जयपुर. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कार्यवाहक महानिदेशक बनने के बाद एडीजी हेमंत प्रियदर्शी ने बुधवार को भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों को ट्रैप करने के बाद उनके नाम और फोटो जारी नहीं करने के आदेश जारी किए हैं. वहीं पुलिस जांच एजेंसियों के प्रमुखों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत करने आए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस होना चाहिए और भ्रष्टाचारियों का चेहरा उजागर होना (Nityanand Rai on identity of corrupt employees) चाहिए.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारियों के चेहरे समाज और कानून के सामने आने चाहिए. इस संबंध में खुद प्रधानमंत्री मोदी अपने एक संबोधन में भ्रष्टाचारियों के चलते देश के पिछड़ने की बात कह चुके है. भ्रष्टाचार ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया है, जिसकी वजह से एक समय में आर्थिक व्यवस्था भी चरमरा गई थी. ऐसे लोगों को जेल के अंदर होना चाहिए. एंटी करप्शन ब्यूरो के महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी ने बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी किया. इसमें कहा गया है कि अब भ्रष्टाचार के मामलों में पकड़े गए आरोपियों या संदिग्धों के नाम, फोटो या वीडियो तब तक सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे, जब तक कि वे मुकदमे में दोषी नहीं पाए जाते हैं.
उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई में सिर्फ यह बताया जाएगा कि किस विभाग में कार्रवाई की गई और आरोपी अधिकारी या कर्मचारी किस पद पर तैनात है. इस आदेश में ये भी कहा गया कि आरोपी जिस विभाग में कार्यरत है उसका नाम और आरोपी के पदनाम की सूचना मीडिया को दी जाएगी. इस नए आदेश में यह भी कहा गया है कि एसीबी की कस्टडी में संदिग्ध आरोपी की सुरक्षा और मानवाधिकार की रक्षा की पूरी जिम्मेदारी ट्रैप करने वाले अधिकारी की रहेगी.
एडीजी हेमंत प्रियदर्शी के क्यों बदले सुर: 31 दिसंबर को बीएल सोनी डीजी एसीबी के पद से रिटायर हुए. उसके बाद एडीजी हेमंत प्रियदर्शी को एसीबी के डीजी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया. वर्ष 2022 में एसीबी ने कुल 465 ट्रैप किए. जिसमें ट्रैप होने वाले सभी अधिकारी व कर्मचारियों का नाम, फोटो व तमाम जानकारी मीडिया के साथ साझा की गई. हेमंत प्रियदर्शी उस वक्त भी एसीबी में एडीजी के पद पर कार्यरत थे और तब उन्होंने इस चीज का विरोध नहीं किया. अब अचानक से उनके सुर क्यों बदले हैं, इसे लेकर पुलिस महकमे से लेकर राजनीतिक गलियारों में तक चर्चाओं का दौर है.
भ्रष्टों पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों मेहरबान: जहां राजस्थान एसीबी लगातार भ्रष्ट कर्मचारी व अधिकारियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई को अंजाम देती आई है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश की सत्ता में चाहे बीजेपी काबीज हो या कांग्रेस दोनों ने ही भ्रष्ट लोगों को बचाने का काम किया है. जहां वर्तमान कांग्रेस सरकार ने 17 दिसंबर, 2018 से 31 दिसंबर, 2022 तक 267 भ्रष्टाचारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किए जाने के बाद भी एसीबी को अभियोजन स्वीकृति नहीं देकर बचाया है. जिनमें 71 राजपत्रित और 196 अराजपत्रित अधिकारी व कर्मचारी शामिल है. वहीं गत भाजपा सरकार ने 13 दिसंबर, 2013 से 31 दिसंबर, 2017 तक 297 भ्रष्टाचारियों को एसीबी द्वारा रंगे हाथों गिरफ्तार किए जाने के बाद भी अभियोजन स्वीकृति नहीं देकर बचाया है. इनमें 104 राजपत्रित और 193 अराजपत्रित अधिकारी व कर्मचारी शामिल है.
अभियोजन स्वीकृति मिले तो रूके भ्रष्टाचार: एसीबी लगातार भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करती है, लेकिन अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने पर एसीबी टीम का मनोबल भी गिरता है. यदि सरकार रिश्वत राशि लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किए गए अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ एसीबी को अभियोजन स्वीकृति देना शुरू कर दे तब जाकर भ्रष्टाचार की मामलों में कमी आ सकती है.
अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने के चलते प्रकरण पेंडिंग पड़े रहते हैं और 3 महीने बाद रिश्वत लेते हुए पकड़े गए अधिकारी व कर्मचारी को फिर से बहाल कर दिया जाता है. इसके साथ ही जिन प्रकरणों में एसीबी कोर्ट में चालान पेश करती है, उन प्रकरणों में फैसला आने में भी कई वर्षों का समय लग जाता है. भ्रष्टाचार के किसी भी प्रकरण में भ्रष्ट अधिकारी या कर्मचारियों को आज तक कठोर सजा नहीं हुई है. वर्तमान कांग्रेस सरकार में लंबित चल रहे अभियोजन स्वीकृति के प्रकरणों से भी भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं.
प्रदेश में वर्तमान में राज्य कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति के 61 और भारत सरकार के कार्मिक विभाग में अभियोजन स्वीकृति के 3 प्रकरण लंबित चल रहे हैं. इसके अलावा राजस्थान सरकार के विभिन्न विभागों में भी आवेदन स्वीकृति के प्रकरण बड़ी तादाद में लंबित चल रहे हैं. पंचायती राज विभाग में 108, स्वायत्त शासन में 58, राजस्व में 41, चिकित्सा में 30 पुलिस में 20 अभियोजन स्वीकृति के प्रकरण लंबित है. इसके अलावा भी विभिन्न विभागों में अभियोजन स्वीकृति के प्रकरण लंबित चल रहे हैं.