जयपुर. स्वायत्त शासन विभाग ने निकाय प्रमुखों के निर्वाचन के नियमों में प्रावधान को लेकर अधिसूचना जारी की है. जिसके तहत जो निकाय प्रमुख जिस रीति से चुना गया है उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने और उसकी मृत्यु होने के बाद उसी रीति से उपचुनाव होगा.
बता दें कि प्रदेश में नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका के मेयर, सभापति और अध्यक्षों के चुनाव पार्षदों की जगह सीधे मतदाता करेंगे. कांग्रेस ने सत्ता में आते ही नगर निकायों में पार्षदों के जरिए चेयरमेन के चुनाव की व्यवस्था में परिवर्तन किया है. हालांकि राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी करते हुए यह साफ कर दिया कि निकाय प्रमुख जिस रीति से चुना गया उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने और उसकी मृत्यु होने के बाद उसी रीति से उपचुनाव होगा.
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डीएलबी निदेशक उज्ज्वल राठौड़ ने इस संबंध में बताया कि जिस नगरपालिका में निकाय प्रमुख की जगह खाली होगी उसके उपचुनाव सीधे चुनाव से नहीं होकर वार्ड मेंबर की ओर से चुनकर पुरानी प्रक्रिया के तहत ही होंगे. उन्होंने साफ किया कि अब होने वाले चुनावों में सीधे चुनाव की प्रक्रिया अपनाई जाएगी.
बता दें कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने 2014 में सीधे चुनाव के नियम को बदल दिया था, लेकिन अब नगर निकाय चुनाव में प्रदेश के लोग मेयर और सभापति को सीधे चुन सकेंगे. इसके लिए सरकार ने राजस्थान म्यूनिसिपल एक्ट इलेक्शन रूल्स 1994 में बदलाव किया है.