जयपुर. प्रदेश की भाजपा सरकार फुल एक्शन में नजर आ रही है. विशेषकर यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा, जिनके निर्देश पर अब स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक हृदेश कुमार ने प्रदेश के सभी नगरीय निकायों के मनोनीत सदस्यों का मनोनयन निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के विभिन्न फैसलों और नियमों को लगातार चैलेंज किया जा रहा है. इस क्रम में अब कांग्रेस सरकार की ओर से अपने कार्यकर्ताओं को दिए गए नगरी निकायों में मनोनीत सदस्य बनाए जाने का तोहफा भी छीन लिया गया है.
नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं में निर्वाचित सदस्यों के अलावा कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को मनोनीत सदस्य बनाया गया था, लेकिन अब सत्ता बदलने के साथ ही भाजपा सरकार ने प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में मनोनीत किए गए सदस्यों को हटाने के निर्देश जारी किए हैं. डीएलबी डायरेक्टर ने राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ये आदेश जारी किए. इससे पहले डीएलबी ने संविदा पर लगे सेवानिवृत अधिकारी और कर्मचारियों को हटाने के भी आदेश जारी किए थे.
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उधर, यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा शासन सचिवालय पहुंच लगातार विभागीय अधिकारियों से चर्चा कर रहे हैं. खर्रा ने अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों से समन्वय स्थापित कर कार्य करने के निर्देश दिए हैं, ताकि सभी विकास कार्य तय समय पर पूरे किए जा सके. ताकि धन और समय का अपव्यय ना हो. वहीं, अब पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना द्रव्यवती नदी परियोजना के बचे हुए काम को भी गति देने के निर्देश दिए हैं.
साथ ही परियोजना में साफ पानी नहीं आने के लिए कौन-कौन जिम्मेदार है, उनकी रिपोर्ट भी तलब की है. इसके अलावा खर्रा का फोकस जेडीए की ओर से बनाए जा रहे एसएमएस अस्पताल में निर्माणाधीन आईपीडी टावर पर भी है. जिसकी कई शिकायतें प्राप्त की होने पर अब उन्होंने अधिकारियों को इसका संक्षिप्त विवरण तैयार कर 3 दिन में पेश करने के निर्देश दिए हैं.