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Rajasthan Vidhansabha: सदन में संगठित अपराध और एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल हुआ पेश, जानें क्या है इसमें सजा के प्रावधान

राजस्थान विधानसभा के लिए बुधवार का दिन काफी अहम रहा, क्योंकि इस दिन राज्य की गहलोत सरकार की ओर से कई महत्वपूर्ण बिल सदन की पटल पर रखे गए. जिसमें सबसे अहम राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण बिल और एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल है.

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Published : Mar 15, 2023, 8:45 PM IST

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने संगठित अपराध पर नियंत्रण पाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. बुधवार को विधानसभा में राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 पेश किया गया. इस बिल में संगठित अपराध के तहत किसी की मृत्यु होने पर दोषियों को फांसी या उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है. साथ ही बिल में संगठित अपराध की घटना को सोशल मीडिया पर जारी करने पर भी दंड का प्रावधान है. गहलोत सरकार ने इसके साथ ही राजस्थान कारागार विधेयक 2023, राजस्थान गांधी फिनटेक डिजिटल संस्थान विधेयक 2023, राजस्थान विश्वविद्यालय अध्यापक संशोधन विधेयक 2023 और राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट 2023 भी पेश किया.

राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 - प्रदेश में लगातार हो रहे संगठित अपराध की घटनाओं पर नियंत्रण पाने और अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए राज्य सरकार ने विधानसभा में राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 पेश किया. इस विधेयक के जरिए संगठित अपराध को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं. संगठित अपराध की परिभाषा में गिरोह के सदस्य के रूप में आर्थिक या अन्य लाभ की मंशा में की गई हिंसा, धमकी या फिर जबरदस्ती करने को संगठित अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा. जिसमें दो या दो अधिक लोग शामिल हो. इसके साथ ही ऐसा कोई भी सूचना जिसमें संगठित अपराध घटित होने की संभावना हो, ऐसी सूचना सोशल मीडिया पर डालना भी संगठित अपराध की श्रेणी में आएगा.

इसे भी पढ़ें - Rajasthan Assembly: सदन में गूंजा शहर की सफाई का मुद्दा, भाजपा विधायक लाहोटी ने कांग्रेस के इस विधायक को बताया नौसिखिया

दोषियों के लिए फांसी या उम्रकैद - संगठित अपराध में दोषी पाए जाने पर फांसी या उम्रकैद का प्रावधान है. विधेयक में दंड को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि ऐसा अपराध जिसमें किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसमें मृत्यु या आजीवन कारावास की सजा प्रावधान है. साथ ही कम से कम एक लाख जुर्माना भी दंड के तहत लगेगा. विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई संगठित अपराध में षड्यंत्र करता या करती है तो उसके लिए कम से कम पांच साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. यही सजा संगठित अपराध करने वाले को संरक्षण देने वाले के लिए भी लागू होगी. दोषियों को अग्रिम जमानत का प्रावधान भी होगा.

विशेष न्यायालयों का प्रावधान - संगठित अपराध के मामलों सुनवाई के लिए विशेष न्यायाल होंगे. साथ ही प्रत्येक अपराध के लिए सरकार लोक अभियोजक के रूप में नियुक्ति होगी. मामले की जांच के लिए राज्य सरकार गृह विभाग ने अपने अधिकारियों में से किसी को जो डीएसपी या इससे ऊपरी अधिकारी को ही जांच अधिकारी बनाएगी. इसके साथ ही मामले की सुनवाई बंद कमरे में होगी, यदि विशेष न्यायालय चाहेगा तो. वहीं, गवाहों को सुरक्षा बनाए रखने के लिए पहचान गोपनीय रहेगी, गोपनीयता भंग करने वालों के खिलाफ एक साल की सजा और एक हजार रुपए का आर्थिक जुर्माना लगाया जा सकेगा.

ये विधेयक भी किए गए पेश - विधानसभा में गहलोत सरकार ने इसके साथ ही राजस्थान कारागार विधेयक 2023 को भी पेश किया. जिसमें जेल में बंद बंदियों की सुविधाओं और संसाधनों को लेकर नियम निर्धारित किए गए हैं. इसके अलावा जेल में बंद बंदियों को कैसे रोजगार से जोड़ा जाए इसका भी विधेयक में प्रावधान किया गया है तो वहीं, इसके इतर राजस्थान गांधी फिनटेक डिजिटल संस्थान विधायक 2023, राजस्थान विश्वविद्यालय अध्यापक संशोधन विधेयक 2023 और राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट 2023 को भी पेश किया गया.

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने संगठित अपराध पर नियंत्रण पाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. बुधवार को विधानसभा में राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 पेश किया गया. इस बिल में संगठित अपराध के तहत किसी की मृत्यु होने पर दोषियों को फांसी या उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है. साथ ही बिल में संगठित अपराध की घटना को सोशल मीडिया पर जारी करने पर भी दंड का प्रावधान है. गहलोत सरकार ने इसके साथ ही राजस्थान कारागार विधेयक 2023, राजस्थान गांधी फिनटेक डिजिटल संस्थान विधेयक 2023, राजस्थान विश्वविद्यालय अध्यापक संशोधन विधेयक 2023 और राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट 2023 भी पेश किया.

राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 - प्रदेश में लगातार हो रहे संगठित अपराध की घटनाओं पर नियंत्रण पाने और अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए राज्य सरकार ने विधानसभा में राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 पेश किया. इस विधेयक के जरिए संगठित अपराध को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं. संगठित अपराध की परिभाषा में गिरोह के सदस्य के रूप में आर्थिक या अन्य लाभ की मंशा में की गई हिंसा, धमकी या फिर जबरदस्ती करने को संगठित अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा. जिसमें दो या दो अधिक लोग शामिल हो. इसके साथ ही ऐसा कोई भी सूचना जिसमें संगठित अपराध घटित होने की संभावना हो, ऐसी सूचना सोशल मीडिया पर डालना भी संगठित अपराध की श्रेणी में आएगा.

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दोषियों के लिए फांसी या उम्रकैद - संगठित अपराध में दोषी पाए जाने पर फांसी या उम्रकैद का प्रावधान है. विधेयक में दंड को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि ऐसा अपराध जिसमें किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसमें मृत्यु या आजीवन कारावास की सजा प्रावधान है. साथ ही कम से कम एक लाख जुर्माना भी दंड के तहत लगेगा. विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई संगठित अपराध में षड्यंत्र करता या करती है तो उसके लिए कम से कम पांच साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. यही सजा संगठित अपराध करने वाले को संरक्षण देने वाले के लिए भी लागू होगी. दोषियों को अग्रिम जमानत का प्रावधान भी होगा.

विशेष न्यायालयों का प्रावधान - संगठित अपराध के मामलों सुनवाई के लिए विशेष न्यायाल होंगे. साथ ही प्रत्येक अपराध के लिए सरकार लोक अभियोजक के रूप में नियुक्ति होगी. मामले की जांच के लिए राज्य सरकार गृह विभाग ने अपने अधिकारियों में से किसी को जो डीएसपी या इससे ऊपरी अधिकारी को ही जांच अधिकारी बनाएगी. इसके साथ ही मामले की सुनवाई बंद कमरे में होगी, यदि विशेष न्यायालय चाहेगा तो. वहीं, गवाहों को सुरक्षा बनाए रखने के लिए पहचान गोपनीय रहेगी, गोपनीयता भंग करने वालों के खिलाफ एक साल की सजा और एक हजार रुपए का आर्थिक जुर्माना लगाया जा सकेगा.

ये विधेयक भी किए गए पेश - विधानसभा में गहलोत सरकार ने इसके साथ ही राजस्थान कारागार विधेयक 2023 को भी पेश किया. जिसमें जेल में बंद बंदियों की सुविधाओं और संसाधनों को लेकर नियम निर्धारित किए गए हैं. इसके अलावा जेल में बंद बंदियों को कैसे रोजगार से जोड़ा जाए इसका भी विधेयक में प्रावधान किया गया है तो वहीं, इसके इतर राजस्थान गांधी फिनटेक डिजिटल संस्थान विधायक 2023, राजस्थान विश्वविद्यालय अध्यापक संशोधन विधेयक 2023 और राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट 2023 को भी पेश किया गया.

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