जयपुर. राजस्थान विधानसभा के चौथे सत्र के दूसरे दिन शनिवार को CAA के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया जाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कैबिनेट ने निर्णय के खिलाफ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सदन के पटल पर CAA के खिलाफ प्रस्ताव को रखा था. अब शनिवार को इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी और सत्ता पक्ष बहुमत के साथ इसे पास कराने की कोशिश करेगा.
लेकिन सदन में इससे ठीक पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने CAA के खिलाफ प्रस्ताव को गलत बताया. उन्होंने कहा, कि भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं पर जुल्म हो रहे हैं. ये परेशान लोग नागरिकता पाना चाहते है. लेकिन कानूनी पेंच इतना कठिन था, कि उन्हें नागरिकता लेने में 11 साल से ज्यादा लग जाता था.
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ऐसे में केंद्र सरकार ने इस कानून का सरलीकरण किया. जब पूरा देश इस कानून का समर्थन कर रहा है, तो विपक्ष को उस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.
राष्ट्रपति शासन की मांग पर कटारिया ने साफ कहा, कि देश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की जरूरत नहीं है. राजस्थान में गहलोत सरकार भले ही विधानसभा में प्रस्ताव पारित करे. लेकिन यह कानून लागू करना ही पड़ेगा, ''चाहे रो कर मानो तो ठीक या हंसकर मानो तो ठीक''.
कटारिया ने कहा, कि ये किसी को पता नहीं था, कि गांधी जी के चेले इस तरह से देश में हिंसा का माहौल बनाएंगे.
वहीं कांग्रेस के विधायक अमीन कागजी ने कहा, कि मोदी सरकार जो संशोधन कानून लेकर आई है, वह लोगों को धर्म के नाम पर बांटता है. इसलिए राजस्थान सरकार की तरफ से विधानसभा में CAA के खिलाफ प्रस्ताव लाया जा रहा है.
अमीन कागजी ने ये भी कहा, कि देशभर में लोग CAA का विरोध कर रहे हैं. लोगों की भावनाओं को देखते हुए ही गहलोत सरकार विधानसभा में प्रस्ताव लेकर आ रही है. अमीन कागजी के मुताबिक देशभर में उठे विरोध को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार को हठधर्मिता छोड़ते हुए इस कानून में फिर से संशोधन करना चाहिए.