जयपुर. PM न परीक्षा पर चर्चा में आज बच्चों से लेकर बड़ों तक को प्रतिस्पर्धा, संयम, सामाजिक अपेक्षा जैसे गंभीर विषयों को लेकर व्यावहारिक ज्ञान दिया. स्कूली छात्रों, अभिभावकों और टीचर्स को परीक्षा को लेकर सकारात्मक रूख अख्तियार करने को कहा. छात्रों को टाइम मैनेज करने की कला अपनी मां से सीखने की सलाह दी तो टीचर्स को डंडे के बजाए अपनापन का औजार प्रयोग में लाने का परामर्श दिया.
टाइम बाउंड मंत्र- PM ने परीक्षा पर चर्चा के दौरान एग्जाम और उसके रिजल्ट के तनाव से बचने का सुझाव दिया. साथ ही टाइम बाउंड की बजाय टारगेट बाउंड एग्जाम प्रिपरेशन करने का मंत्र दिया. बच्चों को अपनी मां से टाइम मैनेजमेंट सीखने की सलाह दी. इस दौरान उन्होंने ये स्पष्ट किया कि परिवार में कभी आलोचना नहीं होती, पेरेंट्स टोका टोकी जरूर करते हैं क्योंकि उनकी आपसे अपेक्षा होती है, जो गलत नहीं है.
अभिभावकों से खास अपील- पीएम मोदी ने अभिभावकों से दरख्वास्त की कि अपने बच्चों पर सामाजिक अपेक्षा का दबाव न डालें. वहीं शिक्षकों को नसीहत दी कि विद्यार्थियों के साथ अपनापन बढ़ाएं, डंडे वाला रास्ता न चुनें. इस दौरान उन्होंने तमिल भाषा को सबसे पुरातन भाषा बताते हुए इस पर गर्व करने को कहा. इस संवाद कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पहले डोसा बनाने की विधि सीखने और फिर नॉर्थ इंडिया के लोगों को भी डोसा पसंद होने का उदाहरण देते हुए विविधता में एकता का पाठ पढ़ाया.
जयपुर में बच्चों संग दिखे भाजपा दिग्गज- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परीक्षा पर चर्चा संवाद कार्यक्रम से राजधानी जयपुर में भी कई स्कूलों में बिग स्क्रीन लगाकर छात्रों से जोड़ा गया. इस दौरान मानसरोवर स्थित एक निजी स्कूल में जयपुर शहर सांसद में रामचरण बोहरा, पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी सहित बीजेपी के कई कद्दावर नेता भी शरीक हुए. इस दौरान रामचरण बोहरा ने कहा कि छात्रों में कॉन्फिडेंस डिवेलप हो, छात्र किसी तरह के तनाव में न आएं इसलिए पीएम की ये चर्चा प्रशंसनीय है.
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टेक्नोलॉजी फास्टिंग की बात पसंद आई- चर्चा में छात्रों को ही नहीं बल्कि अध्यापकों और अभिभावकों को भी जोड़ा गया. छात्रों को मोटिवेट करते हुए टेक्नोलॉजी फास्टिंग, जीवन कभी एक स्टेशन पर नहीं रुकता, कॉन्फिडेंस के साथ अपनी परीक्षा सहजता से दें जैसे मंत्र दिए. बोहरा ने कहा कि ये देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जो मन की बात कार्यक्रम करते हैं. परीक्षा पर चर्चा करते हैं. उन्होंने ये सिद्ध किया है कि वो केवल प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि अभिभावक के तौर पर काम कर रहे हैं. जिससे छात्रों में कॉन्फिडेंस लेवल भी बढ़ा है.
टेक्नोलॉजी फास्टिंग की सलाह पर जिस अंदाज में बच्चों ने अपनी बात खुलकर रखी वो भी प्रशंसा लायक है. गैजेट्स पर पीएम ने सलाह दी कि आज छात्रों ने ही गैजेट को उच्च दर्जा दे दिया है. जिसे कम करने की दरकार है. धीरे-धीरे गैजेट का उपयोग कम करना शुरू करना चाहिए. सोशल मीडिया पर ज्यादा समय देना या रील्स देखने के बजाय पढ़ाई की तरफ खुद को आकर्षित करने से ही ये संभव हो पाएगा. छात्रों ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने हर सब्जेक्ट को समय देने की नसीहत दी है. जिस सब्जेक्ट में इंटरेस्ट नहीं है, उसे इंटरेस्ट वाले सब्जेक्ट के साथ पढ़े. उससे कोर्स भी कवर होगा और दूसरे सब्जेक्ट के प्रति इंटरेस्ट भी बढ़ेगा. बच्चों को पीएम का सहज अंदाज पसंद आया.
शिक्षकों की प्री तैयारी पर जौर- शिक्षकों के साथ संवाद में निकल कर आया कि एक शिक्षक होने के नाते उन्हें हमेशा क्लास में पूरी तैयारी के साथ जाना चाहिए और यदि वो तैयारी के साथ पहुंचेंगे तो क्लास अनुशासित होकर नॉलेज प्राप्त करेगी. छात्रों की जिज्ञासा को भी शांत किया जा सकेगा. परीक्षा पर चर्चा संवाद कार्यक्रम के बाद एक शिक्षक ने बताया कि शिक्षा भी एक शिक्षार्थी रहता है, जब तक वो सीखता रहेगा, तभी वो आगे अपनी नॉलेज को छात्रों तक पहुंचा पाएगा. इस दौरान संवाद कार्यक्रम के मूल मंत्रों को लेकर प्रतियोगिता भी आयोजित की गई. जिसमें जूरी के फैसले के आधार पर छात्रों को प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार भी वितरित किए गए.