जयपुर. गोमूत्र का ऐसा कमाल चौंकाता है. लेकिन यह शत प्रतिशत सच है. गोमूत्र का इस्तेमाल अब तक होम-हवन-यज्ञ आदि और आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है लेकिन अब इसका इस्तेमाल न सिर्फ डीजल इंजन से उत्सर्जित होने वाले हानिकारक प्रदूषण को नियंत्रित करने, बल्कि डीजल की खपत को भी काफी हद तक कम करने में किया जा सकेगा. जयपुर के मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी MNIT के एक स्कॉलर डॉ. अमित झालानी ने ये कमाल कर दिखाया है. जहां उन्होंने दो शिक्षकों के निर्देशन में चार साल के अथक प्रयास से यह कारनामा किया है.
गोमूत्र-डीजल इमल्शन के लिए पेटेंट फाइल
दावा है कि विश्व में इस तरह का यह पहला शोध है, इसलिए नए गोमूत्र-डीजल इमल्शन के लिए पेटेंट भी फाइल किया जा चुका है. यह इमल्शन लगभग 50 दिन तक स्थायी रहता है, उसके बाद इसके अलग-अलग घटकों में विभाजित होने का खतरा रहता है. इसलिए इस नवीन ईंधन को कृषि इंजन और डीजल जनरेटर में तो अभी उपयोग में लिया जा सकता है. लेकिन वाहनों में इसका उपयोग कैसे किया जाए और इसका स्थायित्व कैसे बढ़ाया जाए, इसको लेकर शोधकार्य जारी है. हालांकि इसकी अधिक मांग होने पर किसान और पशुपालकों को दूध के अतिरिक्त गोमूत्र से भी आमदनी हो सकेगी.
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भौतिक रासायनिक मानकों पर गोमूत्र-डीजल फ्यूल उपयुक्त
स्कॉलर अमित झालानी ने बताया कि इस नवीन संश्लेषण गोमूत्र-डीजल फ्यूल को सभी भौतिक और रासायनिक गुणों के मानकों पर भी उपयुक्त पाया गया है. इस इमल्शन को 82% डीजल, 15% गोमूत्र और 3% इमल्सीफायर मिलाकर उच्च ऊर्जा संश्लेषण से तैयार किया गया है. इससे अन्य प्रदूषण प्रणालियों के सापेक्ष इस पद्धति में इंजन में किसी परिवर्तन की आवश्यकता भी नहीं रहती. जबकि गोमूत्र के माध्यम से ईंधन में यूरिया उपस्थित होने से इंजन से निकलने वाली हानिकारक नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस को 32% तक कम करने में सक्षम पाया गया है. डीजल इंजन में सबसे खतरनाक पार्टिकुलेट मैटर इस इमल्शन की सहायता से 36.9% तक कम हुआ है. गोमूत्र डीजल इमल्शन के उपयोग से इंजन की दक्षता में भी 13.2% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो इंजन में डीजल की खपत को आकर्षक रूप से कम करता है.
ऐसे प्रदूषण को कंट्रोल करता है गोमूत्र
हालांकि इससे पहले पानी के साथ भी इमल्शन बनाकर अन्य शोध हुए हैं. लेकिन गोमूत्र में पानी के साथ यूरिया, सोडियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे तत्व भी पाए जाते हैं जो ईंधन की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं. नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस 32 और पीएम 36 फीसदी तक कम यूरिया को कैटेलिटिक कन्वर्टर के माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण में उपयोग लिया जाता है, परंतु वह काफी महंगा होने के साथ ही उसमें उच्च तकनीक और जगह की आवश्यकता रहती है. जबकि गोमूत्र के माध्यम से ईंधन में यूरिया उपस्थित होने से इंजन से निकलने वाली हानिकारक नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस को 32% तक कम करने में सक्षम पाया गया है. डीजल इंजन में सबसे खतरनाक पार्टिकुलेट मैटर इस इमल्शन की सहायता से 36.9% तक कम हुआ है.
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ऐसे में गोमूत्र डीजल इमल्शन के उपयोग से इंजन की दक्षता में भी 13.2% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो इंजन में डीजल की खपत को आकर्षक रूप से कम करता है. ऐसे में इसका सीधा फायदा किसान को मिल सकता है जो अपने ट्रैक्टर के जनरेटर में इस गोमूत्र डीजल इमल्शन से खेती कर सकते हैं. अभी अन्य वाहनों के इंजन में ये कारगर साबित नहीं हुआ है, इसे लेकर शोध जारी है.