जयपुर . राजस्थान में 15 साल से चल रहे जिलों के इंतजार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 19 जिले बनाकर समाप्त कर दिया. लेकिन जहां पहले जिलों की मांग को लेकर विधायक मुख्यमंत्री पर दबाव बना रहे थे, अब जिले बनने के बाद मुख्यमंत्री के सामने अलग-अलग तरीके के विरोध भी आ रहे हैं. जहां एक ओर 19 जिलों के अलावा जो शहर जिला नहीं बन सके वहां की जनता जिले की मांग को लेकर सड़कों पर है, तो किसी क्षेत्र की मांग है कि वह नए जिले में नहीं जाकर पुराने जिले में ही रहना चाहते हैं.
इसी बीच जयपुर जिले को जयपुर उत्तर और जयपुर दक्षिण 2 जिलों में बांटने पर भी विरोध शुरू हो गया है. इसका विरोध किसी और ने नहीं बल्कि गहलोत मंत्रिमंडल में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावस ने किया है. उनका कहना है कि जयपुर राजस्थान की राजधानी होने के साथ ही एक हेरिटेज सिटी है. इसे उत्तर और दक्षिण में बांटना गलत है हम इसके खिलाफ हैं. अगर मुख्यमंत्री को आम जनता को ही राहत देनी है तो फिर जिस तरह से जयपुर में 4 अलग-अलग जगहों पर एसपी बैठाए गए हैं. उसी तरीके से दो जगह कलेक्टर बैठा दिया जाए. लेकिन राजधानी जयपुर के लोगों और हम जनप्रतिनिधियों की जन भावना के तहत जयपुर के टुकड़े नहीं किए जाएं.
कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि जयपुर के जनप्रतिनिधि और हम जयपुर के सभी एमएलए चाहते हैं कि जयपुर को जयपुर ही रहने दें. मंत्री प्रताप सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने तो जयपुर को फायदा कैसे हो इसके लिए बात की है. वो भी जयपुर के टुकड़े नहीं करना चाहते. उन्होंने कहा कि जयपुर की अपनी आन-बान-शान है अपना हेरिटेज है. पिंक सिटी है ऐसे में जयपुर एक ही रहे. अगर कुछ करना है तो एक ही जयपुर में दो अधिकारी अलग अलग बैठा दिए जाएं. जैसे जयपुर में 4 एसपी अलग-अलग जगहों पर तैनात हैं. ठीक उसी तरह दो कलेक्टर अलग अलग जगह बैठा दिए जाएं. इससे जनता को राहत भी मिल जायेगी और जयपुर के दो टुकड़े भी नही होंगे.
जयपुर की जनता को राहत देना है मुख्यमंत्री का उद्देश्य
मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अभी केवल घोषणा की है. यह कोई हार्ड एंड फास्ट रूल नहीं है. जहां तक जयपुर उत्तर और दक्षिण जिला बनाने की बात है तो यह जयपुर के लोगों को तय करनी है. उन्होंने कहा कि सीएम ने घोषणा की है लेकिन अभी ऐसा हुआ नहीं है. मुख्यमंत्री ने जयपुर के टुकड़े नहीं किए हैं. यह केवल सोच दर्शाता है कि जनता को ज्यादा से ज्यादा रिलीफ मिले. इसके लिए जयपुर उत्तर व दक्षिण जैसे अजीब से नाम रख जयपुर के टुकड़े करने की जगह जनता को राहत के लिए अधिकारियों को अलग-अलग बैठा दें. ऐसा करने से किसी को कोई आपत्ति भी नही होगी.
और जिलों की दिक्कत ऐसी भी
दूदू-बगरू ओर फुलेरा के लोग जिले दूदू में शामिल नहीं होना चाहते हैं. वे जयपुर में ही रहना चाहते हैं. नीम का थाना-खण्डेला नीम का थाना में न जाकर वो सीकर में ही रहना चाहता है. इसी तरह सांचौर-भीनमाल भी सांचोर ने नहीं जाना चाहते हैं बल्कि वे जालोर में ही रहना चाहते हैं.