जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने डॉ. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर भर्ती विज्ञापन जारी करने के मामले में अधिकारियों से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव, चांसलर जरिए प्रमुख सचिव, सर्च कमेटी चेयरमैन और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस सुरेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश प्रोफेसर केबी अग्रवाल की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता सुनील समदड़िया ने अदालत को बताया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय में अधिनियम 2019 की धारा 11 में कुलपति की नियुक्ति और योग्यता आदि के बारे में प्रावधान किए गए हैं. वहीं धारा 11(17) में विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति की नियुक्ति को लेकर प्रावधान है. जिसमें कहा गया कि विवि के चांसलर विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति की नियुक्ति राज्य सरकार से राय लेकर करेगा. इसके लिए उसे धारा 11 में बताई प्रक्रिया का पालन करने की जरूरत नहीं रहेगी.
याचिका में कहा गया कि डॉ. देवस्वरूप को 27 फरवरी 2020 को विश्वविद्यालय में बतौर प्रथम कुलपति नियुक्त किया गया था. हाईकोर्ट ने 24 फरवरी 2023 को आदेश जारी कर डॉ. देव स्वरूप को इस नियुक्ति के लिए अपात्र मानते हुए उन्हें पद से हटा दिया था. ऐसे में चांसलर को धारा 11(17) के तहत विश्वविद्यालय में प्रथम वीसी की नियुक्ति राज्य सरकार से राय लेकर करनी थी, लेकिन सर्च कमेटी की ओर से विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने गत 19 जनवरी को भर्ती विज्ञापन जारी कर 17 मई को संशोधित विज्ञापन जारी किया. ऐसे में यह धारा 11(17) के खिलाफ है. इसलिए इस भर्ती विज्ञापन को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ में संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. गौरतलब है कि देवस्वरूप ने दिसंबर, 2022 में पद से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद हाइकोर्ट ने उन्हें नियुक्ति के लिए अपात्र मानते हुए नियुक्ति को रद्द कर दिया था.