जयपुर. प्रदेश की एक लाख से ज्यादा छात्राओं ने इस बार गार्गी पुरस्कार और बालिका प्रोत्साहन पुरस्कार को लेकर रुचि नहीं दिखाई है. नवंबर से शुरू हुई प्रक्रिया में चार बार आवेदन की तारीख बढ़ाए जाने के बावजूद छात्राओं ने आवेदन नहीं किया. इसकी वजह से इन छात्राओं के प्रोत्साहन की करीब 41 करोड़ राशि राज्य सरकार के खाते में बची हुई है.
जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक राजेंद्र शर्मा ने बताया कि 10वीं कक्षा में 75% से ज्यादा अंक प्राप्त करने वाली छात्राओं को राज्य सरकार की ओर से गार्गी पुरस्कार दिया जाता है. हालांकि इसमें शर्त रहती है कि छात्रा 11वीं और 12वीं कक्षा में सरकारी स्कूलों में अध्ययन करें. योजना के तहत तीन-तीन हजार रुपए 11वीं और 12वीं कक्षा में दिए जाने का प्रावधान है. इसी तरह राज्य सरकार की ओर से बालिका प्रोत्साहन योजना के तहत 12वीं कक्षा में 75% से ज्यादा अंक प्राप्त करने पर एकमुश्त ₹5000 बतौर प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है.
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1 लाख से अधिक छात्राओं ने नहीं किया आवेदन : राजेंद्र शर्मा ने बताया कि छात्राओं को ऑनलाइन आवेदन की सुविधा दी गई है, जिसमें एसआर नंबर और जनाधार नंबर ही डालना होता है. जनाधार से बैंक अकाउंट भी लिंक रहता है, इससे प्रोत्साहन राशि सीधे खाते में ट्रांसफर हो जाती है. उन्होंने कहा कि कुछ छात्राएं जो बाहर से आकर यहां पढ़ रही हैं, उनके जनाधार कार्ड नहीं होने की तकनीकी समस्या है. ऐसे छात्रों के संबंध में सरकार विचार कर रही है, हालांकि बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही है इन योजनाओं में छात्राएं कम रुचि दिखा रही हैं. प्रदेश में 1.12 लाख छात्राओं ने इन योजनाओं में आवेदन नहीं किया.
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ये माने जा रहे प्रमुख कारण :
- मांगे गए ऑनलाइन आवेदन
- जन आधार कार्ड की अनिवार्यता
- जेईई-नीट जैसी प्रतियोगिता परीक्षाओं की वजह से रुचि नहीं
- जागरूकता का अभाव
जागरूक होने की जरूरत : राजेंद्र शर्मा ने कहा कि विभाग ने नवंबर से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की थी. इसके बाद तीन बार डेट एक्सटेंड की गई और आखिर में 30 अप्रैल तक आवेदन मांगे गए, लेकिन ज्यादा आवेदन नहीं आए. उन्होंने कहा कि छात्राओं के साथ उनके अभिभावकों को भी सरकार की योजनाओं के प्रति जागरूक होने की जरूरत है. इस तरह की योजनाएं राज्य सरकार ने छात्राओं के हित में चला रखी हैं. यदि उस का कोई लाभ नहीं लेना चाहे, अप्लाई न करें तो उसमें सरकार और विभाग की गलती नहीं होती.