जयपुर. शहर के ज्योति नगर इलाके में स्थित राजस्थान मुस्लिम वक्फ बोर्ड कार्यालय में सोमवार को राजस्थान मुस्लिम वक्फ बोर्ड कमेटी की एक मीटिंग आयोजित की गई. इस मीटिंग में जहां एक तरफ राजस्थान मुस्लिम वक्फ को लेकर कई फैसले लिए गए तो वहीं कुछ सामाजिक संगठनों की तरफ से चेयरमैन खानू खान बुधवाली को एक ज्ञापन भी दिया गया.
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इस दौरान बुधवाली को ज्ञापन देते हुए मांग की गई कि राजधानी जयपुर के मोती डूंगरी रोड स्थित मुस्लिम मुसाफिरखाना कमेटी की तवल्लियत को खत्म किया जाए. इसके बाद जामा मस्जिद इंतजामया कमेटी के पूर्व सेक्रेटरी अनवर शाह ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि 2015 में मुस्लिम मुसाफिर खाने कमेटी को तत्कालीन कमेटी नेतवल्लियत का दर्जा दिया गया. इसके साथ ही मुसाफिर खाने की कमेटी के अलावा भी अन्य दो-तीन कमेटियों को तवल्लियत का दर्जा दिया गया है, जो तवल्लियत का दर्जा देना पूरी तरह से गैरकानूनी है और संविधान के खिलाफ भी हैं इसलिए मुस्लिम मुसाफिर खाने की कमेटी का तवल्लियत का दर्जा समाप्त किया जाए.
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अनवर शाह ने कहा की कमेटियां आती हैं, खिदमत करती हैं और चली जाती हैं. हम किसी भी कमेटी का पट्टा लेकर नहीं आए हैं. साथ ही शाह ने कहा कि मैं भी 10 साल जामा मस्जिद में रहा हूं, हमें जिन लोगों से प्रॉपर्टी मिली है वह बहुत अच्छे और नेक इंसान थे और हमने भी जिन लोगो को प्रॉपर्टी सौंपी है, वे भी अच्छे और नेक दिल इंसान होंगे. इन्होंने कहां कि जामा मस्जिद में काम इमानदारी और अच्छे से किया जा रहा है. अनवर शाह ने कहा कि हमने चेयरमैन को इस मामले से अवगत करा दिया है और उन्होंने कहा है कि इसे मीटिंग में सामने रखा जाएगा. फिलहाल मीटिंग के इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
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आइए जानते है क्या होती है तवल्लियत
तवल्लियत- किसी भी जगह पर किसी भी कमेटी को हमेशा के लिए मुकर्रर कर देना तवल्लियत कहलाता है. इसके बाद किसी भी कमेटी को मौका नहीं दिया जाता है.