जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय में गुरुवार को सहायक कर्मचारी से लेकर शिक्षक और अधिकारी भी सामूहिक अवकाश पर रहे. संभवतः यह राजस्थान विश्वविद्यालय के इतिहास में पहला मौका है. जब सभी संवर्ग के कर्मचारी और अधिकारी एकजुट होकर सामूहिक अवकाश पर रहे. इन कर्मचारियों और शिक्षकों ने कुलपति सचिवालय से राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्यद्वार से होते हुए गांधी सर्किल तक पैदल मार्च भी निकाला.
दरअसल, राजस्थान विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारी और शिक्षक पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की विसंगति दूर करने की मांग कर रहे हैं. इनका कहना है कि सरकार ने उनकी सुनवाई नहीं की तो आंदोलन तेज किया जाएगा. राजस्थान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष संजय कुमार का कहना है कि राजस्थान विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का फायदा देने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घोषणा की है. लेकिन अब इसका सशर्त लाभ दिए जाने की बात कही जा रही है.
उनका कहना है कि विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का फायदा लेने के लिए कंट्रीब्यूशन (अंशदान) देना होगा. इससे हर कर्मचारी पर दो से लेकर 35 लाख रुपए तक का अनावश्यक बोझ पड़ेगा. जबकि राज्य सरकार के कर्मचारियों को किसी प्रकार का कोई अंशदान नहीं देना है. ऐसे में ओपीएस के नाम पर सरकार विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. इस संबंध में कई दिनों से शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने का प्रयास किया गया. लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. इसे लेकर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में आंदोलन किया जा रहा है.
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वहीं, राजस्थान विश्वविद्यालय अशैक्षणिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष यशपाल सिंह चिराणा का कहना है कि ओपीएस की इस विसंगति को दूर करने की मांग को लेकर आज सभी संवर्ग के कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश पर रहकर विरोध दर्ज करवाया है और पैदल मार्च निकाला है. उनका कहना है कि वे पिछले कई दिनों से अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन सुनवाई नहीं हुई है. कई बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने का प्रयास किया, लेकिन अधिकारियों से ही वार्ता करवाई जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर गौर नहीं करती है, तो आगामी विधानसभा चुनाव में इसका असर दिखाई देगा.