जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख शिक्षा सचिव, कर्मचारी चयन बोर्ड सचिव और रीट समन्वयक से पूछा है कि जब राजस्थानी भाषा में सवाल पूछने का प्रावधान ही नहीं है, तो रीट परीक्षा 2022 में 8 प्रश्न राजस्थानी भाषा में क्यों पूछे गए. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश राजेश कुमार शर्मा व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता रमाकांत गौतम और अधिवक्ता जीएस गौतम ने अदालत को बताया कि कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से गत 25 फरवरी को रीट परीक्षा आयोजित की गई थी. इसमें चयन बोर्ड की ओर से 8 सवाल राजस्थानी भाषा में पूछे गए. इसके अलावा इन सवालों का अंग्रेजी अनुवाद भी नहीं किया गया था. जिसके चलते अभ्यर्थियों को सवाल ही समझ नहीं आए. याचिका में कहा गया कि भर्ती विज्ञापन की शर्तों के अनुसार सभी सवाल हिंदी और अंग्रेजी भाषा में ही पूछे जा सकते थे. वहीं यदि हिंदी में पूछे गए सवाल में लिपिकीय त्रुटि रहती है, तो उसके अंग्रेजी भाषा के अनुवाद को सही मानने का प्रावधान है.
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याचिका में यह भी कहा गया कि राजस्थानी भाषा आधिकारिक भाषा नहीं है. परीक्षा के बाद याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में चयन बोर्ड के समक्ष अपनी आपत्तियां भी पेश की, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. राजस्थानी भाषा को न तो अभी तक मान्यता मिली है और ना ही इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. याचिका में यह भी कहा गया कि कई अभ्यर्थियों की राजस्थानी भाषा पर पकड़ नहीं है. ऐसे में जवाब आने के बावजूद अभ्यर्थी इन 8 सवालों का जवाब नहीं दे पाए. इसलिए इन प्रश्नों के बोनस अंक दिए जाएं और तब तक भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.