जयपुर. राजधानी में रविवार को प्रदेशभर के स्कूल संचालक एकत्रित हुए. इन लोगों ने सरकार की शिक्षा नीतियों का विरोध किया. प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन ने इसकी अगुवाई की. प्राइवेट स्कूल संचालकों ने प्राइवेट एजुकेशन इंस्टीट्यूशन रेगुलेटरी अथॉरिटी बिल 2023 में प्रस्तावित नियमों पर नाराजगी जताई. साथ ही शिक्षा विभाग की ओर से जारी आरटीई में प्रवेश प्रक्रिया का विरोध किया.
प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के कोर कमेटी मेंबर्स संदीप बख्शी ने बताया कि राजस्थान सरकार प्राइवेट स्कूलों पर नियंत्रण के लिए बिल लाने जा रही है. जिसके लिए सरकार ने विनियामक प्राधिकरण का गठन किया है, जिसमें समावेशित कुछ नियमों को लेकर प्राइवेट स्कूलों में काफी रोष है. उन्होंने कहा कि बिल के अनुसार, कमेटी के खर्चों को चलाने के लिए राजस्थान के प्रत्येक प्राइवेट स्कूल की कुल फीस का 1 प्रतिशत पैसा सरकार लेगी.
उन्होंने कहा कि अगर कमेटी किसी स्कूल पर कोई भी दंड का प्रावधान करती है, तो उसकी सुनवाई का अधिकार किसी भी सिविल कोर्ट को नहीं होगा. साथ ही शिक्षा विभाग ने हाल ही में निजी स्कूलों को नोटिस जारी करके आरटीई के तहत प्री प्राइमरी कक्षाओं नर्सरी, केजी और प्रेप तीनों कक्षाओं में मौजूदा विद्यार्थियों की संख्या की 25 प्रतिशत सीटों पर साल 2022- 23 के लिए छात्रों को प्रवेश देने का तुगलकी फरमान जारी किया है, जो कि आरटीई एक्ट का सीधा उल्लंघन है.
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संदीप बख्शी के मुताबिक, एसोसिएशन ने सरकार के निर्णय को स्कूलों की स्वायत्तता पर सीधी कहा है. साथ ही इन प्रावधानों को अमानवीय और अनुचित बताया है. काले कानूनों की संज्ञा दी गई है. एसोसिएशन की ओर से चेतावनी दी गई है कि इन प्रावधानों को हटाया नहीं गया तो प्रदेश स्तर पर आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट का भी सहारा लिया जाएगा. रविवार को राजधानी जयपुर में कई जिलों के करीब 150 से अधिक प्राइवेट स्कूल संचालक पहुंचे. सरकार की ओर से इस नीति को लागू किया गया तो प्रदेश के करीब 33 जिलों के लगभग 70 से 80 हजार स्कूल बंद हो जाएंगे.