जयपुर. सीएम अशोक गहलोत की ओर से विधानसभा में जयपुर शहर के दो हिस्से कर दो नए जिले बनाने की घोषणा के बाद जयपुर को एक ही बने रहने देने के लिए मुहिम चलाई जा रही है. 'म्हारो जयपुर प्यारो जयपुर' नाम से शुरू की गई इस मुहिम से जुड़े लोग रविवार को जयपुर के दीवान कहे जाने वाले गोविंद देव जी मंदिर पहुंचे और भगवान से शहर को दो हिस्सों में बंटने से रोकने के लिए प्रार्थना की. साथ ही इस मुहिम से शहर वासियों को जोड़ने के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया.
मुख्यमंत्री ने चुनावी वर्ष में जयपुर को चार हिस्सों में बांटने की घोषणा की जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, दूदू और कोटपुतली इन नए जिलों की घोषणा के क्रियान्वयन से शहर की भौगोलिक राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिति पूरी तरह बदल जाएगी. खासकर जिस तरह जयपुर शहर को दो भागों में बांटने के कयास लगाए जा रहे हैं. जिसके अनुसार जयपुर उत्तर में सिविल लाइंस आदर्श नगर किशनपुर हवामहल और आमिर के साथ चौमूं, शाहपुरा और जमवारामगढ़ के हिस्से को शामिल किया जाएगा, जबकि जयपुर दक्षिण में झोटवाड़ा विद्याधर नगर सांगानेर मालवीय नगर बगरू के साथ बस्ती और चाकसू को मिलाए जाने की याद लगाए जा रहे हैं.
शहर को इस तरह दोस्तों में बांटने को लेकर अब विरोध तेज होता जा रहा है. इसीलिए शहर वासियों ने मिलकर एक मुहिम शुरू की है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों के नेता और प्रबुद्ध जन भी जुड़े हैं. मुहिम के तहत रविवार को जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में पहुंच कर भगवान से गुहार लगाई गई. साथ ही हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया.
अभियान से जुड़े बीजेपी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील कोठारी ने बताया कि अब तक इस अभियान में जयपुर के लगभग सभी जन प्रतिनिधियों से जयपुर को एक ही रखने के लिए ज्ञापन देकर सरकार से इस विषय पर पुनर्विचार करने के लिए आग्रह कर चुके हैं. सभी जन प्रतिनिधि इस बात से सहमत भी है की जयपुर के दोनों निगमों के 250 वार्डों की सीमाओं को सम्मिलित करते हुए जयपुर के नाम से सिर्फ एक जिला रहना चाहिए. उन्होंने अपील की कि दोनों निगमों की सीमा से बाहर बचे हुए जयपुर को सरकार चाहे जितने जिले बना दें और जयपुर के अलावा कोई भी नाम इन जिलों का रखें, इसमें जयपुर शहर के नागरिकों को कोई आपत्ति नहीं है.
अब इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए सरकार को एक ज्ञापन शीघ्र दिया जाएगा, जिसके लिए आज से जन जागरण अभियान चलाते हुए गोविंद देव जी के मंदिर से हस्ताक्षर अभियान चलाया गया. जिसमें करीब 5 हजार लोगों ने जयपुर को एक रखने की सहमति प्रदान की. ऐसा ही अभियान हर धर्म के प्रत्येक धार्मिक स्थलों पर चलाया जाएगा.