जयपुर. सरकार बदलने के साथ ही योजनाओं को बंद करने के आरोप कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सरकारों पर लगते रहे हैं. विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसी मुद्दे को लेकर भाजपा से गारंटी मांग रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने शुक्रवार को भाजपा मुख्यालय पर मीडिया से मुखातिब होते हुए इसका जवाब दिया है. राठौड़ ने कहा कि यह सरकार जो योजना लेकर आई है, उसका कोई वित्तीय प्रावधान नहीं किया गया है. ऐसे में यह योजनाएं बंद होनी ही हैं.
सिर्फ सपने बेचने का काम किया : नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सरकार की योजनाओं पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस विज्ञापन एजेंसी पर 2 हजार करोड़ खर्च करके चुनावी मैदान में है. बिना किसी वित्तीय प्रावधान के नित नई घोषणाएं कर रही है. हजारों करोड़ की योजनाओं पर मात्र 200-300 करोड़ रुपए का बजट है, ये योजनएं आगे कैसे बढ़ेंगी. राठौड़ ने कहा कि कुछ दिनों बाद आचार संहिता लगने के बाद योजनाएं बंद करने का हवाला दे देंगे, जबकि योजना चलाने के लिए बजट ही नहीं है. ये सरकार सिर्फ सपने बेचने का काम कर रही है. कांग्रेस राजस्थान की इकोनॉमी की स्थिति पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी बनाकर जाने वाली है.
चारों पाए उखाड़ने के लिए तैयार : राठौड़ ने कहा कि ये वादा पूरा नहीं कर पाए और इसका दोष भी भाजपा पर फोड़ेंगे. उन्होंने दावा किया कि महिलाओं को फोन देने के लिए कोई वित्तीय प्रावधान नहीं, फूड पैकेट योजना कैसे आगे बढ़ेगी, उसका भी कोई वित्तीय प्रावधान नहीं है. कर्मचारियों को जीपीएफ की सुविधा नहीं दे पा रहे हैं. कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं. चुनावी साल में योजनाओं के बहाने सपने बेचने का काम कर रहे हैं, जिसे जनता सब समझ चुकी है और कांग्रेस सरकार के चारों पाए उखाड़ने के लिए तैयार है.
वीजा लेकर आएं राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या पीएम? : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे पर सवाल उठाने पर राठौड़ ने पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री क्या कोई वीजा सिस्टम लागू कर रहे हैं? राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को आने के लिए सरकार से वीजा लेना पड़ेगा? किसान का बेटा उपराष्ट्रपति के पद पर जाता है तो राजस्थान का मान बढ़ता है, लेकिन मुख्यमंत्री को उनके आने पर एतराज है. उपराष्ट्रपति जिस भी कार्यक्रम में आए वो सामाजिक कार्यकर्ता थे. मालपुरा में कृषक परिवार को सम्मान देने आए, जिसने अपनी 1100 बीघा जमीन अनुसंधान के लिए दी. खरनाल में तेजाजी के स्मारक पर आए, किसान केसरी नाथूराम मिर्धा की मूर्ति का अनावरण किया, बीकानेर में मूंगफली को अलग से ब्रांड बने अनुसंधान केंद्र पर आए, एमएनआईटी में छात्रों का हौंसला बढ़ाने आए. इन सब से सीएम गहलोत को एतराज क्यों ?
पहले अपने गिरेबान में देखें : राठौड़ ने कहा कि अपनी हार से भयाक्रांत सीएम को संवैधानिक प्रमुख के आने से एतराज रहता है. सीएम गहलोत से भी सवाल है कि कांग्रेस प्रदेश प्रभारी रंधावा कोटा के सरकारी कार्यक्रम, महंगाई राहत कैम्पों के उद्घाटन में किस हैसियत से थे? राठौड़ ने कहा कि गैर संसदीय काम करना सीएम गहलोत की फितरत में रहा है. दूसरों पर सवाल उठाने से पहले अपने गिरेबान में देखें तो ज्यादा अच्छा होगा.
दुश्मन न करें दोस्त ने वो काम किया है : राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को अपना मित्र बताते हैं, लेकिन ऐसा दोस्त किस काम का जो उनके अपने ही घर में आने पर सवाल खड़ा करता हो. ये तो वैसा ही हो गया 'दुश्मन न करें दोस्त ने वो काम किया है'. राठौड़ ने कहा कि आचार संहिता लगने के बाद भी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आ सकते हैं. उन पर कोड ऑफ कंडक्ट लागू नहीं होता है. ऐसे में मुख्यमंत्री को अपना बयान वापस लेना चाहिए. वैसे भी सीएम गहलोत के लिए बयान वापस लेना बड़ी बात नहीं है. इससे पहले भी सीएम गहलोत ने न्यायपालिका पर गंभीर टिप्पणी कर अपना बयान वापस लिया था. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पर दिया बयान अगर मुख्यमंत्री गहलोत वापिस नहीं लेंगे तो वैधानिक कार्रवाई करेंगे और जनता के बीच जाएंगे.