जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आगामी 10 फरवरी को अपने तीसरे कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करेंगे. माना जा रहा है कि गहलोत का बजट करीब दो लाख 65 हजार करोड़ का होगा. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके साथ ही राजस्थान पर कर्ज भी करीब पांच लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा. वहीं, अगर बात करें प्रदेश के पहले बजट की तो एकीकृत राजस्थान का पहला बजट कांग्रेस के दिग्गज जाट नेता नाथूराम मिर्धा ने वित्त मंत्री के तौर पर 4 अप्रैल, 1952 को पेश किया था. मिर्धा ने अपने पहले बजट में जनता पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया था. साथ ही उनकी ज्यादातर घोषणा सिंचाई, पेयजल और सूखे से निपटने के साथ ही कानून-व्यवस्था और वित्त प्रबंधन पर केंद्रित की थी.
पहले बजट में प्रदेश में राजस्व प्राप्ति 16 करोड़ 32 लाख 18 रुपए की थी. वहीं खर्च 17 करोड़ 25 लाख 66 रुपए था. इस बजट में 29 लाख रुपए कर्ज के खर्च के तौर पर रखे गए थे और सबसे ज्यादा बजट इरीगेशन 90 लाख 75 हजार, पुलिस दो करोड़ 80 लाख, एजुकेशन दो करोड़ 50 लाख, मेडिकल हेल्थ एक करोड़ 51 लाख और कृषि के लिए 17 लाख 91 हज़ार रखा गया था.
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इसी तरह से राजस्व की बात करें तो पहले बजट में इनकम टैक्स के तौर पर 28 लाख 25 हजार, स्टेट एक्साइज से 2 करोड़ 90 लाख, लैंड रिवेन्यू से 3 करोड़ 76 लाख 30 रुपए, सिंचाई से 10 लाख 25 हजार, सिविल एडमिनिस्ट्रेशन से 1 करोड़ 33 लाख 45 रुपए, अन्य टैक्स एंड ड्यूटीज से 3 करोड़ 76 लाख और नॉन टैक्स रिवेन्यू के तौर पर 4 करोड़ 10 लाख 93 रुपए की प्राप्ति हुई थी. ऐसे में पहले बजट में भी कुल प्राप्ति 16 करोड़ 32 लाख 18 रुपए के मुकाबले खर्चे 17 करोड़ 25 लाख 66 रुपए थे.
अबकी पेश होगा करीब 2 लाख 65 हजार करोड़ का बजट - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 10 फरवरी को जो बजट पेश करने जा रहे हैं, उसका साइज पहले बजट से कई हजार गुना ज्यादा बड़ा है. साथ ही इसके करीब 265000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. वहीं, गहलोत सरकार पर साल 2022 के सितंबर माह तक 4 लाख 79 हजार 103 करोड़ का ऋण था, जिसके बढ़कर करीब पांच लाख करोड़ तक पहुंचने की संभावना है.
सरकार बदलती गई और बढ़ता गया कर्ज - 2007-08 में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थी और जब उन्होंने गहलोत को सत्ता सौंपी तो उस समय प्रदेश पर 77137.79 करोड़ का कर्ज भार था. वहीं, 2013-14 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब सत्ता से हटे और राजे सीएम बनी तो उस समय कर्ज 1 लाख 29 हजार 910.13 करोड़ हो गया था. हालांकि प्रदेश पर बढ़ते कर्ज का सिलसिला यहीं नहीं रुका. साल 2018-19 में वसुंधरा राजे ने फिर गहलोत को सत्ता सौंपी तो उस समय प्रदेश पर कुल खर्च 3 लाख 11 हजार 373.56 करोड़ हो गया था और अब गहलोत जब इस कार्यकाल के अंतिम बजट को पेश करने जा रहे तो सितम्बर तक 4 लाख 79 हजार 103 करोड़ हो चुका कर्ज करीब 5 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा.
15 साल में 6 गुना से ज्यादा बढ़ा ब्याज भार - 2007-08 में जब वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थी तो उस समय राजस्थान 5942.99 करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर दे रहा था. 2013-14 में जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे और भाजपा को कुर्सी सौंपी तो उस समय 8928.65 करोड़ रुपए ब्याज के रूप में भुगतान किए जा रहे थे. वहीं, 2018-19 में जब राजे ने कुर्सी छोड़ी तो उस समय प्रदेश 21490. 97 करोड रुपए ब्याज दे रहा था और 2021-22 में यह राशि बढ़कर 28255.04 करोड़ हो गई, जो इस बार बढ़कर करीब 30000 करोड़ तक पहुंच जाएगा.