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स्पेशल: करीब 25 हजार से अधिक पक्षियों की मौत बनी पहेली, वन मंत्री ने कहा- बीजेपी ने ही इस तरह की कंपनियों को दिया था काम

देश के सबसे बड़े खारे पानी की सांभर झील में हो रहे भीषण त्रासदी में पक्षियों के मरने को लेकर अब सांभर सांल्ट और निजी कंपनी पर सवालियां निशान लग रहे हैं. इन कंपनियों ने इस घटना की सूचना प्रशासन और सरकार को ना देकर इसे नजर अंदाज किया, जिसके परिणाम में इस हादसे ने विकराल रूप ले लिया.

death of birds in Sambhar lake news , सांभर झील में पक्षियों की मौत
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Published : Nov 20, 2019, 1:17 PM IST

जयपुर. देशी-विदेशी परिंदों का स्वर्ग माने जाने वाली देश की खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील ही परिंदों की कब्रगाह बन गई है. लेकिन झील में इन हजारों परिंदों के वजह से पर्यटन और होटल आदि से कमाई कर रही कंपनियों ने इसकी सूचना प्रशासन और सरकार तक पहुंचाना उचित नहीं समझा. सांभर साल्ट और एक निजी कंपनी के नुमाइंदों ने पक्षियों की अज्ञात कारणों से मरने की जानकारी तक किसी को नहीं दी.

कंपनियों पर पक्षियों के मरने की सूचना ना देने का आरोप

बता दें कि सांभर झील में हो रही इस भयानक त्रासदी की जानकारी भी प्रशासन और सरकार को मीडिया के जरिए ही मिली. झील में लगातार हो रही प्रवासी पक्षियों की मौत का मामला सभी को हैरान करने वाला है. लेकिन उससे भी बड़ी हैरानी की बात यह है कि पक्षियों के आश्चयजनक तरीके से मरने की सूचना प्रशासन को सीधे ना मिलकर मीडिया के जरिए मिली. झील का कामकाज देख रही सांभर साल्ट, पर्यटन और रिसोर्ट अन्य गतिविधियों से पैसा कमा रही निजी कंपनी ने इस ओर न तो ध्यान दिया और न ही इस त्रासदी की सूचना प्रशासन या सरकार तक पहुंचाई.

ये पढ़ेंः प्रवासी पक्षियों की कब्रगाह बनी सांभर झील, ग्राउंड जीरो से ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

यहां तक कि वन और पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई सांभर झील के दौरे के दौरान खुद यह बात कह चुके हैं. वहीं स्वयंसेवी संस्था और संगठनों के प्रतिनिधि भी अब यही सवाल उठा रहे हैं. सांभर झील में परिंदों की मौत का सिलसिला अब भी जारी है. इसके क्या कारण है? यह फिलहाल खोज का विषय है और लैब से सैंपल रिपोर्ट आने के बाद ही सही निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है. लेकिन स्थानीय विधायक निर्मल कुमावत भी इस घटना के लिए किसी एक की नहीं बल्कि कई पक्षों की गलती मानते हैं.

ये पढ़ेंः 'बोटूलिज्म' से हुई हजारों विदेशी पक्षियों की मौत, उपचार के लिए बनाए जा रहे चार रेस्क्यू सेंटर

सांभर झील में अब तक करीब 25 हजार देशी-विदेशी परिंदों की मौत हो चुकी है और यह सिलसिला अभी भी जारी है. बावजूद इसके इस स्थान से मोटी कमाई करने वाली निजी कंपनी ने आज तक परिंदों को बचाने या रेस्क्यू में प्रशासन की किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की. वहीं यदि परिंदों की मौत की जानकारी सही समय पर यहां का कामकाज देखने वाली ये कंपनी प्रशासन को दे देती तो संभवतः मरने वाले परिंदों की संख्या हजारों में नहीं जाती. वहीं समय रहते ही इस स्थिति पर काबू पाया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

जयपुर. देशी-विदेशी परिंदों का स्वर्ग माने जाने वाली देश की खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील ही परिंदों की कब्रगाह बन गई है. लेकिन झील में इन हजारों परिंदों के वजह से पर्यटन और होटल आदि से कमाई कर रही कंपनियों ने इसकी सूचना प्रशासन और सरकार तक पहुंचाना उचित नहीं समझा. सांभर साल्ट और एक निजी कंपनी के नुमाइंदों ने पक्षियों की अज्ञात कारणों से मरने की जानकारी तक किसी को नहीं दी.

कंपनियों पर पक्षियों के मरने की सूचना ना देने का आरोप

बता दें कि सांभर झील में हो रही इस भयानक त्रासदी की जानकारी भी प्रशासन और सरकार को मीडिया के जरिए ही मिली. झील में लगातार हो रही प्रवासी पक्षियों की मौत का मामला सभी को हैरान करने वाला है. लेकिन उससे भी बड़ी हैरानी की बात यह है कि पक्षियों के आश्चयजनक तरीके से मरने की सूचना प्रशासन को सीधे ना मिलकर मीडिया के जरिए मिली. झील का कामकाज देख रही सांभर साल्ट, पर्यटन और रिसोर्ट अन्य गतिविधियों से पैसा कमा रही निजी कंपनी ने इस ओर न तो ध्यान दिया और न ही इस त्रासदी की सूचना प्रशासन या सरकार तक पहुंचाई.

ये पढ़ेंः प्रवासी पक्षियों की कब्रगाह बनी सांभर झील, ग्राउंड जीरो से ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

यहां तक कि वन और पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई सांभर झील के दौरे के दौरान खुद यह बात कह चुके हैं. वहीं स्वयंसेवी संस्था और संगठनों के प्रतिनिधि भी अब यही सवाल उठा रहे हैं. सांभर झील में परिंदों की मौत का सिलसिला अब भी जारी है. इसके क्या कारण है? यह फिलहाल खोज का विषय है और लैब से सैंपल रिपोर्ट आने के बाद ही सही निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है. लेकिन स्थानीय विधायक निर्मल कुमावत भी इस घटना के लिए किसी एक की नहीं बल्कि कई पक्षों की गलती मानते हैं.

ये पढ़ेंः 'बोटूलिज्म' से हुई हजारों विदेशी पक्षियों की मौत, उपचार के लिए बनाए जा रहे चार रेस्क्यू सेंटर

सांभर झील में अब तक करीब 25 हजार देशी-विदेशी परिंदों की मौत हो चुकी है और यह सिलसिला अभी भी जारी है. बावजूद इसके इस स्थान से मोटी कमाई करने वाली निजी कंपनी ने आज तक परिंदों को बचाने या रेस्क्यू में प्रशासन की किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की. वहीं यदि परिंदों की मौत की जानकारी सही समय पर यहां का कामकाज देखने वाली ये कंपनी प्रशासन को दे देती तो संभवतः मरने वाले परिंदों की संख्या हजारों में नहीं जाती. वहीं समय रहते ही इस स्थिति पर काबू पाया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

Intro:special report
सांभर झील में पर्यटन से जो कंपनी कर रही कमाई उसने आखिर क्यों नहीं दी इस त्रासदी की प्रशासन को सूचना

सांभर साल्ट ने चंद्रा कंपनी को सब लेट गया था यह काम, केवल कमाई में ही लगी रही कंपनी

वन मंत्री ने भी कोठाई सवाल,कहा- बीजेपी ने ही इस तरह की कंपनियों को दिया था काम

जयपुर (इंट्रो)
देसी विदेशी परिंदों का स्वर्ग माने जाने वाली देश की खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील परिंदों की ही कब्रगाह बन गई लेकिन पल पल अज्ञात कारणों से मर रहे हजारों परिंदों पर सांभर झील में पर्यटन गतिविधियों और होटल आदि के जरिए कमाई कर रही सांभर साल्ट और एक निजी कंपनी नुमाइंदों ने इसकी सूचना प्रशासन और सरकार तक पहुंचाना उचित नहीं समझा। यार बता दे सांभर साल्ट में हो रही इस तरह से जी की सूचना भी मीडिया के जरिए ही सरकार और प्रशासन के कानों तक पहुंची है।


देश में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील में लगातार हो रही प्रवासी पक्षियों की मौत का मामला सभी को हैरान करने वाला है लेकिन उससे भी बड़ी हैरानी की बात यह है की पक्षियों की इस तरह सीधी की सूचना प्रशासन को भी मीडिया के जरिए मिली जबकि झील का कामकाज देख रही सांभर साल्ट और यहां पर्यटन,रिसोर्ट अन्य गतिविधियों से पैसा कमा रही निजी कंपनी ने इस ओर न तो ध्यान दिया और ना ही इस त्रासदी की सूचना प्रशासन को सरकार तक पहुंचाई। खुद वन व पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई सांभर झील के दौरे के दौरान यह बात कह चुके हैं। वही स्वयंसेवी संस्था और संगठनों के प्रतिनिधि भी अब यही सवाल उठा रहे हैं।

बाईट- महिपाल सिंह मकराना, प्रदेश अध्यक्ष करणी सेना

सांभर झील में परिंदों की मौत का सिलसिला अब भी जारी है। इसके क्या कारण है यह फिलहाल खोज का विषय है और लेब से सैंपल रिपोर्ट आने के बाद ही सही निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। लेकिन स्थानीय विधायक निर्मल कुमावत भी इस घटना के लिए किसी एक की नहीं बल्कि कई पक्षों की गलती मानते हैं।

बाईट- निर्मल कुमावत,भाजपा विधायक,फुलेरा

सांभर झील में अब तक करीब 25 हजार देसी विदेशी परिंदों की मौत हो चुकी है और यह सिलसिला आज भी जारी है। बावजूद इसके इस स्थान से मोटी कमाई करने वाली चंद्रा कंपनी ने आज तक परिंदों को बचाने या रेस्क्यू में किसी प्रकार की कोई मदद प्रशासन की नहीं की। वही यदि परिंदों की मौत की जानकारी सही समय पर यहां का कामकाज देखने वाली ये कंपनी प्रशासन को दे देती तो संभव था जितनी संख्या में परिंदे मरे हैं वह संख्या हजारों में नहीं जाती और समय रहते हैं इस स्थिति पर काबू पाया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

(Edited vo pkg)




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