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राजस्थान में दिव्यांग अधिकारों को लेकर संघर्ष जारी, पंचायत स्तरीय सत्ता में भागीदारी आज भी अधूरी

राजस्थान में दिव्यांगों के अधिकारों को लेकर की जार ही मांग आज भी अधूरी है. स्थानीय सत्ता में भागीदारी हो या फिर महंगाई राहत शिविर के जरिए सरकार की ओर से दिए जा रहे योजनाओं का लाभ, 16 लाख से ज्यादा दिव्यांग वंचित हैं.

Specially abled Deprived of schemes Benefits
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Published : Jun 30, 2023, 9:43 PM IST

राजस्थान में दिव्यांग अधिकारों के दावे फेल

जयपुर. राजस्थान में 16 लाख दिव्यांगों से किए गए अधिकारों के दावे आज भी अधूरे हैं. सामाजिक संगठनों की ओर से लगातार आवाज उठाई जाती रही है, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. दिव्यांग अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमंत भाई गोयल ने कहा कि स्थानीय निकायों में एक दिव्यांग को बतौर पार्षद मनोनीत करने का प्रावधान हुआ है, लेकिन ग्राम पंचायत स्तर पर अभी कार्रवाई नहीं हो पाई है.

सत्ता में भागीदारी अधूरी : हेमंत भाई गोयल ने आरोप लगाया कि सीएम गहलोत कहते हैं कि आप मांगते मांगते थक जाओगे, लेकिन मैं देता-देता नहीं थकूंगा तो फिर राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र के 11 हजार दिव्यांग स्थानीय सत्ता में भागीदारी से वंचित क्यों हैं ?.

राजस्थान में ऐसा प्रावधान क्यों नहीं : गोयल ने कहा कि दिव्यांग संगठनों के 15 साल के प्रयास के बाद प्रदेश में राजस्थान नगर पालिका अधिनियम में संशोधन कर राज्य के प्रत्येक शहरी निकाय में एक दिव्यांग को बतौर पार्षद मनोनीत करने का प्रावधान किया. 213 शहरी निकायों में से 190 से ज्यादा दिव्यांग पार्षद मनोनीत हो चुके हैं, लेकिन पंचायती राज अधिनियम में संशोधन की मांग 15 साल से अधूरी है, जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने सभी ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद में एक दिव्यांग को बतौर पंच व सदस्य मनोनीत करने का प्रावधान किया हुआ है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर लगातार मुख्यमंत्री को पत्र और व्यक्तिगत मुलाकात के जरिये मांग कर चुके हैं , फिर राजस्थान में कांग्रेस सरकार ऐसा प्रावधान नहीं कर रही. वहीं, शहरी निकायों में दिव्यांग जनों को स्थानीय सत्ता में भागीदारी के बाद थ्री टायर पंचायती राज निकायों में भी प्रतिनिधित्व की आस जगी थी. उन्होंने कहा कि राजस्थान में करीब 11 हजार ग्राम पंचायत हैं, अगर राजस्थान सरकार पंचायती राज अधिनियम में संशोधन कर यह प्रावधान करती है तो करीब 11 हजार दिव्यांग जनों को ग्राम पंचायतों में बैठकर अपनी समस्याओं का समाधान करवाने का अवसर मिलेगा. इसको लेकर लगातार मुख्यमंत्री को पत्र और व्यक्तिगत मुलाकात के जरिए मांग कर चुके हैं, फिर राजस्थान में कांग्रेस सरकार ऐसा प्रावधान क्यों नहीं कर रही?

पढ़ें. Rajasthan Assembly: बाबा आमटे दिव्यांग विश्वविद्यालय बिल पास, सहायता राशि को लेकर सदन हुआ गरम

महंगाई राहत शिविर से दिव्यांग दूर : उन्होंने कहा कि प्रदेश में 16 लाख से ज्यादा दिव्यांगजन हैं, लेकिन इनमें से केवल 6 लाख 20 हजार दिव्यांगों को पेंशन मिल रही है. सरकार ने इन्हें बीपीएल कैटेगरी में मान रखा है. महंगाई राहत शिविर के जरिए सामान्य बीपीएल वर्गों के लोगों को तो राहत दी जा रही है, लेकिन दिव्यांगों के लिए कैम्प में कोई राहत नहीं है. उन्होंने सरकार से मांग कि है कि जिस तरह से बीपीएल परिवारों को खाद्य सामग्री, हर साल 12 सिलेंडर और चिरंजीवी में फ्री रजिस्ट्रेशन का प्रावधान है, उसी तरह से दिव्यांगों को भी इन योजनाओं का लाभ मिले.

UID कार्ड में कानूनी अड़चन : उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन का पहचान पत्र UID कार्ड (यूनिक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड) के आवेदन को लेकर भी केंद्र और राज्य सरकार के अपने-अपने सिस्टम हैं. उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार स्वावलंबन ऐप के जरिए UID कार्ड बनाया जाता है, लेकिन राज्य सरकार ने एसएसओ आईडी की बाध्यता डाल रखी है, जिसके चलते दिव्यांगों को विशेष पहचान पत्र बनाने परेशानी आ रही है. उन्होंने इस समस्या को दूर करने की मांग की है.

राजस्थान में दिव्यांग अधिकारों के दावे फेल

जयपुर. राजस्थान में 16 लाख दिव्यांगों से किए गए अधिकारों के दावे आज भी अधूरे हैं. सामाजिक संगठनों की ओर से लगातार आवाज उठाई जाती रही है, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. दिव्यांग अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमंत भाई गोयल ने कहा कि स्थानीय निकायों में एक दिव्यांग को बतौर पार्षद मनोनीत करने का प्रावधान हुआ है, लेकिन ग्राम पंचायत स्तर पर अभी कार्रवाई नहीं हो पाई है.

सत्ता में भागीदारी अधूरी : हेमंत भाई गोयल ने आरोप लगाया कि सीएम गहलोत कहते हैं कि आप मांगते मांगते थक जाओगे, लेकिन मैं देता-देता नहीं थकूंगा तो फिर राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र के 11 हजार दिव्यांग स्थानीय सत्ता में भागीदारी से वंचित क्यों हैं ?.

राजस्थान में ऐसा प्रावधान क्यों नहीं : गोयल ने कहा कि दिव्यांग संगठनों के 15 साल के प्रयास के बाद प्रदेश में राजस्थान नगर पालिका अधिनियम में संशोधन कर राज्य के प्रत्येक शहरी निकाय में एक दिव्यांग को बतौर पार्षद मनोनीत करने का प्रावधान किया. 213 शहरी निकायों में से 190 से ज्यादा दिव्यांग पार्षद मनोनीत हो चुके हैं, लेकिन पंचायती राज अधिनियम में संशोधन की मांग 15 साल से अधूरी है, जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने सभी ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद में एक दिव्यांग को बतौर पंच व सदस्य मनोनीत करने का प्रावधान किया हुआ है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर लगातार मुख्यमंत्री को पत्र और व्यक्तिगत मुलाकात के जरिये मांग कर चुके हैं , फिर राजस्थान में कांग्रेस सरकार ऐसा प्रावधान नहीं कर रही. वहीं, शहरी निकायों में दिव्यांग जनों को स्थानीय सत्ता में भागीदारी के बाद थ्री टायर पंचायती राज निकायों में भी प्रतिनिधित्व की आस जगी थी. उन्होंने कहा कि राजस्थान में करीब 11 हजार ग्राम पंचायत हैं, अगर राजस्थान सरकार पंचायती राज अधिनियम में संशोधन कर यह प्रावधान करती है तो करीब 11 हजार दिव्यांग जनों को ग्राम पंचायतों में बैठकर अपनी समस्याओं का समाधान करवाने का अवसर मिलेगा. इसको लेकर लगातार मुख्यमंत्री को पत्र और व्यक्तिगत मुलाकात के जरिए मांग कर चुके हैं, फिर राजस्थान में कांग्रेस सरकार ऐसा प्रावधान क्यों नहीं कर रही?

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महंगाई राहत शिविर से दिव्यांग दूर : उन्होंने कहा कि प्रदेश में 16 लाख से ज्यादा दिव्यांगजन हैं, लेकिन इनमें से केवल 6 लाख 20 हजार दिव्यांगों को पेंशन मिल रही है. सरकार ने इन्हें बीपीएल कैटेगरी में मान रखा है. महंगाई राहत शिविर के जरिए सामान्य बीपीएल वर्गों के लोगों को तो राहत दी जा रही है, लेकिन दिव्यांगों के लिए कैम्प में कोई राहत नहीं है. उन्होंने सरकार से मांग कि है कि जिस तरह से बीपीएल परिवारों को खाद्य सामग्री, हर साल 12 सिलेंडर और चिरंजीवी में फ्री रजिस्ट्रेशन का प्रावधान है, उसी तरह से दिव्यांगों को भी इन योजनाओं का लाभ मिले.

UID कार्ड में कानूनी अड़चन : उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन का पहचान पत्र UID कार्ड (यूनिक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड) के आवेदन को लेकर भी केंद्र और राज्य सरकार के अपने-अपने सिस्टम हैं. उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार स्वावलंबन ऐप के जरिए UID कार्ड बनाया जाता है, लेकिन राज्य सरकार ने एसएसओ आईडी की बाध्यता डाल रखी है, जिसके चलते दिव्यांगों को विशेष पहचान पत्र बनाने परेशानी आ रही है. उन्होंने इस समस्या को दूर करने की मांग की है.

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