जयपुर. प्रदेश में वीरांगनाओं को लेकर एक अलग ही तरह की बहस छिड़ी हुई है. एक ओर जहां सांसद किरोड़ी लाल मीणा के नेतृत्व में तीन वीरांगनाएं अपनी मांगों को लेकर धरना दे रही थीं, वहीं अब उन्हीं वीरांगनाओं के विरोध में अन्य वीरांगनाएं उतर आई हैं. इन सभी वीरांगनाओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर गैरवाजिब मांग को किसी दबाव में आकर पूरा नहीं करने की गुहार लगाई है. हालांकि राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि सीएम गहलोत ने वीरांगनाओं के काउंटर में वीरांगनाओं को खड़ाकर दिया है.
सीएम से मिली वीरांगनाएं: दरअसल प्रदेश में चल रहे वीरांगनाओं के आंदोलन के बीच कुछ अन्य वीरांगनाओं ने शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सीएम निवास पर मुलाकात की. मुलाकात के बाद वीरांगनाओं ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जो मांग पिछले कुछ दिनों से जयपुर में धरना दे रहीं वीरांगनाओं की ओर से उठाई जा रही है, वह मांग गैरवाजिब है. किसी भी वीरांगना के बच्चों का हक किसी और रिश्तेदार को नहीं दिया जा सकता. उन्होंने कहा कि न केवल राजस्थान में बल्कि देश की कोई भी वीरांगना यह कभी नहीं चाहेगी कि उसके बच्चे का हक किसी और रिश्तेदार को दिया जाए.
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अनुचित मांग वीरांगनाओं की छवि करने वाली: सीएमआर पहुंची शहीद हवलदार रमेश कुमार डागर की पत्नी वीरांगना कुसुम ने कहा कि देवर को नौकरी की मांग सही नहीं है. उन्होंने कहा कि शहीद के बच्चों की जगह परिवार के दूसरे लोगों को नौकरी की मांग के दुष्परिणाम दूसरी वीरांगनाओं को भी झेलने होते हैं. शहीद हवलदार श्याम सुन्दर जाट की पत्नी वीरांगना कृष्णा जाट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से नौकरी पाने का अधिकार केवल शहीद के बच्चों को है. वीरांगनाओं की ओर से देवर, जेठ या अन्य पारिवारिक सदस्यों को नौकरी दिलाने के लिए आंदोलन करना गलत है. शहीद लांस नायक मदन सिंह की पत्नी वीरांगना प्रियंका कंवर और शहीद हवलदार होशियार सिंह की पत्नी वीरांगना नमिता रामावत ने भी शहीद की वीरांगना एवं बच्चों के बदले किसी ओर को नौकरी दिलाने के लिए धरना प्रदर्शन को गलत माना है.
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शहीदों और वीरांगनाओं का सम्मान सर्वोच्च: उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से शहीदों की वीरांगनाओं और बच्चों ने मुलाकात के दौरान कहा कि राज्य सरकार के लिए शहीदों और वीरांगनाओं का सम्मान सर्वोच्च है. राज्य सरकार की ओर से शहीदों के आश्रितों को नियमानुसार राजकीय सेवाओं में नियोजित किया जाता रहा है. उन्होंने कहा कि शहीदों के आश्रितों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे.
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अशोक गहलोत ने कहा कि इससे पहले के कार्यकाल में शहीदों के लिए कारगिल पैकेज लागू हुआ था. इसके तहत शहीदों के परिवार को 25 लाख रुपए तथा 25 बीघा जमीन का प्रावधान है. साथ ही हाउसिंग बोर्ड से आवास और आवास नहीं लेने पर अतिरिक्त 25 लाख रुपए, वीरांगनाओं या उनके बच्चों के लिए नौकरी और गर्भवती वीरांगनाओं के बच्चों के लिए नौकरी सुरक्षित रखने का प्रावधान है. साथ ही, शहीद के माता-पिता के लिए भी 5 लाख रुपए की एफडी का प्रावधान है. साथ ही, शहीद की प्रतिमा लगाने और एक सार्वजनिक स्थल का नामकरण शहीद के नाम से करने का प्रावधान भी है.
शहीदों पर राजनीति नहीं हो: गहलोत ने फिर दोहराया कि शहीदों से जुड़े मामलों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि शहीद की वीरांगना और बच्चों के अलावा किसी को नौकरी देने का प्रावधान नहीं है. वहीं, वीरांगनाओं ने कहा कि राज्य सरकार की ओर नौकरी केवल शहीद की वीरांगना या बच्चों को ही दी जानी चाहिए.