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Rajasthan Assembly Election 2023 : भाजपा को स्थानीय से ज्यादा बाहरी नेताओं पर भरोसा! चुनावी रण में उतरेंगे ये महारथी...ये रहेगी रणनीति

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 9, 2023, 5:28 PM IST

प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा स्थानीय से ज्यादा बाहरी राज्यों के नेताओं पर भरोसा जता रही है. यही वजह है कि प्रचार से लेकर संगठनात्मक मजबूती तक की जिम्मेदारी दूसरे राज्यों के नेताओं दी जा रही है. प्रदेश के सभी संभागों में बीजेपी ने 7 प्रमुख नेताओं को दायित्व सौंपा है. इसके साथ ही प्रदेश की कमजोर सीटों के लिए भी विशेष रणनीति (BJP status in Rajasthan) बनाई जा रही है.

Rajasthan Assembly Election 2023
Rajasthan Assembly Election 2023
भाजपा को स्थानीय से ज्यादा बाहरी नेताओं पर भरोसा.

जयपुर. प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी इस बार सत्ता परिवर्तन की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रही है. पार्टी में गुटबाजी को खत्म करने के लिए किसी को सीएम फेस नहीं बनाया गया है. इसके साथ ही परिवर्तन यात्रा में भी किसी एक नेता को नेतृत्व देने की जगह सामूहिक नेतृत्व में यात्रा निकाली जा रही है. इन सब में खास बात ये है कि पार्टी आलाकमान प्रदेश के किसी नेता से ज्यादा बाहरी राज्यों के नेताओं पर भरोसा जता रहे हैं. इसके तहत प्रदेश के सभी संभागों में बीजेपी ने 7 प्रमुख नेताओं को दायित्व सौंपा है, ये सभी बाहरी राज्यों से हैं. सभी नेता परिवर्तन यात्रा के बाद प्रदेश में मोर्चा संभालेंगे. पार्टी पहले उन कमजोर सीटों पर विशेष फोकस कर रही है, जहां पर लगातार हार मिली है या सर्वे के लिहाज से कमजोर स्थिति में है.

बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की नजरें : विधानसभा चुनाव में बहुत कम समय बचा है. ऐसे में बीजेपी पूरी ताकत के साथ मिशन राजस्थान-2023 को पूरा करने में जुट गई है. इसके तहत बीजेपी प्रदेशभर में 4 अलग-अलग स्थानों से परिवर्तन संकल्प यात्राएं निकाल रही है. 2 सितम्बर से शुरू हुई ये परिवर्तन यात्राएं राज्य के 200 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी और 25 सितंबर को राजधानी जयपुर में इसका समापन बड़ी सभा के जरिए होगा. परिवर्तन यात्राओं के जरिए बीजेपी प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की दिशा में काम कर रही है. परिवर्तन यात्रा को अधिक धार देने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व दूसरे प्रदेशों से अपने फायर ब्रांड नेताओं को बुला रहे हैं. बताया जा रहा है कि G20 के समापन के साथ ही केंद्रीय नेताओं के आने का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा. अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष सहित अन्य बड़े नेताओं का राजस्थान आने का प्लान बन रहा है.

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कमजोर सीटों के लिए रणनीति : विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. पार्टी उन सीटों पर भी विशेष फोकस कर रही है, जहां पर बीजेपी या तो लगातार हारती आ रही है या सर्वे के लिहाज से ज्यादा ही कमजोर स्थिति में है. 19 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पार्टी लगातार हार रही है, जिसमें सरदारपुरा, लक्ष्मणगढ़, सपोटरा, सिकराय, टोडाभीम, बाड़ी, वल्लभनगर, बागीदौरा, बस्सी, दांतारामगढ़, कोटपूतली, झुंझुनू, सांचौर, बाड़मेर शहर, फतेहपुर, खेतड़ी, लालसोट, नवलगढ़, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ शामिल हैं.

उम्मीदवार बनाने की रणनीति पर काम : बीजेपी ने इन 19 सीटों के लिए विशेष रणनीति तैयार की है. इन सीटों पर भी दूसरे राज्यों के विधायकों को भेजा जा रहा है, जो जिताऊ उम्मीदवार का चयन करने के साथ क्षेत्र में पार्टी के लिए माहौल बनाएंगे. इसके अलावा पार्टी ने अपने सर्वे में 21 विधानसभा सीटों को भी चिह्नित किया है, जो मौजूदा स्थिति में कमजोर हैं. यहां पर पार्टी एक भी चूक करती है तो हारने की संभावना बढ़ जाती है. इन सीटों के लिए भी पार्टी विशेष फोकस कर रही है. बताया जा रहा है कि पार्टी के लिहाज से कमजोर और चुनौती वाली सीटों पर पार्टी अपने सांसदों को भी उम्मीदवार बनाने की रणनीति पर काम कर रही है.

पढ़ें. Rajasthan Assembly Election 2023 : शौक से मिली ख्याति और फिर देखते ही देखते सियासी नजीर बन गए अशोक गहलोत

7 संभागों में 7 बड़े नेता संभालेंगे मोर्चा : बीजेपी चुनाव के लिहाज से संगठनात्मक मजबूती के लिए बाहरी राज्यों के बड़े नेताओं को प्रदेश में भेज रही है. बताया जा रहा है कि बीजेपी ने प्रदेश के संभागों में अन्य राज्यों के 7 प्रमुख नेताओं को दायित्व सौंपा है. ये नेता दूसरे राज्यों के वरिष्ठ नेता हैं, जिन्हें चुनाव लड़ने और लड़ाने के साथ ही हार-जीत के गणित को प्रभावित करने में महारत हासिल है. इसमें दो नेता तो अन्य राज्यों के प्रदेश संगठन महामंत्री हैं. इसके अलावा 5 संगठन के बड़े अनुभवी नेता हैं. इन सभी नेताओं को करीब 8-8 विधानसभा सीटों का जिम्मा दिया जाएगा, जहां 2018 या उससे पहले के चुनाव में बीजेपी खास प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. ये सभी नेता जीत या हार के कारण, जीतने वाले प्रत्याशी की संभावनाओं सहित कई अन्य जरूरी बातों का संकलन कर अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्रीय नेतृत्व को देंगे. इनकी रिपोर्ट टिकट के उम्मीदवारों के लिए खास अहमियत रखेगी.

पढ़ें. Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान की चुनावी समर में अबकी बेटों के लिए बाधक बन रहे पिता, जानें मुखालफत के पीछे की कथा

बाहरी नेताओं पर भरोसे का कारण : प्रदेश में भाजपा भले ही खुले तौर पर ये स्वीकार नहीं करती कि पार्टी में कोई गुटबाजी है, लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से संगठन के कामकाज में प्रदेश बीजेपी के नेता बंटे हुए दिखे, उससे साफ है कि पार्टी का शिर्ष नेतृत्व राजस्थान को लेकर कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है. स्थानीय नेताओं को जिम्मेदारी देने पर गुटबाजी हावी होने की उम्मीद है, ऐसे में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व ही पूरी बागडोर संभाले हुए है. हाल ही में शुरू हुई परिवर्तन यात्राओं में उसकी झलक साफ देखी जा सकती है, जिस तरह से चारों परिवर्तन यात्राओं में प्रदेश के किसी नेता को तवज्जो देने की बजाय केंद्र के प्रमुख ने यात्रा को रवाना किया.

ये पार्टी का नियमित चलने वाला कार्यक्रम : बाहरी राज्यों के नेताओं के राजस्थान दौरे को लेकर पार्टी के नेताओं की अपनी सफाई है. प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ने कहा कि संगठनात्मक दृष्टि से पार्टी को मजबूत करने के लिए अन्य राज्यों के विधायकों को पार्टी भेजती है, ये सभी बूथ स्तर तक पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे. पहले कुछ विधायक नहीं आ पाए थे, ऐसे में जो शेष विधायक रह गए थे वो आए हैं. ये पार्टी का नियमित चलने वाला कार्यक्रम है, जो सभी राज्यों में इसी तरह से चलता है.

भाजपा को स्थानीय से ज्यादा बाहरी नेताओं पर भरोसा.

जयपुर. प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी इस बार सत्ता परिवर्तन की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रही है. पार्टी में गुटबाजी को खत्म करने के लिए किसी को सीएम फेस नहीं बनाया गया है. इसके साथ ही परिवर्तन यात्रा में भी किसी एक नेता को नेतृत्व देने की जगह सामूहिक नेतृत्व में यात्रा निकाली जा रही है. इन सब में खास बात ये है कि पार्टी आलाकमान प्रदेश के किसी नेता से ज्यादा बाहरी राज्यों के नेताओं पर भरोसा जता रहे हैं. इसके तहत प्रदेश के सभी संभागों में बीजेपी ने 7 प्रमुख नेताओं को दायित्व सौंपा है, ये सभी बाहरी राज्यों से हैं. सभी नेता परिवर्तन यात्रा के बाद प्रदेश में मोर्चा संभालेंगे. पार्टी पहले उन कमजोर सीटों पर विशेष फोकस कर रही है, जहां पर लगातार हार मिली है या सर्वे के लिहाज से कमजोर स्थिति में है.

बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की नजरें : विधानसभा चुनाव में बहुत कम समय बचा है. ऐसे में बीजेपी पूरी ताकत के साथ मिशन राजस्थान-2023 को पूरा करने में जुट गई है. इसके तहत बीजेपी प्रदेशभर में 4 अलग-अलग स्थानों से परिवर्तन संकल्प यात्राएं निकाल रही है. 2 सितम्बर से शुरू हुई ये परिवर्तन यात्राएं राज्य के 200 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी और 25 सितंबर को राजधानी जयपुर में इसका समापन बड़ी सभा के जरिए होगा. परिवर्तन यात्राओं के जरिए बीजेपी प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की दिशा में काम कर रही है. परिवर्तन यात्रा को अधिक धार देने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व दूसरे प्रदेशों से अपने फायर ब्रांड नेताओं को बुला रहे हैं. बताया जा रहा है कि G20 के समापन के साथ ही केंद्रीय नेताओं के आने का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा. अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष सहित अन्य बड़े नेताओं का राजस्थान आने का प्लान बन रहा है.

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कमजोर सीटों के लिए रणनीति : विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. पार्टी उन सीटों पर भी विशेष फोकस कर रही है, जहां पर बीजेपी या तो लगातार हारती आ रही है या सर्वे के लिहाज से ज्यादा ही कमजोर स्थिति में है. 19 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पार्टी लगातार हार रही है, जिसमें सरदारपुरा, लक्ष्मणगढ़, सपोटरा, सिकराय, टोडाभीम, बाड़ी, वल्लभनगर, बागीदौरा, बस्सी, दांतारामगढ़, कोटपूतली, झुंझुनू, सांचौर, बाड़मेर शहर, फतेहपुर, खेतड़ी, लालसोट, नवलगढ़, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ शामिल हैं.

उम्मीदवार बनाने की रणनीति पर काम : बीजेपी ने इन 19 सीटों के लिए विशेष रणनीति तैयार की है. इन सीटों पर भी दूसरे राज्यों के विधायकों को भेजा जा रहा है, जो जिताऊ उम्मीदवार का चयन करने के साथ क्षेत्र में पार्टी के लिए माहौल बनाएंगे. इसके अलावा पार्टी ने अपने सर्वे में 21 विधानसभा सीटों को भी चिह्नित किया है, जो मौजूदा स्थिति में कमजोर हैं. यहां पर पार्टी एक भी चूक करती है तो हारने की संभावना बढ़ जाती है. इन सीटों के लिए भी पार्टी विशेष फोकस कर रही है. बताया जा रहा है कि पार्टी के लिहाज से कमजोर और चुनौती वाली सीटों पर पार्टी अपने सांसदों को भी उम्मीदवार बनाने की रणनीति पर काम कर रही है.

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7 संभागों में 7 बड़े नेता संभालेंगे मोर्चा : बीजेपी चुनाव के लिहाज से संगठनात्मक मजबूती के लिए बाहरी राज्यों के बड़े नेताओं को प्रदेश में भेज रही है. बताया जा रहा है कि बीजेपी ने प्रदेश के संभागों में अन्य राज्यों के 7 प्रमुख नेताओं को दायित्व सौंपा है. ये नेता दूसरे राज्यों के वरिष्ठ नेता हैं, जिन्हें चुनाव लड़ने और लड़ाने के साथ ही हार-जीत के गणित को प्रभावित करने में महारत हासिल है. इसमें दो नेता तो अन्य राज्यों के प्रदेश संगठन महामंत्री हैं. इसके अलावा 5 संगठन के बड़े अनुभवी नेता हैं. इन सभी नेताओं को करीब 8-8 विधानसभा सीटों का जिम्मा दिया जाएगा, जहां 2018 या उससे पहले के चुनाव में बीजेपी खास प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. ये सभी नेता जीत या हार के कारण, जीतने वाले प्रत्याशी की संभावनाओं सहित कई अन्य जरूरी बातों का संकलन कर अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्रीय नेतृत्व को देंगे. इनकी रिपोर्ट टिकट के उम्मीदवारों के लिए खास अहमियत रखेगी.

पढ़ें. Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान की चुनावी समर में अबकी बेटों के लिए बाधक बन रहे पिता, जानें मुखालफत के पीछे की कथा

बाहरी नेताओं पर भरोसे का कारण : प्रदेश में भाजपा भले ही खुले तौर पर ये स्वीकार नहीं करती कि पार्टी में कोई गुटबाजी है, लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से संगठन के कामकाज में प्रदेश बीजेपी के नेता बंटे हुए दिखे, उससे साफ है कि पार्टी का शिर्ष नेतृत्व राजस्थान को लेकर कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है. स्थानीय नेताओं को जिम्मेदारी देने पर गुटबाजी हावी होने की उम्मीद है, ऐसे में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व ही पूरी बागडोर संभाले हुए है. हाल ही में शुरू हुई परिवर्तन यात्राओं में उसकी झलक साफ देखी जा सकती है, जिस तरह से चारों परिवर्तन यात्राओं में प्रदेश के किसी नेता को तवज्जो देने की बजाय केंद्र के प्रमुख ने यात्रा को रवाना किया.

ये पार्टी का नियमित चलने वाला कार्यक्रम : बाहरी राज्यों के नेताओं के राजस्थान दौरे को लेकर पार्टी के नेताओं की अपनी सफाई है. प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ने कहा कि संगठनात्मक दृष्टि से पार्टी को मजबूत करने के लिए अन्य राज्यों के विधायकों को पार्टी भेजती है, ये सभी बूथ स्तर तक पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे. पहले कुछ विधायक नहीं आ पाए थे, ऐसे में जो शेष विधायक रह गए थे वो आए हैं. ये पार्टी का नियमित चलने वाला कार्यक्रम है, जो सभी राज्यों में इसी तरह से चलता है.

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