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ERCP को लेकर दिल्ली में अहम बैठक आज, राजस्थान के 13 जिलों को होगा फायदा

Meeting on ERCP in Delhi, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर राजस्थान में गठित भाजपा सरकार ने जोर आजमाइश की तो दिल्ली में अब इसकी सरगर्मियां दिखने लगी हैं. आज जल शक्ति मंत्रालय में इस मसले पर एक अहम बैठक होगी. बैठक में राजस्थान और मध्य प्रदेश के अधिकारी शामिल होंगे. बैठक में सहमति बनने के बाद केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान के बीच MOU होगा.

Gajendra Singh Shekhawat
Gajendra Singh Shekhawat
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 27, 2023, 10:37 AM IST

जयपुर. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना यानी ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) को लेकर राजस्थान-एमपी के बीच जल्द समझौता हो सकता है. बुधवार को दिल्ली में MoU को लेकर इस सिलसिले में एक अहम बैठक होगी. जलशक्ति मंत्रालय में ERCP पर होने वाली इस बैठक में राजस्थान और मध्य प्रदेश के अधिकारी शामिल होंगे. प्रदेश से एसीएस सुबोध अग्रवाल के साथ WRD अधिकारी बैठक में शामिल होंगे. बैठक में 3500 MCM को लेकर सहमति पर चर्चा के बाद सहमति बनने पर केन्द्र सरकार और दोनों राज्यों के बीच MOU साइन किया जाएगा. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दो दिन पहले ERCP पर की जल विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की थी, जिसमें नए प्रस्ताव को लेकर सीएम शर्मा को जानकारी दी गई थी.

गौरतलब है कि ईआरसीपी के जरिए राजस्थान के 23.67 फीसदी इलाके को कवर किए जाने की योजना है. इसके साथ ही इस योजना से राज्य की 41.13 फीसदी आबादी को लाभ मिलेगा. पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पेयजल और सिंचाई का पानी मिल सकेगा. अशोक गहलोत सरकार ने इस योजना पर पिछले कार्यकाल के दौरान करीब 1000 करोड़ के व्यय का दावा किया था, योजना पर बजट में 9600 करोड़ प्रस्तावित किए गए थे.

पढ़ें : सरकार की रोक से अटके हाड़ौती के 3 हजार करोड़ के बांधों के काम, इनमें ERCP के दो डैम भी शामिल

यह है ERCP का प्रोजेक्ट : पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) में कालीसिंध, पार्वती, मेज और चाकन उप-बेसिनों में उपलब्ध व्यर्थ बहने वाले मानसून के पानी का उपयोग किया जाना है. इसे बनास, गंभीरी, बाणगंगा के पानी की कमी वाले उप-बेसिनों में मोड़कर चंबल बेसिन के भीतर पानी के इंटर बेसिन ट्रांसफर की परिकल्पना की गई थी. योजना के पूरा होने पर पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पीने और औद्योगिक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी. परियोजना में लगभग 2.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई को लेकर दृष्टिकोण रखा गया है.

विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 13 जिलों के 83 विधानसभा क्षेत्र में इस प्रोजेक्ट को चुनावी मुद्दा बनाया था. जाहिर है कि वसुंधरा राजे सरकार के दौरान इस परियोजना की परिकल्पना की गई थी. इस योजना पर 40 हज़ार करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है. योजना से लाभान्वित होने वाले जिलों में अलवर, दौसा, जयपुर, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर, बूंदी, कोटा, बारां , झालावाड़, भरतपुर, धौलपुर और करौली शामिल हैं.

जयपुर. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना यानी ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) को लेकर राजस्थान-एमपी के बीच जल्द समझौता हो सकता है. बुधवार को दिल्ली में MoU को लेकर इस सिलसिले में एक अहम बैठक होगी. जलशक्ति मंत्रालय में ERCP पर होने वाली इस बैठक में राजस्थान और मध्य प्रदेश के अधिकारी शामिल होंगे. प्रदेश से एसीएस सुबोध अग्रवाल के साथ WRD अधिकारी बैठक में शामिल होंगे. बैठक में 3500 MCM को लेकर सहमति पर चर्चा के बाद सहमति बनने पर केन्द्र सरकार और दोनों राज्यों के बीच MOU साइन किया जाएगा. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दो दिन पहले ERCP पर की जल विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की थी, जिसमें नए प्रस्ताव को लेकर सीएम शर्मा को जानकारी दी गई थी.

गौरतलब है कि ईआरसीपी के जरिए राजस्थान के 23.67 फीसदी इलाके को कवर किए जाने की योजना है. इसके साथ ही इस योजना से राज्य की 41.13 फीसदी आबादी को लाभ मिलेगा. पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पेयजल और सिंचाई का पानी मिल सकेगा. अशोक गहलोत सरकार ने इस योजना पर पिछले कार्यकाल के दौरान करीब 1000 करोड़ के व्यय का दावा किया था, योजना पर बजट में 9600 करोड़ प्रस्तावित किए गए थे.

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यह है ERCP का प्रोजेक्ट : पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) में कालीसिंध, पार्वती, मेज और चाकन उप-बेसिनों में उपलब्ध व्यर्थ बहने वाले मानसून के पानी का उपयोग किया जाना है. इसे बनास, गंभीरी, बाणगंगा के पानी की कमी वाले उप-बेसिनों में मोड़कर चंबल बेसिन के भीतर पानी के इंटर बेसिन ट्रांसफर की परिकल्पना की गई थी. योजना के पूरा होने पर पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पीने और औद्योगिक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी. परियोजना में लगभग 2.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई को लेकर दृष्टिकोण रखा गया है.

विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 13 जिलों के 83 विधानसभा क्षेत्र में इस प्रोजेक्ट को चुनावी मुद्दा बनाया था. जाहिर है कि वसुंधरा राजे सरकार के दौरान इस परियोजना की परिकल्पना की गई थी. इस योजना पर 40 हज़ार करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है. योजना से लाभान्वित होने वाले जिलों में अलवर, दौसा, जयपुर, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर, बूंदी, कोटा, बारां , झालावाड़, भरतपुर, धौलपुर और करौली शामिल हैं.

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