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Right to Health Bill के विरोध में उतरे निजी चिकित्सकों पर सिविल सोसायटी ने कहा ये स्वास्थ्य अधिकारों का हनन

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Published : Feb 11, 2023, 11:00 PM IST

निजी चिकित्सकों और संस्थानों की ओर से राइट टू हेल्थ बिल के विरोध पर (private doctors oppose right to health bill) सिविल सोसायटी का कहना है कि यह विरोध स्वास्थ्य अधिकारों का हनन करने जैसा है.

private doctors oppose right to health bill, civil society says it is against health rights
Right to Health Bill के विरोध में उतरे निजी चिकित्सकों पर सिविल सोसायटी ने कहा ये स्वास्थ्य अधिकारों का हनन

जयपुर. प्रदेश में राइट टू हेल्थ बिल 2022 को लेकर सिविल सोसाइटी और निजी चिकित्सक संगठन आमने-सामने हो गए. एक और जहां बिल के विरोध में निजी चिकित्सकों ने आज हड़ताल करके विरोध मार्च निकाला, वहीं दूसरी ओर सिविल सोसायटी ने इस विरोध को पूरी तरीके से अनैतिक बताते हुए कहा कि निजी चिकित्सकों की ओर से राइट टू हेल्थ बिल का विरोध करना मतलब आम आदमी के स्वास्थ्य के अधिकारों का हनन करना है. जो कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 47 में मिले हुए हैं.

100 से अधिक संगठनों जताई आपत्ति: राजस्थान के 100 से अधिक नागरिक समाज संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान, SR अभियान और PUCL राजस्थान के सदस्य ने निजी चिकित्सकों की ओर से शनिवार को की गई हड़ताल और विरोध को पूरी तरीके से अनैतिक बताया. उन्होंने कहा कि मेडिकल एसोसिएशनों की ओर से राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक, 2022 विधानसभा में पेश किए जाने के विरोध में सभी निजी प्रतिष्ठानों, अस्पताल/क्लीनिक सहित आपातकालीन सेवाओं को बंद करके हड़ताल पर जाने के अनैतिक आह्वान हैं.

पढ़ें: Right To Health Bill Protest: राइट टू हेल्थ बिल का विरोध, सड़क पर उतरे प्रदेशभर के चिकित्सक

इसलिए अस्वीकृति: सिविल सोसायटी ने कहा कि सर्वप्रथम पेश किया गया बिल अनिवार्य रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए है, जो सरकार की ओर टैक्स के पैसों से अपनी जनसंख्या आधारित प्राथमिक, माध्यमिक (सेकेण्डरी), तृतीयक (टर्शरी) और सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थानों के विशाल नेटवर्क के माध्यम से सभी प्रकार की निवारक, उपचारात्मक और स्वास्थ्य संवर्धन सेवाएं प्रदान करने के लिए बाध्य है.

इस बिल का निजी स्वास्थ्य संस्थानों से कोई लेना-देना नहीं है, सिवाय ट्रॉमा से संबंधित आपातकालीन सेवाओं के, जिनके लिए राज्य सरकार पहले ही उनकी प्रतिपूर्ति के लिए एक कोष बनाने पर सहमत हो चुकी है. इसे सुव्यवस्थित करने से न केवल जनता को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में मदद मिलेगी, बल्कि साथ-साथ डॉक्टरों, नर्सों और सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, सार्वजनिक और निजी, दोनों को ताकत वालों के अनुचित और अनैतिक दबाव से राहत के माध्यम से बड़ी सहायता भी प्रदान करता है.

पढ़ें: Right to Health बिल पर मचा बवाल, मंत्री खाचरियावास बोले- स्वास्थ्य अधिकार कानून लाकर रहेंगे

बिल का विरोध मतलब गरीब को और गरीब करना: सिविल सोसायटी ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम आवश्यक है क्योंकि स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच में सुधार के लिए शुरू की गई कई योजनाओं के बावजूद, लोग अपनी जेब से खर्चे का 50% से अधिक खर्च करते हैं. इसके कारण राज्य के लगभग 29 लाख लोग हर साल गरीबी की तरफ धेकेले जाते हैं. यह उन 50% से अलग और अधिक है जो पहले से ही गरीबी में जी रहे हैं और उनके पास तब तक कोई पैसा खर्च करने की क्षमता नहीं है जब तक कि उनके भोजन के सेवन में कटौती नहीं की जाती है. दूसरी तरफ, लगभग सभी डॉक्टर राज्य के 1% सबसे अमीर लोगों की श्रेणी में हैं.

पढ़ें: अब IMA का विरोध, राष्ट्रीय अध्यक्ष बोले- बिना सोचे समझे, कॉपी-पेस्ट कर बनाया राइट टू हेल्थ बिल

आम जनता गुमराह न हो: यह विधेयक राज्य के सभी लोगों के लिए उनके स्वास्थ्य की रक्षा करने और उन्हें समय से पहले होने वाली मृत्यु दर और जेब से भारी खर्च के माध्यम से गरीबी में धकेले जाने से रोकने के लिए है. इसलिए बिल का कोई भी विरोध आम लोगों के सम्मान के साथ स्वास्थ्य सेवा तक उनकी पहुंच के हित के खिलाफ होगा. सोसायटी ने राज्य के सभी आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि अधिनियम के व्यापक रूप से गलत सूचनाओं के विरोध से गुमराह न हों.

जयपुर. प्रदेश में राइट टू हेल्थ बिल 2022 को लेकर सिविल सोसाइटी और निजी चिकित्सक संगठन आमने-सामने हो गए. एक और जहां बिल के विरोध में निजी चिकित्सकों ने आज हड़ताल करके विरोध मार्च निकाला, वहीं दूसरी ओर सिविल सोसायटी ने इस विरोध को पूरी तरीके से अनैतिक बताते हुए कहा कि निजी चिकित्सकों की ओर से राइट टू हेल्थ बिल का विरोध करना मतलब आम आदमी के स्वास्थ्य के अधिकारों का हनन करना है. जो कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 47 में मिले हुए हैं.

100 से अधिक संगठनों जताई आपत्ति: राजस्थान के 100 से अधिक नागरिक समाज संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान, SR अभियान और PUCL राजस्थान के सदस्य ने निजी चिकित्सकों की ओर से शनिवार को की गई हड़ताल और विरोध को पूरी तरीके से अनैतिक बताया. उन्होंने कहा कि मेडिकल एसोसिएशनों की ओर से राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक, 2022 विधानसभा में पेश किए जाने के विरोध में सभी निजी प्रतिष्ठानों, अस्पताल/क्लीनिक सहित आपातकालीन सेवाओं को बंद करके हड़ताल पर जाने के अनैतिक आह्वान हैं.

पढ़ें: Right To Health Bill Protest: राइट टू हेल्थ बिल का विरोध, सड़क पर उतरे प्रदेशभर के चिकित्सक

इसलिए अस्वीकृति: सिविल सोसायटी ने कहा कि सर्वप्रथम पेश किया गया बिल अनिवार्य रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए है, जो सरकार की ओर टैक्स के पैसों से अपनी जनसंख्या आधारित प्राथमिक, माध्यमिक (सेकेण्डरी), तृतीयक (टर्शरी) और सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थानों के विशाल नेटवर्क के माध्यम से सभी प्रकार की निवारक, उपचारात्मक और स्वास्थ्य संवर्धन सेवाएं प्रदान करने के लिए बाध्य है.

इस बिल का निजी स्वास्थ्य संस्थानों से कोई लेना-देना नहीं है, सिवाय ट्रॉमा से संबंधित आपातकालीन सेवाओं के, जिनके लिए राज्य सरकार पहले ही उनकी प्रतिपूर्ति के लिए एक कोष बनाने पर सहमत हो चुकी है. इसे सुव्यवस्थित करने से न केवल जनता को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में मदद मिलेगी, बल्कि साथ-साथ डॉक्टरों, नर्सों और सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, सार्वजनिक और निजी, दोनों को ताकत वालों के अनुचित और अनैतिक दबाव से राहत के माध्यम से बड़ी सहायता भी प्रदान करता है.

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बिल का विरोध मतलब गरीब को और गरीब करना: सिविल सोसायटी ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम आवश्यक है क्योंकि स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच में सुधार के लिए शुरू की गई कई योजनाओं के बावजूद, लोग अपनी जेब से खर्चे का 50% से अधिक खर्च करते हैं. इसके कारण राज्य के लगभग 29 लाख लोग हर साल गरीबी की तरफ धेकेले जाते हैं. यह उन 50% से अलग और अधिक है जो पहले से ही गरीबी में जी रहे हैं और उनके पास तब तक कोई पैसा खर्च करने की क्षमता नहीं है जब तक कि उनके भोजन के सेवन में कटौती नहीं की जाती है. दूसरी तरफ, लगभग सभी डॉक्टर राज्य के 1% सबसे अमीर लोगों की श्रेणी में हैं.

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आम जनता गुमराह न हो: यह विधेयक राज्य के सभी लोगों के लिए उनके स्वास्थ्य की रक्षा करने और उन्हें समय से पहले होने वाली मृत्यु दर और जेब से भारी खर्च के माध्यम से गरीबी में धकेले जाने से रोकने के लिए है. इसलिए बिल का कोई भी विरोध आम लोगों के सम्मान के साथ स्वास्थ्य सेवा तक उनकी पहुंच के हित के खिलाफ होगा. सोसायटी ने राज्य के सभी आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि अधिनियम के व्यापक रूप से गलत सूचनाओं के विरोध से गुमराह न हों.

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