जयपुर. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र के नाहरगढ़ वन्य अभ्यारण भूमि में अवशिष्ट निस्तारण (NGT issued Notice to RIICO) और पक्का नाला निर्माण को लेकर नोटिस जारी कर रीको (RIICO) से जवाब मांगा है. पर्यावरण प्रेमी कमल तिवाडी की जनहित याचिका पर एनजीटी ने नोटिस जारी किया है.
नाहरगढ़ वन्य एवं वन्यजीव सुरक्षा एवं विकास समिति के अध्यक्ष राजेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि (Construction in Nahargarh Wildlife Sanctuary Area) वन्य अभ्यारण्य भूमि एवं वन सीमा पर पक्के नाले का निर्माण कर औद्योगिक अवशिष्ट के निस्तारण पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में रीको की ओर से इको सेंसिटिव जोन में बगैर वन विभाग की अनुमति के पक्के नाला का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है.
वन प्रेमी कमल तिवाड़ी ने बताया कि रीको की ओर से औद्योगिक अवशिष्ट को निस्तारण वन क्षेत्र में ही किया जा रहा है. ये वन, वन्यजीवों और पर्यावरण को प्रभावित करता है. यहां वन्यजीवों का विचरण रहता है. इस प्रकार वन क्षेत्र में अवशिष्ट पदार्थ डालना वन अधिनियमों के स्पष्ट उल्लंघन और अपराध की श्रेणी में आता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एक किलोमीटर दूर तक व्यवसायिक गतिविधियां प्रतिबंधित हैं.
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जयगढ़ फोर्ट को भी नोटिस जारी : नाहरगढ़ फोर्ट की तरह अब जयगढ़ फोर्ट को भी नोटिस जारी किया गया है. जयगढ़ फोर्ट अभ्यारण्य के बीचों-बीच स्थित है. जयगढ़ फोर्ट में चल रही वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए भी राजेंद्र तिवाडी ने एनजीटी में वाद दायर किया था. तिवाडी के अनुसार जयगढ़ फोर्ट भी वन विभाग की प्रॉपर्टी है. वन अधिकारियों की मिलीभगत से यहां भी नॉन फॉरेस्ट एक्टिविटी चल रही है.
तिवाडी ने बताया कि जयगढ़ के लिए 1949 में करार हुआ था. इसके बाद 1961 में यह इलाका रिजर्व फॉरेस्ट बन गया और फोर्ट को एक्वायर कर लिया गया. 1989 में रिजर्व फॉरेस्ट को जब अधिकार मिले तब भी जयगढ़ फोर्ट को कोई अधिकार नहीं दिए गए. इसके बावजूद वन विभाग ने फोर्ट को अपने कब्जे में नहीं लिया. इतने दशकों से वन विभाग मिलीभगत करके इस फोर्ट को वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए एनओसी देता रहा. अब एनजीटी ने जयगढ़ फोर्ट के संचालकों को भी नोटिस जारी कर सम्पूर्ण तथ्यात्मक जानकारी मांगी है.