जयपुर. जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) के जल जीवन मिशन के तहत बिछाई गई पाइप लाइनों के साथ ही भ्रष्टाचार के भी काले कारनामें भी जमीन में दबे हुए हैं. रिश्वत के लेन-देन के आरोप में पकड़े गए अधिकारियों, ठेकेदार और अन्य लोगों से पूछताछ और उनकी कॉल रिकॉर्डिंग में भ्रष्टाचार से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. खास बात यह है कि ठेकेदार दूसरे राज्यों (खासकर हरियाणा) से बड़े पैमाने पर चोरी के पाइप व अन्य सामान कम दाम में खरीदकर लाते हैं और अधिकारियों से मिलीभगत कर उस (चोरी के) माल को राजस्थान के प्रोजेक्ट्स में खपाते हैं. एसीबी ने रिश्वत के लेन-देन के मामले में दर्ज प्राथमिकी में यह खुलासा हुआ है.
दरअसल, एसीबी ने 2.20 लाख रुपए की रिश्वत के लेन-देन के आरोप में गिरफ्तार पीएचईडी के एक्सईएन मायालाल सैनी, एईएन राकेश चौहान, जेईएन प्रदीप कुमार, ठेकेदार पदमचंद जैन, मलकेत सिंह और प्रवीण कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है. इन्हें जयपुर की एक होटल से रविवार को गिरफ्तार किया था. बहरोड़ में किए गए काम के बिल पास करने के बदले रिश्वत के लेन-देन के मामले में इन्हें पकड़ा गया था. इसके साथ ही ठेकेदार पदमचंद जैन के बेटे पीयूष जैन, अन्य ठेकेदार महेश मित्तल, प्राइवेट व्यक्ति उमेश शर्मा के साथ ही अन्य को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है.
कॉल रिकॉर्डिंग में मिले कई अहम सबूत : एसीबी की प्राथमिकी में बताया गया है कि पीएचईडी में घूसखोरी और भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद पदमचंद, महेश मित्तल सहित पांच के मोबाइल नंबर करीब दो महीने से एसीबी की सर्विलांस पर थे. इस पर खुलासा हुआ कि ठेकेदार हरियाणा से कम कीमत पर चोरी के पाइप खरीदते थे और फिर उनका इस्तेमाल राजस्थान में चल रहे परियोजना में करते थे. इसके बदले अधिकारियों को भी भारी भरकम घूस दी जाती थी. ऐसे में बहरोड़ के साथ-साथ इन ठेकेदारों ने जहां-जहां काम किया है. उन प्रोजेक्ट्स पर भी एसीबी की नजर है.
राजस्थान और हरियाणा के अफसरों की मिलीभगत : पीएचईडी में भ्रष्टाचार के इस खेल में ठेकेदार से राजस्थान के अधिकारियों के साथ ही हरियाणा के अधिकारियों की मिलीभगत के भी पुख्ता सबूत मिले हैं. पदमचंद और महेश मित्तल हरियाणा के इंजीनियर्स से मिलीभगत कर वहां से करीब 60 प्रतिशत कीमत पर पाइप खरीदते थे. जिन्हें यहां काम में ले रहे थे. चोरी का माल यहां खपाना पीएचईडी के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है. ऐसे में इसके बदले उन्हें मोटी रिश्वत दी जाती थी.