जयपुर. राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में निजी अस्पतालों के डॉक्टर सड़क पर हैं. इनके समर्थन में अब सरकारी डॉक्टर भी खड़े नजर आ रहे हैं. इस बिल को लेकर स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा की अध्यक्षता में बनी प्रवर समिति ने चिकित्सकों से बात की है. हालांकि इस बैठक में कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. अब 15 फरवरी को प्रवर समिति की बैठक होगी. इस बैठक के बाद ही राइट टू हेल्थ बिल को लेकर स्थिति साफ होगी.
प्रवर समिति में सदस्य के तौर पर शामिल पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ ने बैठक में शामिल होने के बाद कहा कि आज डॉक्टर्स की बात सुनी गई है. 15 फरवरी को फिर से प्रवर समिति विधानसभा में बैठेगी और जो सुझाव डॉक्टर्स की ओर से आए हैं, उनपर विचार किया जाएगा. कालीचरण सराफ ने कहा कि डॉक्टर्स को इमरजेंसी की परिभाषा, कोर्ट में जाने के अधिकार नहीं होने और पेमेंट को लेकर कुछ समस्या है. इस पर चर्चा के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
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सराफ ने कहा कि फिलहाल तो सरकार सही मंशा से काम कर रही है. जो बिल सरकार ने तय किया है, वह विधानसभा में आकर रहेगा. उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स की ग्रीवेंस सुनने के लिए उनके प्रतिनिधियों को बुलाया गया था और अब अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि क्या-क्या अमेंडमेंट हैं, जिन्हें शामिल किया जाना है, उस पर 15 फरवरी को ही निर्णय होगा.
विधायक जितेंद्र सिंह ने कहा बिल में कुछ कमियां : बैठक में प्रवर समिति के सदस्य के रूप में शामिल हुए पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ जितेंद्र ने माना कि राइट टू हेल्थ बिल में कुछ कमियां हैं. इसी के चलते विभिन्न प्राइवेट कॉलेज के प्रिंसिपल और प्राइवेट डॉक्टरों को शनिवार को बुलाया गया था. डॉक्टर्स को क्या कुछ प्रॉब्लम हैं, उनसे इस बात पर चर्चा की गई है.
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डॉ जितेंद्र ने कहा कि डॉक्टरों को इमरजेंसी, सोर्स ऑफ पेमेंट को लेकर समस्याओं के साथ ही ज्यूडिशरी में अपील का अधिकार नहीं होने पर भी आपत्ति है. उन्होंने कहा कि अभी बिल फाइनल नहीं हुआ है, उसमें अमेंडमेंट कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना को 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख किया है, उसी तरह वे राइट टू हेल्थ का अधिकार देना चाहते हैं. इसमें डॉक्टर्स की सुरक्षा का भी ध्यान रहे और सरकार की मंशा भी पूरी हो.