जयपुर. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में साहित्य, कला, कल्चर के साथ कॉन्ट्रोवर्सी भी हमेशा से जुड़ी रही है. इस बार पठान फिल्म के विरोध पर चर्चा के साथ इसकी शुरुआत हुई. वहीं अब 16 साल पहले से जेएलएफ के सभागारों को लेकर जो नाम जुड़े उन पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है. भाजपा नेताओं की ओर से कार्यक्रम में बनाए गए अलग-अलग टेंटों को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं.
फेस्टिवल में मुगल टेंट को लेकर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया से लेकर अन्य भाजपा नेताओं ने आयोजकों पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि राजस्थान की धरा पर आयोजित इस लिटरेचर फेस्टिवल में लगाए गए टेंट का नाम महाराणा प्रताप, मीराबाई या पन्नाधाय जैसी वीरांगनाओं और वीरों के नाम पर होना चाहिए था, न कि मुगलों के नाम पर. कटारिया की इस बात पर कार्यक्रम के आयोजक संजॉय रॉय ने भी अपनी रखी और कहा कि मुगल टेंट किसी रूलर को रिप्रजेंट नहीं कर रहा, बल्कि इसकी बनावट और आर्किटेक्चर की वजह से इसका नाम मुगल टेंट रखा गया है. ये एक कल्चर और स्तर को प्रदर्शित करता है.
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संजॉय ने बताया कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के बाद सबसे पहले लंदन में जेएलएफ की शुरुआत की गई थी, जिसे इस साल 10 साल पूरे होने जा रहे हैं. साहित्य के साथ-साथ कला संस्कृति और फूड को भी वहां तक ले जाया गया है. इसके अलावा जेएलएफ अमेरिका 7 साल पूरे कर चुका है. जेएलएफ आस्ट्रेलिया को 4 जबकि जेएलएफ दोहा को 2 साल पूरे हो चुके हैं. इसके साथ अब स्पेन में भी जेएलएफ की शुरुआत होने जा रही है.
संजॉय ने बताया कि उनका फोकस ट्रांसलेशन, साहित्य ही नहीं भाषाओं और काम करने के तरीके को भी समझने की कोशिश है. जब तक किसी भी देश के वे ऑफ वर्किंग को नहीं समझते हैं तब तक बिजनेस नहीं किया जा सकता और फिर इनोवेशन करना भी संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि जितनी उम्मीद थी कार्यक्रम में उससे कई गुना ज्यादा लोग शामिल हो रहे हैं. इस कार्यक्रम में करीब 400 जाने-माने इंटरनेशनल स्पीकर शामिल हो रहे हैं. इसके साथ ही युवाओं में खासा उत्साह है.