जयपुर. राजस्थान में गैस आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की संभावनाओं और गैस आधारित उद्योगों के फायदों पर मंथन के लिए राजस्थान इंडस्ट्रीयल डवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (रीको) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की ओर से गुरुवार को एक कांफ्रेंस का आयोजन किया गया. इस मौके पर प्रदेश की उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि हमारी सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सोच है कि राजस्थान उद्योग के क्षेत्र में पहले नंबर पर हो और एक्सपोर्ट के क्षेत्र में अग्रणी रहे.
मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि अब तक जो भी बजट सरकार ने पेश किए हैं और योजनाएं बनाई हैं. उन पर इस सोच का साफ असर दिखाई देता है. सरकार की इन योजनाओं का ही असर है कि न केवल देश के अलग-अलग प्रदेशों से बल्कि दुनिया के अन्य देशों के उद्यमी भी राजस्थान से जुड़ रहे हैं. राजस्थान न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरा प्रदेश है बल्कि यहां प्रचुर मात्रा में खनिज संसाधन भी मुहैया हैं. ऐसे में यहां उद्योगों को किस प्रकार बढ़ावा दिया जा सकता है. इस दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है.
पढ़ें: रीको के साथ उद्योग मंत्री की समीक्षा बैठक, नये औद्योगिक इलाकों का विकास सुनिश्चित करें- शकुंतला रावत
सेरेमिक उद्योग को बढ़ावा देने पर भी चर्चाः मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि इस कांफ्रेंस में देशभर से उद्यमी पहुंचे हैं. इसके साथ ही सेरेमिक उद्योग को राजस्थान में बढ़ावा देने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं. उस पर भी मंथन होगा. इस उद्योग के लिए जो कच्चा माल चाहिए. उसकी राजस्थान में प्रचुरता है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हर उपखंड पर रीको की ओर से औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने की घोषणा की है. उसी तर्ज पर गैस और केमिकल आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने का भी प्रयास किया जा रहा है. गैस आधारित उद्योगों से प्रदूषण को नियंत्रण करने में भी मदद मिलेगी.
पढ़ें: राजस्थान में 65 हजार करोड़ के निवेश पर संशय, बोलीं उद्योग मंत्री, अडानी से करेंगे बात
इन्वेस्टमेंट समिट के 51 फीसदी उद्योग धरातल पर उतरेः मीडिया से बातचीत में रावत ने कहा कि राजस्थान के कई हिस्सों में गैस सप्लाई की पाइप लाइन बिछी हुई है. इसे और बढ़ावा देने का भी प्रयास किया जा रहा है. राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट में जो एमओयू हुए थे. उनमें से 51 फीसदी उद्योग धरातल पर उतर चुके हैं. हर जिले में जो रोड शो हुए, उनका भी बड़े पैमाने पर असर हुआ है. पारंपरिक उद्योग-धंधे भी सरकार के इस प्रयास से एक बार फिर स्थापित हुए हैं. उद्योग विभाग के अधिकारी संभागों में जाते हैं और वहां उद्यमियों की समस्याओं को सुनकर उनका मौके पर ही निस्तारण करते हैं. इसका भी उद्योग जगत को फायदा मिल रहा है.