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प्रमुख विधि सचिव का आदेश, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सभी मुकदमों में उपस्थिति सुनिश्चित करें एएजी - etv bharat Rajasthan news

प्रमुख विधि सचिव ने एएजी को आदेश जारी (Principal Law Secretary order to AAG) किया है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सभी मुकदमों में उपस्थिति सुनिश्चित की जाए. यह भी आदेश दिया है कि खुद ही पैरवी के लिए जाएं और जूनियर या असिस्टेंट को नहीं भेजें.

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Published : Nov 17, 2022, 9:24 PM IST

जयपुर. प्रमुख विधि सचिव ने एक आदेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ और जयपुर पीठ में राज्य सरकार की ओर (Principal Law Secretary order to AAG) से पैरवी करने वाले एएजी को कहा है कि वे उन्हें दिए केसों मेें खुद ही पैरवी के लिए जाएं और जूनियर या असिस्टेंट को नहीं भेजें. प्रमुख विधि सचिव प्रवीर भटनागर ने आदेश में कहा है कि एएजी उन्हें चिन्हित किए सभी केसों में व्यक्तिगत उपस्थिति सुनिश्चित करें और इसमें चूक होने को गंभीर मानते हुए उचित कार्रवाई भी की जाएगी.

सरकारी आदेश में कहा गया है कि आमतौर पर यह सामने आया है कि एएजी को पैरवी करने के लिए दिए अधिकतर केसों में उनके जूनियर या असिस्टेंट एडवोकेट्स उनकी ओर से पैरवी करने के लिए उपस्थित होते हैं. एएजी के इस रवैये पर अधिकतर सरकारी विभागों ने भी निराशा जताई है. जबकि राज्य सरकार के प्रशासनिक और वित्तीय हितों को ध्यान में रखते हुए ही महत्वपूर्ण मामलों में एएजी को पैरवी के लिए नियुक्त किया जाता है. वहीं उनसे यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे प्रभावी तरीके से राज्य के हित में मुकदमे में बचाव करेंगे. मुकदमों में उनके अनुभव का भी फायदा मिल सकेगा.

जयपुर. प्रमुख विधि सचिव ने एक आदेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ और जयपुर पीठ में राज्य सरकार की ओर (Principal Law Secretary order to AAG) से पैरवी करने वाले एएजी को कहा है कि वे उन्हें दिए केसों मेें खुद ही पैरवी के लिए जाएं और जूनियर या असिस्टेंट को नहीं भेजें. प्रमुख विधि सचिव प्रवीर भटनागर ने आदेश में कहा है कि एएजी उन्हें चिन्हित किए सभी केसों में व्यक्तिगत उपस्थिति सुनिश्चित करें और इसमें चूक होने को गंभीर मानते हुए उचित कार्रवाई भी की जाएगी.

सरकारी आदेश में कहा गया है कि आमतौर पर यह सामने आया है कि एएजी को पैरवी करने के लिए दिए अधिकतर केसों में उनके जूनियर या असिस्टेंट एडवोकेट्स उनकी ओर से पैरवी करने के लिए उपस्थित होते हैं. एएजी के इस रवैये पर अधिकतर सरकारी विभागों ने भी निराशा जताई है. जबकि राज्य सरकार के प्रशासनिक और वित्तीय हितों को ध्यान में रखते हुए ही महत्वपूर्ण मामलों में एएजी को पैरवी के लिए नियुक्त किया जाता है. वहीं उनसे यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे प्रभावी तरीके से राज्य के हित में मुकदमे में बचाव करेंगे. मुकदमों में उनके अनुभव का भी फायदा मिल सकेगा.

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