जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे के दौरान वहां के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन को एक तोहफा दिया है, जिसमें चंदन की लकड़ी से बने बॉक्स की काफी चर्चा रही. चंदन का यह बॉक्स जयपुर में तैयार किया गया था. बॉक्स को तैयार करने वाला जांगिड़ परिवार पीढ़ियों से इस काम में जुटा हुआ है. ईटीवी भारत ने 'सैंडलवुड कार्विंग' के लिए मशहूर जांगिड़ परिवार के सदस्य मोहित जांगिड़ से खास बातचीत की.
मोहित जांगिड़ ने बताया कि बारीक नक्काशी और राजस्थान की छाप छोड़ने वाली कलाकृतियों को बड़ी महीन कारीगरी के जरिए महीनों की मेहनत के बाद तैयार किया जाता है. उनके दादा मालचंद जांगिड़ और उनके मित्र सिरोहिया परिवार के सदस्यों ने मिलकर इस बॉक्स को बनाया था, जिसे साल 2018 में सेंट्रल कॉटेज को सौंप दिया गया था. सेंट्रल कॉटेज में पीएमओ की एक टीम काम करती है, जो देश भर की नायाब कलाकृतियों को चुनकर उनका कलेक्शन करती है. 2018 में भेजे गए इस बॉक्स को हाल ही में अमेरिका दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से प्रेसिडेंट जो बाइडेन को सौंपे जाने वाले उपहारों में शामिल किया गया.
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दृष्ट सहस्त्र चंद्र का नायाब उपहार : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को 'दृष्ट सहस्त्र चंद्र' नाम से उपहार सौंपा गया है. इस उपहार की विशेषता इसके नाम के अनुरूप ही है. ये आमतौर पर उस शख्स को दिया जाता है, जो एक हजार पूर्णिमा के चंद्रमा को देख चुका हो यानी जिनकी आयु 80 वर्ष और 8 महीने से अधिक हो. सनातन परंपरा के उपहार का नाता हिंदू मान्यता और भारतीय संस्कृति से भी है. 21 इंच लंबे इस बॉक्स पर मोर पंख जैसी आकृतियों को उकेरा गया है. इसके अंदर एक बॉक्स में भगवान गणेश की मूर्ति को भी रखा गया है. पारंपरिक रूप से यह परिवार चंदन की लकड़ी पर कलाकृतियां बनाने का काम करता है, जिन्हें देश-विदेश में पसंद किया जाता है.
पीढ़ियों से चंदन पर काम कर रहा है परिवार : अमेरिकी राष्ट्रपति को सौंपे गए गिफ्ट को मैसूर के चंदन की लकड़ी से बनाया गया है. कलाकार मोहित जांगिड़ के मुताबिक कर्नाटक के मैसूर के आसपास के जंगलों में लगने वाले चंदन में कई विशेषताएं होती हैं. इसमें अधिक मात्रा में पाए जाने वाला तेल कलाकृतियों में फिनिशिंग और चमक के लिहाज से बेहतर होता है. साथ ही इसकी खुशबू भी खास होती है. एक बार स्पर्श के बाद लंबे समय तक हाथ पर इस चंदन की खुशबू रहती है. मोहित जांगिड़ के पिता महेश जांगिड़ ने अपने पिता, दादा चौथमल जांगिड़ और परदादा मालचंद जांगिड़ की विरासत को आगे बढ़ाया है. पहले यह परिवार अपने पैतृक गांव चूरू में इस काम को करता था, फिर परिवार ने जयपुर में कारोबार को आगे बढ़ाया.
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जापानी पीएम को सौंपी गई थी अनूठी कृष्ण पंखी : पिछले साल भारत की यात्रा पर आए जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा को अनूठी कृष्ण पंखी गिफ्ट गई थी. इस पंखी को भी जांगिड़ परिवार ने ही तैयार किया था. यह पंख मोर पंख की आकृति में थी, जिसके अलग-अलग बॉक्स में भगवान कृष्ण की विभिन्न मुद्राओं को दिखाया गया था. मोहित बताते हैं कि उनके पिता ने चंदन से बनी चेन भी बनाई थी, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार मिला था. इस परिवार ने सैंडलवुड कार्विंग से राष्ट्रीय स्तर पर 11 पुरस्कार जीते हैं. एक दौर था जब उनके परदादा और दादा हाथ से हजारों कलाकृतियों को तैयार किया करते थे. आज वर्कशॉप में आधुनिक औजार भी मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि आज भी कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा कलाकृतियों को अपने हाथ से उकेरें.
चौथी पीढ़ी बढ़ा रही है काम को आगे : मोहित जांगिड़ चंदन पर कारीगरी करने वाले परिवार के चौथी पीढ़ी के सदस्य हैं. यह भी प्रदेश स्तर पर पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं. इनके परिवार के हाथ से बनी कलाकृतियों की नुमाइश चीन, दुबई, अमेरिका और अरब देशों में हो चुकी है. मोहित के मुताबिक वे इस काम की बदौलत अमेरिका की यात्रा भी कर चुके हैं. उन्होंने अमेरिकन आर्ट क्लस्टर में एक म्यूजियम में रखी जीसस क्राइस्ट की मूर्ति की रिप्लिका बनाई थी. अब वो क्वीन विक्टोरिया के सिंहासन की रिप्लिका को चंदन की लकड़ी में तैयार कर रहे हैं, जिसके लिए उन्हें और वक्त लगने की उम्मीद है. चंदन की लकड़ी पर कारीगरी करने वाले परिवार के मुताबिक उनके साथ वाले कई लोगों ने परंपरागत सैंडलवुड कार्विंग का काम छोड़ दिया है, लेकिन वे अपनी पूर्वजों से प्रेरणा लेकर इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं.