जयपुर. एनटीटी शिक्षकों को अब बाल वाटिकाओं में लगाया जाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में एनटीटी कोर्स किए हुए शिक्षकों की सेवाएं लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दी (NTT teachers in Govt Eng Schools) है.
करवाएंगे अंग्रेजी का ब्रिज कोर्स: प्रस्ताव के अनुसार, राज्य सरकार की ओर से इन शिक्षकों का तीन माह का अंग्रेजी का ब्रिज कोर्स करवाया (Bridge course in English for NTT Teachers) जाएगा. साथ ही, इन एनटीटी शिक्षकों का महिला एवं बाल विकास विभाग से शिक्षा विभाग में स्थानांतरण किया जाएगा. इनके वेतन के साथ ही मानदेय शिक्षा विभाग की ओर से ही दिए जाएंगे. सीएम गहलोत के इस निर्णय से अनुभवी व प्रशिक्षित अध्यापकों की ओर से नौनिहालों को गुणवत्तापूर्ण पूर्व प्राथमिक शिक्षा मिल सकेगी. इससे प्रदेश में शिक्षा का स्तर बेहतर होगा.
लम्बे समय से थी मांग: बता दें कि एनटीटी शिक्षकों के शिक्षा विभाग में समायोजन को लेकर लंबे समय से मांग की जा रही थी. एनटीटी शिक्षकों का कहना था कि उन्होंने जो कोर्स किया है. इस कोर्स के अनुरूप ही उन्हें नियुक्ति दी जाए. सरकार के फैसले के बाद एनटीटी शिक्षकों ने भी इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद में NTT शिक्षकों को मूल काम करने का मौका मिलेगा.
सार्वजनिक निर्माण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी : राज्य सरकार सार्वजनिक निर्माण विभाग के कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली को सुदृढ़ करने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है. इसी क्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नियमित और औचक निरीक्षण के माध्यम से निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जांच के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है.
प्रस्ताव के अनुसार, निर्माण कार्यों की जांच हेतु एनएबीएल प्रमाणीकरण एवं सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों की ओर से थर्ड पार्टी निरीक्षण किये जाने के लिए 15.50 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति दी गई है. वहीं, स्वतंत्र गुणवत्ता निरीक्षकों के मानदेय एवं यात्रा भत्ते के लिए भी 2 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति दी गई है. प्रभावी निरीक्षण के लिए स्वतंत्र गुणवत्ता निरीक्षकों को रैंडम रोस्टर के माध्यम से गुणवत्ता नियंत्रण कार्य आवंटित किए जाएंगे.
गहलोत के इस निर्णय से सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से किए जा रहे विभिन्न विकास कार्यों के नियमित एवं प्रभावी निरीक्षण के लिए वाहनों की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो सकेगी, साथ ही निरीक्षण कार्यों का दायरा भी बढ़ सकेगा.