जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हर व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध करवाना सरकार की जिम्मेदारी है. इसीलिए मिनिमम गारंटीड इनकम बिल इसी विधानसभा सत्र में लाएंगे. राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रदेशवासियों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है. मिनिमम गारंटीड इनकम बिल को कैबिनेट ने अपनी सहमति दे दी है और इसी विधानसभा सत्र में यह बिल लाया जाएगा. वहीं सीएम गहलोत के इसी संवाद में सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जवाबदेही कानून की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि जब तक प्रदेश में जवाबदेही कानून लागू नहीं होगा, तब तक जनकल्याण की योजना बनाएं या उनको लेकर कानून जनता को सही और पूरा लाभ मिलना संभव नहीं है.
सामाजिक सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारीः मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान की मूल भावना के अनुरूप हर व्यक्ति को सम्मान से जीने का हक है. राज्य सरकार ने इस दिशा में विभिन्न प्रयास किए हैं. प्रदेश में मुख्यमंत्री ग्रामीण रोजगार गारन्टी योजना लागू कर महात्मा गांधी नरेगा योजना में 100 दिन के स्थान पर 125 दिन का रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है. इसी प्रकार राइट टू हेल्थ के रूप में ऐतिहासिक कानून बनाकर लागू किया गया है, जिसके अन्तर्गत हर व्यक्ति के सम्पूर्ण उपचार की जिम्मेदारी अब सरकार की है.
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प्रदेश में करीब 1 करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन दी जा रही है. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती केन्द्र सरकार की ओर से कानून बनाकर शिक्षा, सूचना, रोजगार एवं खाद्य सुरक्षा का अधिकार देशवासियों को दिया गया. वर्तमान केन्द्र सरकार को भी इसी तर्ज पर सामाजिक सुरक्षा कानून बनाकर लागू करना चाहिए. गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से आयोजित महंगाई राहत कैम्पों में 10 योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है. ये योजनाएं सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली हैं.
जवाबदेही कानून के बिना अच्छी सामाजिक सुरक्षा सम्भव नहींः लाभार्थी संवाद में वर्चुअल माध्यम से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि अच्छी बात है कि राज्य में न्यूनतम आय की गारंटी का कानून बन रहा है, जिसमें सामाजिक सुरक्षा और रोजगार शामिल है. लेकिन हमें इन सभी कानून और योजनाओं को लागू करवाने के लिए जवाबदेही कानून की बहुत आवश्यकता है, क्योंकि बिना जवाबदेही के अच्छी योजना और कानूनों को ठीक से लागू नहीं करवाया जा सकता है. उन्होंने कहा कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा में घोषित किया और उसके बाद कई बार बजट में घोषणा होने के बाद भी कानून नहीं लाया गया है.
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सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि हम बार बार जनता की मांग और समस्याओं को लेकर आते रहेंगे, चाहे कुछ मुद्दों पर भले ही हम एकमत ना हों. उन्होंने कहा कि राजस्थान सामाजिक सुरक्षा में अव्वल राज्य बन रहा है, लेकिन कैसे लोग शासन और प्रशासन की जवाबदेही सुनिश्चित करें इसके बारे में भी सोचा जाए. जब तक कर्मचारी और अधिकारी की जवाबदेही कानूनी रूप से तय नहीं होगी, तब तक योजनाओं का लाभ आम जनता को सही तरीके से मिले यह सम्भव नहीं है.
सामाजिक संगठनों की मांग पर सीएम गहलोत की सहमतिः सामाजिक संगठनों की ओर से रामलीला मैदान से वर्चुअली जुड़े पेंशनर्स की ओर से मुकेश निर्वासित ने ज्ञापन पढ़कर सुनाया जिस पर मुख्यमंत्री ने बिंदुवार जवाब दिया. पहली मांग जल्द ही राज्य में न्यूनतम आय कानून लागू हो इस इस पर सीएम गहलोत ने कहा इसी सत्र में बिल लेकर आ रहे. दूसरी मांग नरेगा और शहरी रोजगार में 200 की जाए. इस पर सीएम गहलोत ने कहा कि अभी 125 दिन हैं और इस पर विचार करेंगे और निर्णय लेंगे.
तीसरी मांग पेंशनर को पहले सप्ताह में पेंशन का भुगतान हो. इस पर सीएम गहलोत ने कहा कि ऐसी व्यवस्था बनाने के लिए संबंधित अधिकारियों से चर्चा करेंगे और कोशिश करेंगे हर महीने पहले सप्ताह में भुगतान हो और जिन 8 लाख पेंशनर्स का अभी तक सत्यापन नहीं हुआ है. उसके लिए उन्होंने मौके पर ही सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के शासन सचिव डा समित शर्मा को एक महीने में शत प्रतिशत सत्यापन करने के लिए निर्देशित किया.
चौथी मांग न्यूनतम मजदूरी बढ़ाए जाए, इस पर गहलोत ने कहा कि मुख्य सचिव से इस बारे में बात की है और इस बारे में जल्दी निर्णय लेंगे. पांचवी मांग जवाबदेही कानून पर सीएम गहलोत एक बार फिर टाल गए. गहलोत ने कहा कि कई बार बाज हुई और आपकी ओर से किए गए जनांदोलनों की बदौलत महात्मा गांधी नरेगा जो कि क्रांतिकारी कानून है, वह भी आया और सूचना का अधिकार कानून भी आया तो, ये कानून भी आ जायेगा.