जयपुर. राजस्थान में सियासी घमासान को लेकर बीजेपी फिलहाल वेट एंड वॉच की भूमिका में है. पार्टी के नेता स्पीकर सीपी जोशी के अगले कदम का इंतजार कर (BJP awaits speaker next move) रहे हैं, जिसके बाद बीजेपी राजभवन का दरवाजा खटखटा (BJP may knock on the door of Raj Bhavan) सकती है. इस बीच विधानसभा के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा है कि जब 90 फीसदी विधायक और सरकार के मंत्रियों ने इस्तीफा दे ही दिया है तो मुख्यमंत्री आपात बैठक बुलाकर विधानसभा भंग करने का (Deputy Leader of Opposition Rajendra Rathore Attacked Gehlot) ऐलान करें.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब आलाकमान के भेजे गए दूत को बेआबरू होकर राजस्थान से लौटना (Congress leaders returned to Delhi feeling helpless) पड़ा है. जिस गहलोत को कांग्रेस से सबकुछ हासिल हुआ, वो आज उन्हीं को चुनौती दे रहे हैं. राठौड़ ने आगे कहा कि प्रतिपक्ष के नाते बीजेपी पूरी स्थिति पर नजरें बनाए हुए हैं.
वहीं, उन्होंने आगे कहा कि जब विधायकों और सरकार के मंत्रियों ने अपना इस्तीफा स्वयं विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को दे ही दिया है तो नियम अनुसार स्पीकर को उसे मंजूर करना चाहिए. राठौड़ ने कहा इसके बाद ही सरकार अल्पमत की स्थिति में मानी जाएगी और नियम अनुसार बीजेपी राज्यपाल से आग्रह कर अग्रिम कार्रवाई की मांग करेगी.
अब शायद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बने गहलोत : राठौड़ ने कहा कि मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के बाद मुझे नहीं लगता कि अब कांग्रेस आलाकमान अशोक गहलोत को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने को सहमत होंगे. उन्होंने कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है और मुझे यही संभावनाएं नजर आ रही है. राठौड़ ने कहा कि जो संभावना और दृश्य नजर आ रहा है, उसमें या तो कांग्रेस आलाकमान पूरी तरह कमजोर साबित हो जाएगा और देशभर में कांग्रेस टूट जाएगी या फिर मजबूत नेता के रूप में कांग्रेस के अशोक गहलोत उभर कर सामने आएंगे.
राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में कुछ वर्ष पहले जब सियासी संकट आया था, तब भी बीजेपी का उससे कोई लेनादेना नहीं था और भी हमारा इससे कोई वास्ता नहीं है. यह घटनाक्रम कांग्रेस के भीतर चल रही आपसी खींचतान और अंतर्द्वंद का परिणाम है.