जयपुर. प्रदेश में गहलोत सरकार ने शहरी रोजगार के साथ ग्रामीण रोजगार को भी 125 दिन अनिवार्य कर दिया है. सरकार बदलने के साथ योजना नहीं बदले, इसलिए सरकार इसी विधानसभा सत्र में रोजगार गारंटी कानून भी लेकर आ रही है. सरकार के इस कानून से राजस्थान का एक बड़ा तबका नाखुश है. वह तबका है राजस्थान की कला संस्कृति को जीवंत रखने वाला और आगे बढ़ाने वाला 'कलाकार वर्ग'. अब ये कलाकार वर्ग सरकार से मांग कर रहा है कि मनरेगा में गड्ढे या शहर में बेलदारी नहीं करनी. मुख्यमंत्री लोक कलाकार प्रोत्साहन योजना के तहत लोक कलाकारों को 100 दिन के रोजगार को उनकी कला के क्षेत्र में कानूनी रूप से रोजगार देने के लिए विधानसभा में बिल लेकर आएं.
स्किम नहीं, कानूनी हक चाहिएः राज्य सरकार प्रदेश के पर्यटन और लोक कलाकारों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री लोक कलाकार प्रोत्साहन योजना के तहत लोक कलाकारों को सामाजिक सुरक्षा और 100 दिन के रोजगार की स्कीम इस वर्ष बजट सत्र में लेकर आई थी. सामाजिक संगठनों की मांग है कि जब तक कानून नही बनेगा, तब तक योजनाओं से कुछ नहीं होगा. सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री लोक कलाकार प्रोत्साहन योजना शुरू की गई. लोक कलाकारों के रोजगार की समस्या को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा 2023-24 के तहत 'मुख्यमंत्री लोक कलाकार प्रोत्साहन योजना' शुरू की है. इससे प्रदेश के लोक कलाकारों को प्रोत्साहित करने के साथ ही प्रदेश की लोक संस्कृति और परम्पराओं को बढ़ावा देने की अनूठी पहल मानी जा सकती है, लेकिन योजनाओं से काम नहीं चलेगा. योजनाओं को जब तक कानूनी रूप नहीं दिया जाएगा, तब तक ये कहना कि कलाकारों का भविष्य सुधर रहा है ये बेमानी होगा.
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न्यूनतम 500 मिलेंगेः निखिल ने कहा सरकार शहरी और ग्रामीण रोजगार कानून के तहत 125 दिन के रोजगार की गारंटी दे रही है. इसके लिए इस बार विधानसभा में बिल भी लाया जा है. हम मांग कर रहे हैं कि इसी तरह से लोक कलाकारों के लिए भी न्यूनतम आय का कानून बने. हर कलाकार को साल में 100 दिन काम मिले. वो कलाकार हैं, इसलिए मनरेगा गड्ढे खोदने नहीं जा सकते, शहरों में चोखटी पर खड़ा होकर बेलदारी का इंतजार नहीं कर सकता. कलाकार का एक सम्मान है, उसे उसके ही कला के क्षेत्र में काम मिले, जिसका न्यूनतम भुगतान 500 रुपए हो. निखिल डे ने कहा कि 100 दिन के रोजगार की गारंटी मांगने के लिए जल्द ही राजधानी जयपुर में प्रदेश के कलाकार रैली निकालने वाले हैं. हमारी संस्कृति और हमें एक पहचान देने वाले इन कलाकारों के लिए सामाजिक सुरक्षा का कानून बने, इसके लिए हम राजस्थान की आम आवाम को भी आमंत्रित करे रहे हैं.
कलाकारों से राजस्थान की पहचानः कलाकारों के सुधार के क्षेत्र में काम कर रहे हैं पारस बंजारा ने कहा कि कलाकारों की वजह से राजस्थान को पहचाना जाता है. यहां की लोक कला देश-दुनिया में प्रसिद्ध है. लंबे समय से मांग चल रही है लोक कलाकारों को उनकी कला की पहचान मिले. लम्बी लड़ाई के बाद 'मुख्यमंत्री लोक कलाकार प्रोत्साहन योजना' के जरिए अब उन्हें वो पहचना जरूर मिली है, लेकिन इस योजना में अभी भी कई सुधारों की आवश्यकता है. इस योजना को कानूनी रूप दिया जाए, नहीं तो सरकारें बदलने के साथ योजना बंद हो जाती हैं. साथ ही इस योजना में एक परिवर के एक कलाकार को 100 दिन के काम का अधिकार है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. हर कलाकार को 100 दिन का काम मिले. उन्होंने कहा कि योजना कानूनी रूप ले, ताकि कलाकारों को कला के क्षेत्र में काम मिलता रहे. पारस ने कहा कि हर व्यक्ति की अपनी क्षमता होती है. इसलिए हम मांग कर रहे हैं कि कलाकार को उसकी दक्षता के साथ 100 दिन के काम की गारंटी मिले.
100 दिन का अवसर मिलेगाः प्रदेश में एक अनुमान के मुताबिक करीब पौने दो लाख लोक कलाकार हैं, जिसमें करीब एक दर्जन जातियां शामिल हैं. जिनका पारम्परिक काम कला को प्रदर्शित करना है. इसमें लंगा, कालबेलिया, बंजारा, ठोली, भील सहित अन्य जातियां शामिल हैं. राजस्थान में इन लोक कलाकार के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2023-24 में 'मुख्यमंत्री लोक कलाकार प्रोत्साहन योजना' की घोषणा की थी. मुख्यमंत्री लोक कलाकार प्रोत्साहन योजना के तहत राज्य सरकार प्रति कलाकार परिवार को लोक वाद्य यंत्र खरीदने के लिए 5 हजार रुपए की आर्थिक सहायता और 100 दिन के स्टेज शो करने का अवसर भी उपलब्ध कराएगी. साथ ही योजना अंतर्गत लोक कलाकारों को लोक कलाकार प्रोत्साहन कार्ड दिया जा रहा है. यह कार्ड कला प्रदर्शन अवसर प्राप्त करने के लिए कलाकारों का प्राथमिक दस्तावेज होगा.