जयपुर. राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के गठन में 2018 और 2008 में बहुजन समाज पार्टी से आये विधायकों का साथ काफी अहम रहा था. ऐसे में इस बार भी जब एग्जिट पोल के नतीजे चुनावी रण में अस्पष्ट तस्वीर को बयां कर रहे हैं. अब राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के लिए नतीजों के ऐलान में कुछ ही घंटों का वक्त बचा है. इसके पहले बहुजन समाज पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष भगवान सिंह बाबा के बयान वाला वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में उन्होंने मायावती के पैगाम का जिक्र करते हुए आने वाली सरकार के गठन में बसपा की भूमिका को काफी महत्वपूर्ण बताया है. बाबा ने दावा किया है कि उनके प्रत्याशी इस बार भी मजबूती के साथ मुकाबले में हैं और नतीजों के बाद बसपा के प्रत्याशी जीत का जश्न मनाएंगे. पर इस दफा यह प्रत्याशी 2008 और 2018 वाली गलती को नहीं दोहराएंगे.
बिना शर्त नहीं देंगे समर्थन-मायावती: बसपा के प्रदेशाध्यक्ष भगवान सिंह ने दावा किया है कि राजस्थान में 2008 और 2018 में उनकी पार्टी ने अशोक गहलोत सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया था. इसके बावजूद गहलोत की शह पर उनकी पार्टी के सभी विधायकों ने दल-बदल कर बसपा की विधानसभा में मौजूदगी को सिफर बना दिया था. पार्टी ने माना है कि सत्ताधारी पार्टी की ओर से मिले मंत्री पद के ऑफर के कारण ऐसा हो पाया था, इसलिए अबकी बार नतीजों के आने के बाद पार्टी किसी भी सूरत में बिना शर्त के किसी भी दल को अपना समर्थन नहीं देगी. बाबा ने यह भी कहा कि इस बार शर्त के तहत उनकी पार्टी जीतकर आने वाले विधायकों के लिए डिमांड में मंत्री पद की मांग करेगी. बसपा ने 18 से 20 सीटों पर अपनी मजबूत स्थिति का दावा किया है.
इन सीटों पर मुकाबले में बीएसपी के प्रत्याशी: बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी प्रदेश की एक दर्जन के करीब सीटों पर प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए चुनौती बने हुए हैं. इन सीटों में ज्यादातर पूर्वी राजस्थान से जुड़ी हुई है. खास तौर पर भरतपुर जिला मुख्यालय, नगर, नदबई, डीग-कुम्हेर, धौलपुर, बाड़ी, करौली, सपोटरा, किशनगढ़ बास, खेतड़ी, सादुलपुर (राजगढ़), लाडनूं, मसूदा और सांचौर प्रमुख हैं.