जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय में बीते डेढ़ महीने से छात्र संघ चुनाव की तैयारी कर रहे छात्र नेताओं को बड़ा झटका लगा है. राज्य सरकार ने एकाएक छात्र संघ चुनाव नहीं कराने का फैसला लिया, जिसके बाद गुस्साए छात्रों ने पहले शनिवार देर रात विश्वविद्यालय मुख्य द्वार पर प्रोटेस्ट किया. इसके बाद रविवार सुबह यूनिवर्सिटी में जुटे और उग्र आंदोलन की चेतावनी दी.
सीएम से मिलने पहुंचे छात्र नेता : पुलिस प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए बिना आईडी कार्ड यूनिवर्सिटी में छात्रों को दाखिल होने से रोका. इस दौरान कार्रवाई करते हुए करीब 100 छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया और यूनिवर्सिटी कैंपस से दूर ले जाकर छोड़ दिया. साथ ही एक दर्जन से ज्यादा वाहनों को भी जब्त किया गया. वहीं, एनएसयूआई के छात्र नेता मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए सीएमआर पहुंचे हैं.
छात्र संगठनों का आरोप : एनएसयूआई प्रदेश प्रवक्ता अमरदीप परिहार ने दावा किया कि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने छात्र संघ चुनाव कराए जाने पर असहमति जाहिर की. उन्होंने ही छात्र संघ चुनाव कराए जाने पर न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू नहीं हो पाने का हवाला दिया. वर्तमान में विश्वविद्यालय में एकेडमिक सेशन भी तहस-नहस हो रखा है, इस वजह से ये फैसला लिया गया है.
एनएसयूआई हार रही, इसलिए चुनाव रद्द : छात्र नेता कोमल मोहनपुरिया ने कहा कि रातों-रात ये ऑर्डर निकाला गया. क्या सरकार को ये नहीं पता था कि छात्र नेता चुनाव के नाम पर एमएलए चुनाव जितना पैसा खर्च कर रहे हैं? जब इलेक्शन नजदीक आ गए तब इस तरह का फैसला लिया गया. यदि इतना पैसा खर्च हो रहा है, तो इसमें भी प्रशासन की नाकामी है. उन्होंने आरोप लगाया कि छात्र संघ चुनाव इसलिए रद्द कराए जा रहे हैं, क्योंकि हर जगह एनएसयूआई हार रही है. यदि विधानसभा चुनाव से पहले एनएसयूआई कैंपस में हारती है तो इसका गलत मैसेज जाएगा.
कांग्रेस सरकार को डर सता रहा : छात्र नेता कमल चौधरी ने बताया कि सरकार छात्र नेताओं से डरी हुई है. उनको लग रहा है कि एनएसयूआई इस बार काफी कमजोर है. यहां लगातार निर्दलीय जीत कर आ रहे हैं और हो सकता है कि इस बार भी निर्दलीय का परचम फहरता. उन्होंने अशोक गहलोत के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि छात्र लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन कर रहे हैं, तो उन पर कार्रवाई करें. ऐसा नहीं है कि सिर्फ छात्र नेता पैसे खर्च करते हैं, एमएलए-एमपी भी अपने चुनाव में पैसा खर्च करते हैं, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं करते? उन्हें डर है कि जो नई पीढ़ी राजनीति की शुरुआत कर रही है, इससे उनके परिवार वालों को नुकसान होगा.
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छात्रों पर बरती जा रही निगरानी : यूनिवर्सिटी कैंपस के बाहर मौजूद एडिशनल कमिश्नर राष्ट्रदीप ने बताया कि रविवार को यूनिवर्सिटी और कॉलेज बंद है. केवल हॉस्टल में रहने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी कैंपस में प्रवेश दिया जा रहा है. पुलिस प्रशासन के पास इनपुट है कि छात्र कहीं भी उपद्रव कर सकते हैं, इसलिए विशेष सतर्कता रखी जा रही है. सरकार ने इस बार छात्र संघ चुनाव नहीं करने का फैसला लिया है, इसके विरोध में छात्रों की ओर से प्रदर्शन का इनपुट आ रहा है, जिसे देखते हुए निगरानी बरती जा रही है.
आम जनता नहीं होनी चाहिए प्रभावित : उन्होंने कहा कि छात्र राजनीति कॉलेज और यूनिवर्सिटी के अंदर होती है. रोड पर आम जनता की गतिविधियों को प्रभावित करने वाला कोई भी एक्ट एक्सेप्ट नहीं किया जाएगा. छात्रों को रोड पर प्रदर्शन करने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं दी जाएगी. इसके साथ ही छात्र संगठनों से वार्ता भी की जा रही है. उनसे संवैधानिक तरीके से विरोध करने को कहा है. ये बात जब वो समझ जाएंगे, तो पुलिस जाप्ता हटा लिया जाएगा.
झालावाड़ में जमकर प्रदर्शन : छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाने के फैसले के विरोध में झालावाड़ में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने रविवार को पीजी कॉलेज के बाहर जमकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान एबीवीपी पदाधिकारियों ने कहा कि यदि जल्द ही छात्र चुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं किया जाता है, तो एबीवीपी छात्र संगठन उग्र आंदोलन को मजबूर हो जाएगा. एबीवीपी संयोजक अंकित गुर्जर ने कहा कि आगामी समय में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले छात्र संघ चुनाव होना प्रस्तावित थे. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार को डर था कि छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी भारी पड़ेगी, जिसके कारण आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान हो सकता है. ऐसे में प्रदेश सरकार ने छात्र संघ चुनावों को रद्द कर दिया.