जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 10 फरवरी को अपना आखिरी बजट पेश करेंगे. इस बजट से कर्मचारियों को खासा उम्मीदें हैं. खासकर महिला कर्मचारियों लग रहा था कि सरकार इस बार पीरियड्स लीव या पीरियड्स के दौरान वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे सकती है, लेकिन बजट से पहले ही इन महिला कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है. विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में गहलोत सरकार ने साफ कर दिया कि वर्क फ्रॉम होम का सुझाव जरूर आया है, लेकिन सरकार अभी इस पर किसी तरह की कोई सुविधा देने का विचार नहीं कर रही है.
ये लगे 2 सवाल : विधानसभा में बामनवास से कांग्रेस विधायक इंद्रा मीणा ने 31 जनवरी को 2 सवाल लगाए थे. जिसका जवाब सरकार की ओर दिया गया है. सवाल के जवाब ने प्रदेश की ढाई लाख महिला कर्मचारियों को झटका दिया है.
पहला सवाल : क्या यह सही है कि सरकार को प्रदेश में सरकारी कार्यालयों में कार्यरत महिला कार्मिकों को पीरियड्स के दौरान वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देने के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं? इसके जवाब में सरकार ने कहा कि प्रदेश में सरकारी कार्यालयों में कार्यरत महिला कार्मिकों को पीरियड्स के दौरान वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है.
दूसरा सवाल : क्या सरकार महिला कार्मिकों को पीरियड्स के दौरान वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देने के आदेश जारी करने का विचार रखती है ? इसपर सरकार ने जवाब दिया कि प्रदेश में सरकारी कार्यालयों में कार्यरत महिला कार्मिकों को पीरियड्स के दौरान वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दिए जाने पर वर्तमान में कोई विचार नहीं है.
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समाज कल्याण बोर्ड ने रखी थी मांग: 8 जनवरी को राज्य समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष अर्चना शर्मा ने बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव तैयार कर गहलोत सरकार को भेजा था, जिसमें बोर्ड ने सरकार से सेवा नियमों में बदलाव करके वर्क फ्रॉम होम का प्रावधान जोड़ने का सुझाव दिया था. अर्चना शर्मा ने कहा था कि कई बार महिलाओं को पीरियड्स के चलते काम करने में दिक्कत आती है. ऐसे में बोर्ड पीरियड्स लीव की तो मांग नहीं करता, लेकिन महिलाओं को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा पीरियड्स के दौरान मिले. इसका प्रस्ताव तैयार करके सरकार को भेजा है, उम्मीद है कि सरकार बजट में इसे लागू करेगी.
राजमेक्स ने किया था विरोध : राज्य समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष अर्चना शर्मा के वर्क फ्रॉम होम के प्रस्ताव का राज्य महिला अधिकारी - कर्मचारी महासंघ ने विरोध किया था. हालांकि, कुछ विभागों की महिला कर्मचारियों ने लीव और वर्क फ्रॉम होम की सुविधा को सही बताया था. साथ ही उम्मीद जताई थी कि इस बजट में सरकार इस पर घोषणा करेगी. वहीं, ईटीवी भारत से खास बातचीत में राजमेक्स की अध्यक्ष विजेता चारण में कहा था सरकार अगर महिला कर्मचारियों और अधिकारियों के बारे में विचार करती है तो उन्हें वर्क फ्रॉम होम न देकर वर्क प्लेस पर ही सुविधाओं को बेहतर करें. उन्होंने कहा था कि पीरियड्स लीव या पीरियड्स के दौरान वर्क फ्रॉम होम देने से महिलाओं को लेकर एक ऑफिस या सोसायटी में अलग तरह का गलत मैसेज जायेगा. उन्होंने कहा था कि बड़ी मुश्किल से महिलाएं घर से बाहर निकल काम पर आने लगी. इस तरह से लीव या वर्क फ्रॉम होम देने से वो फिर से पीछे चली जाएंगी.