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Protest of Martyr Wives in Jaipur: सीएम सचिव आरती डोगरा से वार्ता हुई विफल, किरोड़ी का धरना जारी

पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान को लेकर की गई घोषणाओं के पूरा नहीं होने को लेकर वीरांगनाएं धरने पर हैं. इसमें सांसद किरोड़ी लाल मीणा जयपुर के शहीद स्मारक पर धरने पर हैं.

Protest of Martyr Wives in Jaipur, MP Kirodi Lal Meena meeting failed with CM secretary
Protest of Martyr Wives in Jaipur: सीएम सचिव आरती डोगरा से वार्ता हुई विफल, किरोड़ी का धरना जारी
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Published : Mar 1, 2023, 8:01 PM IST

जयपुर. पुलवामा शहीदों की वीरांगानाओं के सम्मान को लेकर सांसद किरोड़ी लाल मीणा का धरना बुधवार को दूसरे दिन भी जारी है. मुख्यमंत्री सचिव आरती डोगरा से आधा घंटा हुई वार्ता विफल हो गई है. इसके बाद एक बार फिर सांसद किरोड़ी शहीद स्मारक पर पहुंचकर धरने पर बैठ गए हैं. वीरांगनाएं पुलवामा शहीदों के लिए जन प्रतिनिधियों की ओर से की गई घोषणाओं को पूरा करने व अन्य मांगों को लेकर धरने पर हैं.

किरोड़ी ने कहा कि सरकार जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं करती, तब तक उनका धरना जारी रहेगा. किरोड़ी के इस धरने में सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा भी पहुंचे. हालांकि गुढ़ा की समझाइश से भी मीणा नहीं माने. धरने पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, बीजेपी विधायक मदन दिलावर, संदीप शर्मा, चंद्रकांता मेघवाल सहित अन्य बीजेपी के नेताओं ने भी शाहिद स्मारक पहुंचकर मीणा के धरने को समर्थन दिया. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने वीरांगनाओं की बात को भी सुना. माना जा रहा है कि राठौड़ गुरुवार को एक बार फिर विधानसभा में इस मुद्दे को उठा सकते हैं.

पढ़ें: Rajasthan Assembly Session: सदन में उठा पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं का मुद्दा, राजेंद्र राठौर ने की मांग पूरी करने की अपील

नहीं बनी बात, वार्ता बेनतीजा: दरअसल सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा से वार्ता के बाद जब बात नहीं बनी, तो किरोड़ और वीरांगनाओं की वार्ता मुख्यमंत्री सचिव आरती डोगरा से मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई. जहां पर वीरांगनाओं ने अपनी बात रखी. हालांकि वार्ता बेनतीजा रहा, जिसकी वजह से धरना अब भी जारी है. वार्ता के बाद सांसद किरोड़ी ने कहा कि सीएम सचिव से बात हुई है. शहीदों के अंतिम संस्कार पर मंत्रियों ने जो घोषणा की थी, उन्हें लेकर वीरांगनाओं ने अपनी बात रखी है.

पढ़ें: चित्तौड़गढ़: 1981 के बाद पहली बार वीरांगनाओं को बिना शोभायात्रा की दी गई श्रद्धांजलि

सीएम सचिव ने वीरांगनाओं की मांग को पूरा करने को लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि धरना समाप्त कर दीजिए. जो भी मांगे हैं, उन्हें जल्द उच्च अधिकारी से बात करके पूरी कर दी जाएगी. लेकिन उन्होंने कहा कि जब सरकार के प्रतिनिधियों ने घोषणा की थी, तो फिर उसमें देरी क्यों हो रही है. तत्काल आदेश जारी होने चाहिए. लेकिन सीएम सचिव तत्काल आदेश जारी करने की स्थिति में नहीं थीं. ऐसे में वार्ता विफल ही रही.

पढ़ें: स्वतंत्रता दिवस स्पेशल: आजादी की लड़ाई में वीरांगनाओं ने कंधे से कंधा मिलाकर लिया भाग... लेकिन आज की ये है हकीकत

मंत्री भी पहुंचे: धरने पर गुढ़ा ने किरोड़ी से वीरांगनाओं की समस्या को लेकर बात की. इस दौरान मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को भी फोन पर बातचीत की, लेकिन अधिकारियों के पास शहीदों की सहादत के वक्त जनप्रतिनिधियों की ओर से की गई घोषणाओं को लेकर कोई भी जानकारी नहीं थी. लेकिन सांसद किरोड़ी मंत्री के आश्वासन से भी नहीं माने. उन्होंने कहा कि जिन वीर सपूतों ने देश के लिए शहादत दे दी. आज उनकी वीरांगनाओं को मजबूरन धरने पर बैठना पड़ रहा है. सरकार को चाहिए कि वीरांगनाओं के सम्मान में इनकी जो मांगे उसको तत्काल प्रभाव से पूरा करे.

ये हैं मांगें: राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि पुलवामा में शहीद हुए राजस्थान के वीर सपूतों को 4 साल हो गए, लेकिन प्रदेश की गहलोत सरकार इन वीर सपूतों को मरणोपरांत भी सम्मान नहीं दे रही है. शहीदों के परिवारों के परिजनों को ना तो नौकरी मिल रही है और ना ही इन शहीदों की प्रतिमा गांव में लगाई गई है. इतना ही नहीं स्कूल, कॉलेज और सड़क के नाम भी इन शहीदों के नाम पर नहीं रखे जा रहे हैं. मीणा ने कहा कि यह परिवार लंबे समय से सरकार से शहीदों के सम्मान की मांग कर रहा है.

जयपुर. पुलवामा शहीदों की वीरांगानाओं के सम्मान को लेकर सांसद किरोड़ी लाल मीणा का धरना बुधवार को दूसरे दिन भी जारी है. मुख्यमंत्री सचिव आरती डोगरा से आधा घंटा हुई वार्ता विफल हो गई है. इसके बाद एक बार फिर सांसद किरोड़ी शहीद स्मारक पर पहुंचकर धरने पर बैठ गए हैं. वीरांगनाएं पुलवामा शहीदों के लिए जन प्रतिनिधियों की ओर से की गई घोषणाओं को पूरा करने व अन्य मांगों को लेकर धरने पर हैं.

किरोड़ी ने कहा कि सरकार जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं करती, तब तक उनका धरना जारी रहेगा. किरोड़ी के इस धरने में सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा भी पहुंचे. हालांकि गुढ़ा की समझाइश से भी मीणा नहीं माने. धरने पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, बीजेपी विधायक मदन दिलावर, संदीप शर्मा, चंद्रकांता मेघवाल सहित अन्य बीजेपी के नेताओं ने भी शाहिद स्मारक पहुंचकर मीणा के धरने को समर्थन दिया. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने वीरांगनाओं की बात को भी सुना. माना जा रहा है कि राठौड़ गुरुवार को एक बार फिर विधानसभा में इस मुद्दे को उठा सकते हैं.

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नहीं बनी बात, वार्ता बेनतीजा: दरअसल सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा से वार्ता के बाद जब बात नहीं बनी, तो किरोड़ और वीरांगनाओं की वार्ता मुख्यमंत्री सचिव आरती डोगरा से मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई. जहां पर वीरांगनाओं ने अपनी बात रखी. हालांकि वार्ता बेनतीजा रहा, जिसकी वजह से धरना अब भी जारी है. वार्ता के बाद सांसद किरोड़ी ने कहा कि सीएम सचिव से बात हुई है. शहीदों के अंतिम संस्कार पर मंत्रियों ने जो घोषणा की थी, उन्हें लेकर वीरांगनाओं ने अपनी बात रखी है.

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सीएम सचिव ने वीरांगनाओं की मांग को पूरा करने को लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि धरना समाप्त कर दीजिए. जो भी मांगे हैं, उन्हें जल्द उच्च अधिकारी से बात करके पूरी कर दी जाएगी. लेकिन उन्होंने कहा कि जब सरकार के प्रतिनिधियों ने घोषणा की थी, तो फिर उसमें देरी क्यों हो रही है. तत्काल आदेश जारी होने चाहिए. लेकिन सीएम सचिव तत्काल आदेश जारी करने की स्थिति में नहीं थीं. ऐसे में वार्ता विफल ही रही.

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मंत्री भी पहुंचे: धरने पर गुढ़ा ने किरोड़ी से वीरांगनाओं की समस्या को लेकर बात की. इस दौरान मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को भी फोन पर बातचीत की, लेकिन अधिकारियों के पास शहीदों की सहादत के वक्त जनप्रतिनिधियों की ओर से की गई घोषणाओं को लेकर कोई भी जानकारी नहीं थी. लेकिन सांसद किरोड़ी मंत्री के आश्वासन से भी नहीं माने. उन्होंने कहा कि जिन वीर सपूतों ने देश के लिए शहादत दे दी. आज उनकी वीरांगनाओं को मजबूरन धरने पर बैठना पड़ रहा है. सरकार को चाहिए कि वीरांगनाओं के सम्मान में इनकी जो मांगे उसको तत्काल प्रभाव से पूरा करे.

ये हैं मांगें: राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि पुलवामा में शहीद हुए राजस्थान के वीर सपूतों को 4 साल हो गए, लेकिन प्रदेश की गहलोत सरकार इन वीर सपूतों को मरणोपरांत भी सम्मान नहीं दे रही है. शहीदों के परिवारों के परिजनों को ना तो नौकरी मिल रही है और ना ही इन शहीदों की प्रतिमा गांव में लगाई गई है. इतना ही नहीं स्कूल, कॉलेज और सड़क के नाम भी इन शहीदों के नाम पर नहीं रखे जा रहे हैं. मीणा ने कहा कि यह परिवार लंबे समय से सरकार से शहीदों के सम्मान की मांग कर रहा है.

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