जयपुर. चुनावी साल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक के बाद एक ताबड़तोड़ घोषणाएं कर रहे हैं और इसके जरिए कांग्रेस की सियासी जमीन को मजबूत करने की जुगत में लगे हैं. पहले महिलाओं, गिग वर्कर्स और कर्मचारियों के लिए सीएम ने घोषणा की. उसके बाद तीन नए जिलों का तोहफा और अब 8 विभिन्न बोर्डों के गठन को स्वीकृति देकर उन्होंने जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है.
8 बोर्डों के गठन को स्वीकृति - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दी गई स्वीकृति के अनुसार इन नवगठित बोर्ड्स में राजस्थान राज्य राजा बली कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य वाल्मिकी कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य मेघवाल कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य पुजारी कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य केवट कल्याण (मां पूरी बाई कीर) बोर्ड, राजस्थान राज्य जाटव कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य धाणका कल्याण बोर्ड व राजस्थान राज्य चित्रगुप्त कायस्थ कल्याण बोर्ड शामिल हैं. सभी बोर्ड संबंधित वर्गों की स्थिति का जायजा लेने, प्रमाणिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वर्गों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने और उनके पिछड़ेपन को दूर करने के सुझाव राज्य सरकार को देंगे.
इसे भी पढ़ें - Caste census in Rajasthan: राजस्थान में बिहार की तर्ज पर होगी जातिगत जनगणना, गहलोत बोले-जल्द जारी करेंगे आदेश
इन बोर्डों की ओर से संबंधित वर्ग के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं प्रस्तावित करने, उनके लिए वर्तमान में संचालित विभिन्न योजनाओं के संबंध में विभिन्न विभागों से समन्वय करने, परंपरागत व्यवसाय को वर्तमान तौर-तरीकों से आगे बढ़ाने, रोजगार को बढ़ावा देने के साथ शैक्षिक और आर्थिक उन्नयन के संबंध में सुझाव दिए जाएंगे. साथ ही सामाजिक बुराइयों व कुरीतियों के विरूद्ध ठोस उपाय करने सहित अन्य सुझाव भी राज्य सरकार को प्रस्तुत किए जाएंगे.
इन सभी बोर्ड में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन सदस्य सहित 5-5 गैर-सरकारी सदस्य होंगे. इसके अलावा राज्य के विभिन्न विभागों के शासन सचिव, आयुक्त, निदेशक, संयुक्त निदेशक व उप निदेशक स्तर के अधिकारी सरकारी सदस्य होंगे. साथ ही अतिरिक्त राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति व जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड या राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक स्तर के अधिकारी व प्रतिनिधि इसमें विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे.