जयपुर. न्यायालय में एडमिशन स्टेज पर ही लंबित पुराने प्रकरणों के निस्तारण के मामले पर प्रदेश की गहलोत सरकार विधानसभा में मंगलवार को घिरी गई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने मंगलवार को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान सदन का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि सदन में पूछे जाने वाले सवाल का जवाब 3 दिन में देने के नियम है. बावजूद इसके सदन के नियमों का पालना नहीं हो रहा है. इस पर विधानसभा अध्यक्ष को कहना पड़ा कि सदन के नियमों की अवहेलना पर विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है. हालांकि बाद में अध्यक्ष ने कहा कि न्यायालय से जवाब आने तक वो विशेषाधिकार हनन के निर्णय को रिजर्व रखते हैं.
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जानबूझकर छिपा गए तथ्यः दरअसल विधानसभा में संयम लोढ़ा ने कहा कि संसद और विधानसभा में जो कानून बनाया गया, उसमें एससी-एसटी एक्ट में चार्जशीट पेश होने के बाद 2 महीने में निर्णय करना होता है. इसी तरह से पॉस्को एक्ट में 1 साल, भ्रष्टाचार के मामले में 2 साल, अन्य मामलों में 6 महीने के अंदर निर्णय करने का कानून में प्रावधान है. लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट में एडमिशन की स्टेज पर 1 लाख 90 हजार मामले लंबित है.जिसमें 35 साल पुराने मामले भी है.पॉस्को एक्ट में 10,203 मामले लंबित हैं. इसी तरह से एट्रोसिटी एक्ट में 19,159 मामले स्पेशल कोर्ट में लंबित है. संयम लोढ़ा ने कहा कि सदन में पूछे गए सवाल का जवाब समय पर नहीं दिया गया. इंटेंशनली तथ्य छिपाने के लिए यह उत्तर नहीं दिया गया है. विधानसभा के नियमों के अनुसार जो प्रस्ताव दिया गया उसका 3 दिन में जवाब देना होता है. अतः यह विधानसभा की अवमानना है. नागरिकों के उनके अधिकारों से वंचित करने के लिए भी षड्यंत्र है. इसमें अवमानना की कार्रवाई की जाए, ताकि सर्वोच्च सदन का संदेश जाए.
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हाईकोर्ट के और बताए गए आंकड़े में है अंतरः संयम लोढ़ा के उठाये गए सवाल के बाद विधि मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि इससे पहले भी सवाल उठाया गया था 7 दिन पहले. जब भी उत्तर नहीं दिया गया था. जो आंकड़े बताए गए हैं, उसमें और हाईकोर्ट के बताए गए आंकड़े में अंतर है. उस अंतर को देखने के लिए हमने हाईकोर्ट को भेज दिया है.अब हाईकोर्ट से जवाब आएगा उसके बाद ही जवाब दिया जाएगा. मंत्री के बयान से नाखुश होकर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी खड़े हुए और उन्होंने कहा कि असेंबली में हाईकोर्ट जवाब देगा, यह उत्तर नहीं हो सकता. असेंबली सुप्रीम है.सदन के सवाल का जवाब की नहीं आना गंभीरता से लिए जाने वाला मामला है. जोशी ने कहा कि जवाब नहीं आता है तो अन्य विभाग के खिलाफ जो कार्रवाई होती है, वही इनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी. विशेषाधिकार हनन पर विधिक राय ली जाएगी. हालांकि बाद में शांति धारीवाल ने कहा कि एक बार और मौका मिले. न्यायालय से जल्द ही जवाब लेकर सदन को अवगत कराया जाएगा. इस पर अध्यक्ष ने कहा कि मंत्री के जवाब आने तक विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव को होल्ड किया जाता है.