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गहलोत-पायलट के झगड़े के बीच सह प्रभारी बना रहे हैं प्रत्याशियों के रिपोर्ट कार्ड, कट सकते हैं विधायकों के टिकट

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Published : Jun 3, 2023, 9:46 AM IST

Updated : Jun 3, 2023, 10:05 AM IST

प्रदेश में गहलोत-पायलट के झगड़े के बीच सह प्रभारी सर्वे में व्यस्त हैं. साथ ही वे प्रत्याशियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रहे हैं. यदि रिपोर्ट खराब आयी तो विधायकों के टिकट भी कट सकते हैं. इस बार लोग सरकार के बजाय लोकल विधायकों से ज्यादा नाराज हैं.

सह प्रभारी अमृता धवन
सह प्रभारी अमृता धवन
सह प्रभारी अमृता धवन

जयपुर. राजस्थान में एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सियासी रस्साकशी जारी है और दूसरी तरफ दोनों नेताओं के बीच सुलह के फार्मूले का इंतजार हो रहा है. बहरहाल ऐसा लग रहा है कि राजस्थान में एक तरफ गहलोत और पायलट समर्थित विधायकों और नेताओं का भविष्य दोनों नेताओं के बीच ही फंसा हुआ है. परंतु विधानसभा चुनाव में टिकट में केवल गहलोत और पायलट ही निर्णायक भूमिका में रहेंगे ऐसा नहीं लग रहा है क्योंकि कांग्रेस पार्टी राजस्थान में अपना चुनावी माइक्रोमैनेजमेंट शुरू कर चुकी है. विधानसभा में किस नेता को बेहतर परफॉर्मेंस के आधार पर दोबारा टिकट मिले, किस वर्तमान विधायक या प्रत्याशी के प्रति जनता में नाराजगी है इसका पता लगाकर दूसरे नेताओं को मौका देने का काम शुरू हो चुका है.

सह प्रभारी सर्वे की रिपोर्ट के लिए सीधे क्षेत्र में जाकर ले रहे हैं फीडबैक, दोनों रिपोर्ट हुई असमान तो टिकट कटना तय : राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार कैसे रिपीट करे, इसको जानने के लिए तीनों सह प्रभारी अपने-अपने जिलों में लगातार कैंप कर रहे हैं. विधायकों के साथ साथ प्रत्याशियों का फीडबैक भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से सीधे ले रहे हैं. सह प्रभारी अपने पास पहले से मौजूद सर्वे रिपोर्ट और अपने फीडबैक के अनुसार एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. यही रिपोर्ट तय करेगी कि किस विधायक या टिकट मांग रहे प्रत्याशी के जीतने के कितने आसार हैं. उसी के आधार पर उस क्षेत्र के प्रत्याशी तय किए जाएंगे.

सरकार नहीं विधायकों के खिलाफ नाराजगी, विधायकों के कट सकते हैं टिकट : राजस्थान में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में एक बात की सर्वाधिक चर्चा है कि सरकार के कामकाज इस बार बेहतरीन रहे हैं, लेकिन क्षेत्र के कुछ विधायकों के प्रति नाराजगी बनी हुई है. यही कारण है कि विधायकों का रिपोर्ट कार्ड अलग अलग स्तरों पर तैयार किया जा रहा है. जिस विधायक के प्रति anti-incumbency होगी उसका टिकट काटने में पार्टी संकोच नहीं करेगी. हालांकि पार्टी चाहती है कि जिन नेताओं के टिकट कटे उन्हें नाराज करने के बजाय उन्हें साथ लेकर चुनाव मैदान में उतरा जाए. इसी के चलते विधायकों को भी अवगत कराया जा रहा है कि सर्वे में उनके प्रति लोगों का क्या फीडबैक है. अगर आगे होने वाले सर्वे में भी नतीजा यही रहा तो उनका टिकट कट सकता है. ऐसा करके विधायकों को क्षेत्र में अपना परफॉर्मेंस सुधारने का मौका दिया जा रहा है ताकि जब टिकट कटे तो बगावत का खतरा कम से कम हो.

पढ़ें डिनर के बाद पैदल वॉक पर निकले मुख्यमंत्री गहलोत, आइसक्रीम खाते हुए आमजन से किया संवाद

सह प्रभारी अमृता धवन

जयपुर. राजस्थान में एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सियासी रस्साकशी जारी है और दूसरी तरफ दोनों नेताओं के बीच सुलह के फार्मूले का इंतजार हो रहा है. बहरहाल ऐसा लग रहा है कि राजस्थान में एक तरफ गहलोत और पायलट समर्थित विधायकों और नेताओं का भविष्य दोनों नेताओं के बीच ही फंसा हुआ है. परंतु विधानसभा चुनाव में टिकट में केवल गहलोत और पायलट ही निर्णायक भूमिका में रहेंगे ऐसा नहीं लग रहा है क्योंकि कांग्रेस पार्टी राजस्थान में अपना चुनावी माइक्रोमैनेजमेंट शुरू कर चुकी है. विधानसभा में किस नेता को बेहतर परफॉर्मेंस के आधार पर दोबारा टिकट मिले, किस वर्तमान विधायक या प्रत्याशी के प्रति जनता में नाराजगी है इसका पता लगाकर दूसरे नेताओं को मौका देने का काम शुरू हो चुका है.

सह प्रभारी सर्वे की रिपोर्ट के लिए सीधे क्षेत्र में जाकर ले रहे हैं फीडबैक, दोनों रिपोर्ट हुई असमान तो टिकट कटना तय : राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार कैसे रिपीट करे, इसको जानने के लिए तीनों सह प्रभारी अपने-अपने जिलों में लगातार कैंप कर रहे हैं. विधायकों के साथ साथ प्रत्याशियों का फीडबैक भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से सीधे ले रहे हैं. सह प्रभारी अपने पास पहले से मौजूद सर्वे रिपोर्ट और अपने फीडबैक के अनुसार एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. यही रिपोर्ट तय करेगी कि किस विधायक या टिकट मांग रहे प्रत्याशी के जीतने के कितने आसार हैं. उसी के आधार पर उस क्षेत्र के प्रत्याशी तय किए जाएंगे.

सरकार नहीं विधायकों के खिलाफ नाराजगी, विधायकों के कट सकते हैं टिकट : राजस्थान में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में एक बात की सर्वाधिक चर्चा है कि सरकार के कामकाज इस बार बेहतरीन रहे हैं, लेकिन क्षेत्र के कुछ विधायकों के प्रति नाराजगी बनी हुई है. यही कारण है कि विधायकों का रिपोर्ट कार्ड अलग अलग स्तरों पर तैयार किया जा रहा है. जिस विधायक के प्रति anti-incumbency होगी उसका टिकट काटने में पार्टी संकोच नहीं करेगी. हालांकि पार्टी चाहती है कि जिन नेताओं के टिकट कटे उन्हें नाराज करने के बजाय उन्हें साथ लेकर चुनाव मैदान में उतरा जाए. इसी के चलते विधायकों को भी अवगत कराया जा रहा है कि सर्वे में उनके प्रति लोगों का क्या फीडबैक है. अगर आगे होने वाले सर्वे में भी नतीजा यही रहा तो उनका टिकट कट सकता है. ऐसा करके विधायकों को क्षेत्र में अपना परफॉर्मेंस सुधारने का मौका दिया जा रहा है ताकि जब टिकट कटे तो बगावत का खतरा कम से कम हो.

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Last Updated : Jun 3, 2023, 10:05 AM IST
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