर प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव और कॉलेज शिक्षा आयुक्त सहित आरपीएससी से जवाब मांगा है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश नम्रता की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि कॉलेज शिक्षा विभाग में दिसंबर 2020 में अलग-अलग विषय के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर पद की भर्ती निकाली गई थी. जिसमें याचिकाकर्ता ने व्यावसायिक प्रशासन विषय के लिए आवेदन किया और लिखित परीक्षा भी पास कर ली. वहीं उसे यह कहते हुए साक्षात्कार में शामिल नहीं किया गया कि उसने इस विषय में नेट या सेट नहीं किया है. याचिका में कहा गया कि उसने मैनेजमेंट में सेट किया है और व्यावसायिक प्रशासन भी इसकी शाखा में आता है. ऐसे में उसे चयन प्रक्रिया में शामिल किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ता को साक्षात्कार में शामिल करने को कहा है.