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BJP CM Face : कल छत्तीसगढ़, आज एमपी तो राजस्थान कब ? पर्यवेक्षकों की लैंडिंग के इंतजार में भाजपा विधायक

Rajasthan CM Face, भारतीय जनता पार्टी और राजस्थान को बेसब्री से प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के नाम का इंतजार है. जाति, सर्वमान्य चेहरे और अनुभव के साथ-साथ केंद्र की पसंद जैसे पैमाने नए सीएम फेस के लिए सबके सामने है, लेकिन असल मसला नाम की घोषणा से पहले गुटबाजी पर विराम का है, जो फिलहाल मेल मुलाकातों के दौर में परवान चढ़ रहा है.

BJP Observer Appointed
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 11, 2023, 10:48 AM IST

जयपुर. राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? औपचारिक रूप से इस बात की घोषणा, पर्यवेक्षक आने के बाद विधायक दल की बैठक के दौरान करेंगे. लगातार केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के आने के कयास इस इंतजार को बढ़ते जा रहे हैं. अब मान जा रहा है कि मंगलवार यानी 12 दिसंबर को पार्टी विधायक दल की बैठक के बाद नए मुख्यमंत्री का नाम तय हो जाएगा.

गौरतलब है कि 10 तारीख रविवार को छत्तीसगढ़, आज 11 तारीख सोमवार को मध्य प्रदेश में भाजपा की ओर से सीएम फेस की घोषणा का एक सिलसिला बनेगा, जो मंगलवार तक बरकरार रह सकता है. ऐसे में अभी तक अपने-अपने क्षेत्र में बने रहे विधायक अब राजधानी का रुख कर रहे हैं, ताकि मुख्यमंत्री चयन के इस यज्ञ में आहुति की गुंजाइश पर, वह अपनी भूमिका अदा कर सके. भाजपा के सूत्र कहते हैं कि हाई कमान ने हालांकि व्यक्तिगत मेल मुलाकातों को तवज्जो से बाहर रखने की बात कही है. पर स्थानीय समीकरण के आगे निर्वाचित विधायक अपने-आप ने नेता की तलाश में जुटे हैं. इधर राजनाथ सिंह के पहुंचने के इंतजार के बीच विनोद तावडे और सरोज पांडे भी राजस्थान में लैंडिंग का इंतजार कर रहे हैं.

पढ़ें : राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन? तीनों राज्यों के पर्यवेक्षक नियुक्त, राजस्थान में ये संभालेंगे मोर्चा

13 सिविल लाइंस हलचल का केंद्र : 2013 से लेकर 2018 तक जयपुर के वीवीआईपी एरिया के 13 नंबर बंगले पर राजस्थान की सियासत केंद्रित रही थी. एक बार फिर 8 सिविल लाइंस (मुख्यमंत्री आवास) से करीब 300 मीटर की दूरी पर स्थित 13 सिविल लाइंस (वसुंधरा राजे का बंगले) में हलचल प्रदेश की राजनीति के केंद्र को इंगित कर रही है. बंगले के दरवाजे से आने जाने वाली गाड़ियों के चेहरे बता रहे हैं कि भाजपा की खेमे में कितनी बेचैनी बढ़ रही है. रविवार को भी वसुंधरा राजे के बंगले पर पहुंचने वाले विधायकों की कतार लंबी रही.

अंदरखाने लॉबिंग के अंदेशे में एमएलए वरिष्ठ नेताओं तक पहुंच रहे हैं. इनमें 13 सिविल लाइंस पहुंचे बाबू सिंह राठौड़, अजय सिंह किलक, बहादुर सिंह कोली, अर्जुन लाल गर्ग, संजीव बेनीवाल, कालीचरण सराफ, अर्जुन लाल गर्ग और जगत सिंह भी राजे से मिले. इसके अलावा पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी अपने पोते और नवनिर्वाचित विधायक अंशुमान भाटी को लेकर भी राजे से मिलने पहुंचे. वहीं, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी और राजपाल शेखावत भी राजे से मिलने उनके निवास पहुंचे.

इस बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर से विधायक संदीप शर्मा, जवाहर सिंह बेडम, गोपाल खंडेलवाल, लादूलाल पितलिया, उदयलाल डांगी, उदय लाल भडाना, देवेन्द्र जोशी, अतुल भंसाली, जेठानन्द व्यास, रामसहाय वर्मा, शत्रुघ्न गौतम, श्रीचंद कृपलानी, शंकर डेचा, जगत सिंह, कैलाश मीणा, कंवर लाल मीणा और महेन्द्र पाल मीणा ने मुलाकात की.

भाजपा नेताओं की यह सफाई : नए मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर बीजेपी के नेता 2018 में कांग्रेस की बारी आने पर 16 दिन की मशक्कत का हवाला देकर कह रहे हैं कि बीजेपी अपना काम कांग्रेस से कम वक्त में पूरा कर लेगी. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की खींची लकीर पर अब बाकी नेता भी बयान देकर नीति की ओर इशारा कर रहे हैं, ऊपर से 16 तारीख पहले मलमास के चलते शुभ मुहूर्त का जोर भी हावी होगा. ऐसे में दिल्ली से उन नेताओं पर भी नजर बनाई गई है जो लगातार प्रदेश में गुटबाजी की संभावना को हवा दे रहे हैं.

जयपुर. राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? औपचारिक रूप से इस बात की घोषणा, पर्यवेक्षक आने के बाद विधायक दल की बैठक के दौरान करेंगे. लगातार केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के आने के कयास इस इंतजार को बढ़ते जा रहे हैं. अब मान जा रहा है कि मंगलवार यानी 12 दिसंबर को पार्टी विधायक दल की बैठक के बाद नए मुख्यमंत्री का नाम तय हो जाएगा.

गौरतलब है कि 10 तारीख रविवार को छत्तीसगढ़, आज 11 तारीख सोमवार को मध्य प्रदेश में भाजपा की ओर से सीएम फेस की घोषणा का एक सिलसिला बनेगा, जो मंगलवार तक बरकरार रह सकता है. ऐसे में अभी तक अपने-अपने क्षेत्र में बने रहे विधायक अब राजधानी का रुख कर रहे हैं, ताकि मुख्यमंत्री चयन के इस यज्ञ में आहुति की गुंजाइश पर, वह अपनी भूमिका अदा कर सके. भाजपा के सूत्र कहते हैं कि हाई कमान ने हालांकि व्यक्तिगत मेल मुलाकातों को तवज्जो से बाहर रखने की बात कही है. पर स्थानीय समीकरण के आगे निर्वाचित विधायक अपने-आप ने नेता की तलाश में जुटे हैं. इधर राजनाथ सिंह के पहुंचने के इंतजार के बीच विनोद तावडे और सरोज पांडे भी राजस्थान में लैंडिंग का इंतजार कर रहे हैं.

पढ़ें : राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन? तीनों राज्यों के पर्यवेक्षक नियुक्त, राजस्थान में ये संभालेंगे मोर्चा

13 सिविल लाइंस हलचल का केंद्र : 2013 से लेकर 2018 तक जयपुर के वीवीआईपी एरिया के 13 नंबर बंगले पर राजस्थान की सियासत केंद्रित रही थी. एक बार फिर 8 सिविल लाइंस (मुख्यमंत्री आवास) से करीब 300 मीटर की दूरी पर स्थित 13 सिविल लाइंस (वसुंधरा राजे का बंगले) में हलचल प्रदेश की राजनीति के केंद्र को इंगित कर रही है. बंगले के दरवाजे से आने जाने वाली गाड़ियों के चेहरे बता रहे हैं कि भाजपा की खेमे में कितनी बेचैनी बढ़ रही है. रविवार को भी वसुंधरा राजे के बंगले पर पहुंचने वाले विधायकों की कतार लंबी रही.

अंदरखाने लॉबिंग के अंदेशे में एमएलए वरिष्ठ नेताओं तक पहुंच रहे हैं. इनमें 13 सिविल लाइंस पहुंचे बाबू सिंह राठौड़, अजय सिंह किलक, बहादुर सिंह कोली, अर्जुन लाल गर्ग, संजीव बेनीवाल, कालीचरण सराफ, अर्जुन लाल गर्ग और जगत सिंह भी राजे से मिले. इसके अलावा पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी अपने पोते और नवनिर्वाचित विधायक अंशुमान भाटी को लेकर भी राजे से मिलने पहुंचे. वहीं, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी और राजपाल शेखावत भी राजे से मिलने उनके निवास पहुंचे.

इस बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर से विधायक संदीप शर्मा, जवाहर सिंह बेडम, गोपाल खंडेलवाल, लादूलाल पितलिया, उदयलाल डांगी, उदय लाल भडाना, देवेन्द्र जोशी, अतुल भंसाली, जेठानन्द व्यास, रामसहाय वर्मा, शत्रुघ्न गौतम, श्रीचंद कृपलानी, शंकर डेचा, जगत सिंह, कैलाश मीणा, कंवर लाल मीणा और महेन्द्र पाल मीणा ने मुलाकात की.

भाजपा नेताओं की यह सफाई : नए मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर बीजेपी के नेता 2018 में कांग्रेस की बारी आने पर 16 दिन की मशक्कत का हवाला देकर कह रहे हैं कि बीजेपी अपना काम कांग्रेस से कम वक्त में पूरा कर लेगी. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की खींची लकीर पर अब बाकी नेता भी बयान देकर नीति की ओर इशारा कर रहे हैं, ऊपर से 16 तारीख पहले मलमास के चलते शुभ मुहूर्त का जोर भी हावी होगा. ऐसे में दिल्ली से उन नेताओं पर भी नजर बनाई गई है जो लगातार प्रदेश में गुटबाजी की संभावना को हवा दे रहे हैं.

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