जयपुर. डिजिटल युग में राजस्थान के मंदिर भी हाईटेक हो गए हैं. यहां अब दान के लिए भी QR Code की व्यवस्था कर दी गई है. यानी कि प्रदेश के मंदिरों में अब दान पेटी और नकद दान के साथ-साथ ई-दान भी किया जा सकता है. राज्य सरकार के देवस्थान विभाग की ओर से शुरू की गई इस व्यवस्था का मंदिरों को लाभ भी मिल रहा है. प्रदेश के सरकारी मंदिरों में जो दान नकद या फिर दान पेटी के जरिए प्राप्त हो रहा है, उसकी तुलना में डिजिटल दान दोगुना है.
कोरोना के बाद से मंदिरों में दान करने का चलन भी बदल गया है. डिजिटल युग में लोग अब दान भी डिजिटल कर रहे हैं. देवस्थान विभाग ने मंदिरों में भी डिजिटल दान की व्यवस्था शुरू की है. इसके तहत राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिरों और आत्मनिर्भर श्रेणी के मंदिरों में क्यूआर कोड लगाए गए हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन QR Code के लगाए जाने के बाद दान पेटी और नकद दान की कुल राशि का दोगुना डिजिटल या यूं कहें ई-दान प्राप्त हुआ है.
मंदिरों में दान पेटी, नकद दान और ई-दान :
- राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिर - 390
- राजकीय आत्मनिर्भर श्रेणी मंदिर - 203
- कुल दान राशि - 15 लाख 96 हजार 547 रुपये
- ई-दान/डिजिटल दान - 10 लाख 94 हजार 756 रुपये
- दान पेटी में राशि - 3 लाख 1 हजार 679 रुपये
- नकद दान राशि - 2 लाख 112 रुपये
राजधानी की अगर बात करें तो यहां देवस्थान विभाग के 32 मंदिरों में क्यूआर कोड लगाए गए हैं :
![QR Code System in Government Temples](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17110807_info1.jpg)
मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की मानें तो इस डिजिटल युग में ई-दान करना आसान भी है और सुरक्षित भी. इससे दान की हुई राशि सीधे देवस्थान विभाग के अकाउंट में पहुंचती है, जिसे मंदिरों के उत्थान में खर्च किया जाता है. वहीं, आनंद कृष्ण बिहारी मंदिर पुजारी मातृ प्रसाद ने बताया कि क्यूआर कोड से जुड़ा बैंक अकाउंट देवस्थान विभाग मुख्यालय उदयपुर के नाम से है. प्रदेश के किसी भी मंदिर में डिजिटल माध्यम से दी गई धनराशि इसी खाते में पहुंचती है.
![QR Code System in Government Temples](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17110807_info2.jpg)
इसी साल मार्च में इस व्यवस्था को मंदिर में लागू किया गया. मंदिर परिसर में ही दान पेटी के साथ (QR Code System in Rajasthan Temples) जगह-जगह क्यूआर कोड भी चस्पा किए गए हैं, ताकि लोग ई-दान कर सकें. वहीं, ब्रज निधि मंदिर के पुजारी भूपेंद्र कुमार ने बताया कि अब तक भक्त दान पेटी में या फिर नकद दान दिया करते थे, लेकिन इस डिजिटल युग में लोग डिजिटल दान भी कर रहे हैं.
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क्यूआर कोड की इस नई व्यवस्था को लेकर देवस्थान विभाग की मंत्री शकुंतला रावत ने बताया कि कुछ लोग मंदिरों तक आने में असमर्थ होते हैं. लेकिन उनकी मंदिरों में चढ़ावा या दान करने की इच्छा होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए QR Code व्यवस्था शुरू की गई है. अब तक जिन मंदिरों में क्यूआर कोड व्यवस्था लागू की गई है, वहां से लाखों रुपये दान में आया है. इस धनराशि को मंदिरों के ही जीर्णोद्धार पर खर्च किया जा सकेगा. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव वाले 500 से ज्यादा मंदिरों में ये व्यवस्था लागू की जाएगी. उन्होंने बताया कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है. इसी सोच के मद्देनजर डिजिटल युग में डिजिटल दान की व्यवस्था शुरू की गई है.
बहरहाल, राजस्थान सरकार की इस नई व्यवस्था से लाखों रुपये का ई-दान आया है. ऐसे में विभाग ने बचे हुए (E Donation Doubles as Compared to Cash Donation) मंदिरों में भी जल्द QR Code व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखने के लिए निर्देशित किया गया है. कोई भी व्यक्ति इससे छेड़छाड़ ना कर सके और विभाग के कोड के स्थान पर कोई अन्य कोड ना लगा दे. इसका भी पूरा ध्यान रखा जाएगा.