जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आब्रिट्रेटर के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत आब्रिट्रेटर ने राज्य सरकार को टोल कंपनी के पक्ष में 43 करोड़ 68 लाख रुपए ब्याज सहित अदा करने को कहा था. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश आलोक शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश पीडब्ल्यूडी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
मामले के अनुसार मैसर्स एएनएस इन्फ्रास्ट्रक्चर को वर्ष 2015 में कामां-नदबई मार्ग के निर्माण और रखरखाव का काम सौंपा गया था. इसके बदले फर्म को 86 माह तक टोल वसूली का अधिकार दिया गया. वहीं क्षेत्र में 17 माह तक खनन पर रोक लगने का हवाला देते हुए फर्म ने सरकार से क्षतिपूर्ति मांगी. जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से 14 करोड़ रुपए स्वीकृत करने के बाद फर्म ने अधिक क्षतिपूर्ति के लिए आब्रिट्रेटर इन्द्रजीत खन्ना के समक्ष परिवाद पेश किया.
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जिस पर सुनवाई करते हुए खन्ना ने 15 जनवरी 2015 को फर्म के पक्ष में फैसला देते हुए 43 करोड़ 68 लाख रुपए ब्याज सहित देने को कहा इसके खिलाफ कॉमर्शियल कोर्ट में पेश याचिका को भी अदालत ने खारिज कर दिया. वहीं इस पर विभाग की ओर से हाईकोर्ट में याचिका पेश कर आब्रिट्रेटर के आदेश को अवैध बताया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने आब्रिट्रेटर के आदेश को रद्द कर दिया.