जयपुर. राजस्थान में पुलिस ने संगठित माफिया और हार्डकोर बदमाशों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. इसी कड़ी में नशे के नेक्सस पर भी पुलिस लगातार करार प्रहार कर रही है. इसका नतीजा यह है कि इस साल के शुरुआती सात महीनों में पुलिस ने तीन हजार से ज्यादा नशे के सौदागरों और तस्करों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है. जबकि इन तस्करों के कब्जे से तस्करी कर ले जाई जा रही लाखों किलो अलग-अलग मादक पदार्थों की खेप भी जब्त की गई है. साथ ही बड़ी संख्या में दुपहिया और चौपहिया वाहन भी जब्त किए गए हैं.
पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेशभर में बड़ी संख्या में मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की गई है. इस कार्रवाई में 3,010 नशे के सौदागरों को गिरफ्तार किया गया है. जबकि 888 किलो अफीम, 63.420 किलो हेरोइन, 6,502 किलो गांजा, 1.066 किलो चरस, 11.138 किलो स्मैक, 582 ग्राम ब्राउन शुगर और 1,00,999 किलो डोडा चूरा जब्त किया गया है. जबकि पुलिस मुख्यालय की क्राइम ब्रांच स्पेशल टीम की ओर से की गई कार्रवाइयों में 20.450 किलो हेरोइन, 24 किलो अफीम, 9.400 किलो स्मैक, 568 किलो गांजा, 1,464 किलो डोडा चूरा और 100 ग्राम चरस बरामद की गई है. क्राइम ब्रांच ने 56 तस्करों को गिरफ्तार कर जेल पहुंचाया है.
बीते दो साल के मुकाबले बढ़े मुकदमे : नशीले पदार्थों को जब्त करने के बाद पुलिस तस्करों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर अनुसंधान करती है. पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि एनडीपीएस एक्ट के तहत साल 2021 में 1,903, 2022 में 2,510 और साल 2023 (जुलाई तक) में 2,813 मुकदमे दर्ज हुए हैं. ऐसे में एनडीपीएस के मुकदमों में 2021 की तुलना में इस साल 47.82 फीसदी और 2022 की तुलना में 12.07 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
इसे भी पढ़ें - नशे के खिलाफ श्रीगंगानगर पुलिस की बड़ी कार्रवाई, 50 हजार लीटर से ज्यादा अवैध शराब व लाहन नष्ट
आबकारी अधिनियम के मुकदमे भी बढ़े : पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि आबकारी अधिनियम के तहत साल 2021 में (जुलाई तक) 12,044, साल 2022 में (जुलाई तक) 12,320 और इस साल (जुलाई तक) 13,808 मुकदमे दर्ज हुए हैं. इस तरह प्रदेश में आबकारी अधिनियम के तहत मुकदमे 2021 की तुलना में 14.65 फीसदी और 2022 की तुलना में 12.08 फीसदी बढ़े हैं.
4 साल में पकड़े गए 2 हजार से ज्यादा तस्कर : नशे के सौदागरों के खिलाफ राजधानी जयपुर में 23 अक्टूबर 2019 को ऑपरेशन क्लीन स्वीप शुरू किया गया था. इसके तहत 1600 से ज्यादा कार्रवाई कर 2 हजार से ज्यादा तस्करों और ड्रग पैडलर्स को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें से ज्यादातर स्कूल-कॉलेजों के आसपास स्टूडेंट्स को नशे की पुड़िया सप्लाई करते हैं. राजधानी में गांजे और स्मैक के नशे का चलन ज्यादा है.
बॉर्डर पार से चल रहा है हेरोइन तस्करी का खेल : प्रदेश में पाकिस्तान से सटी सीमा पर बॉर्डर पार से हेरोइन की तस्करी की जा रही है. सीआईडी क्राइम ब्रांच ने पिछले दिनों सीमावर्ती इलाकों में बॉर्डर पार से तस्करी के बड़े गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए दर्जनभर तस्करों को गिरफ्तार किया था और उनसे 20.450 किलो हेरोइन जब्त की थी. पड़ताल में सामने आया कि पाकिस्तान के रूट से हेरोइन प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में पहुंचाई जा रही है. हेरोइन की तस्करी में ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. मोटा मुनाफा होने के कारण इसकी तस्करी बढ़ी है. इसके साथ ही स्थानीय युवाओं में भी हेरोइन के नशे का चलन बढ़ा है. पड़ताल में यह भी सामने आया है कि प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों से हेरोइन की खेप पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर भी जा रही है.
इसे भी पढ़ें - कोटा: नशे के खिलाफ CBN की कार्रवाई, 742 किलो डोडा चूरा बरामद, तस्कर फरार
पश्चिमी राजस्थान में अफीम का ज्यादा चलन : राजस्थान के चित्तौड़गढ़, राजसमंद और भीलवाड़ा के साथ ही मध्य प्रदेश में अफीम की काफी पैदावार होती है. जहां से तस्करी कर अफीम की खेप पश्चिमी राजस्थान तक पहुंचाई जाती है. अफीम का पश्चिमी राजस्थान में नशे के रूप में ज्यादा उपयोग होता है. पुलिस ने इस साल जुलाई तक 888 किलो अफीम जब्त की है.
ओडिशा-बंगाल से लाई जा रही गांजे खेप : राजधानी जयपुर से लेकर छोटे-बड़े शहरों के युवाओं में गांजे के नशे का चलन बढ़ रहा है. ऐसे में इसकी तस्करी इन दिनों काफी बढ़ी है. मुख्य रूप से ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और पूर्वोत्तर के राज्यों में गांजा बहुतायत में होता है. ऐसे में वहां से कम कीमत पर खरीदकर राजस्थान में इसे दोगुने दाम में सप्लाई किया जाता है. इस साल जुलाई तक पुलिस ने 6,502 किलो गांजा पकड़ा है.
युवाओं को नशे से बचाना प्राथमिकता : डीजीपी उमेश मिश्रा का कहना है कि पुलिस ने प्रदेशभर में मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ कई कार्रवाइयां करते हुए बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ जब्त किए हैं. ऐसे में ये इस बात का सूचक है कि मादक पदार्थों की तस्करी पर रोकथाम पुलिस की प्राथमिकता है, ताकि युवा पीढ़ी को नशे की लत से बचाया जा सके.