जयपुर. संविदा नीति में शामिल किए जाने, यूजीसी नियमों के मुताबिक वेतन दिए जाने की मांग को लेकर राजस्थान विश्वविद्यालय में धरना दे रहे सहायक आचार्यों को खदेड़ने के लिए रविवार को पुलिस ने बल प्रयोग किया. इस दौरान चार सहायक आचार्यों को हिरासत में ले लिया. जबकि इस तनातनी में कुछ को चोटें भी आईं हैं.
राजस्थान सरकार ने 2021 में विद्या संबल योजना की शुरुआत करते हुए प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में 2000 सहायक आचार्य नियुक्त किए थे. हालांकि सत्र पूरा होने से पहले ही आर्ट्स के करीब 300 सहायक आचार्यों को हटा दिया गया. अब कॉमर्स के भी 300 शिक्षकों पर कभी भी गाज गिर सकती है. इसके विरोध में शिक्षक चार सप्ताह से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे. उन्होंने विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले तक मांगे नहीं माने जाने की स्थिति में सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी दी थी.
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रविवार को पुलिस उनका धरना खत्म करवाने पहुंची. शिक्षकों का धरना खत्म करने को लेकर इनकार करने पर उनकी पुलिस के साथ झड़प हो गई. देर तक चली तनातनी के बाद भी जब सहायक आचार्य नहीं माने तो पुलिस ने उनके टेंट उखाड़ दिए और बल प्रयोग करते हुए उन्हें वहां से खदेड़ दिया. इस दौरान कुछ शिक्षकों को चोट भी आई है. पुलिस ने चार सहायक आचार्यों को हिरासत में लिया है.
विद्या संबल योजना के तहत लगाए गए सहायक आचार्य का कहना है कि पूर्व में नियम ये था कि यदि सरकारी कॉलेज में 60 प्रतिशत पद रिक्त हैं तो ही अस्थाई शिक्षक लगाए जा सकेंगे. लेकिन कुछ समय पहले सरकार ने इसमें शिथिलता प्रदान की थी. इसके बाद भी उन्हें हटाया जा रहा है, जो उचित नहीं है. शिक्षकों का कहना है कि राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजना के लिए प्राइवेट कॉलेज में अच्छे वेतनमान को छोड़कर वो राजकीय महाविद्यालयों से जुड़े थे. लेकिन बीच सत्र में ही उन्हें नई नियुक्ति और ट्रांसफर का हवाला देकर हटाया जा रहा है.