जयपुर. राजधानी में शनिवार को महिलाओं का यज्ञोपवीत संस्कार हुआ. महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के अवसर पर जयपुर के राजस्थान कॉलेज ग्राउंड पर आर्य प्रतिनिधि राजस्थान की ओर से आर्य महासम्मेलन हुआ, जिसमें महिलाओं को यज्ञोपवीत प्रदान किया गया. इसके अलावा 200 कुंडों पर 1600 यजमानों ने एक साथ 1 लाख आहुतियां दीं. आयोजन में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत भी मौजूद रहे. उन्होंने समाज को सोशल मीडिया और टेलीविजन का सहारा लेकर आगे बढ़ाने की जरूरत बताई.
इस दौरान गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आर्य समाज को लेकर कहा कि जीने के दो तरीके हैं, या तो किसी को अपना बना लो, या आप किसी के बन जाओ. न किसी को बनाया और न किसी के बने तो फिर धक्के खाने के सिवाय कोई और रास्ता नहीं है. अब जमाना बदल रहा है.
प्रचार शैली को बदलने की अपील : उन्होंने कहा कि जो अपने नजदीक हैं, उनसे वो चर्चा करो जो जोड़ने का काम करती है. जब वो जुड़ जाएं फिर धीरे-धीरे इंजेक्शन लगाना शुरू करो, कड़वी दवाई पिलाओ, तो वो स्वीकार कर लेगा. उन्होंने कहा कि अंधेरे में किसी आदमी को नहीं छोड़ना चाहिए, सबको निकालना है, लेकिन अपना बनाकर निकालो. इस दौरान उन्होंने प्रचार शैली को बदलकर टेलीविजन, सोशल मीडिया का सहारा लेने की अपील की.
धार्मिक संस्कारों को बचाना है : वहीं, अमेरिका से आए डॉ. रमेश चंद्र गुप्ता ने कहा कि कोटा में छात्र आत्महत्या कर रहे हैं. इस पर रोक लगाने की जरूरत है. इसके लिए छात्रों से पूछा जाए कि वो क्या चाहते हैं. बचपन से ईश्वर में विश्वास करें, ईश्वर को मानें भी और जानें भी. संयम और नियम का पालन करें. बच्चों को योग और शिक्षा के माध्यम से जीना सीखाना चाहिए. उन्होंने अपील की कि हिंदू धर्म और रीति रिवाज को फॉलो करने वालों की आलोचना मत करो, क्योंकि हमें धार्मिक संस्कारों को बचाना है.
यज्ञोपवीत पर सबका समान हक : राजस्थान के आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान आर्य किशन लाल गहलोत ने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने मानवता के प्रति वेद का जो दर्शन दिया, वो मानवता के लिए कल्याण का कारण बना. आज जो भारतीय संस्कृति बची है, वो उन्हीं की देन है. भारत आज भी अपनी संस्कृति को बरकरार रखने में कामयाब हुआ है. इसको ध्यान में रखते हुए यज्ञोपवीत संस्कार किया गया. उन्होंने कहा कि पाखंडी लोग कहते हैं कि बालिकाओं और महिलाओं को यज्ञोपवीत का अधिकार नहीं है. वेद में स्पष्ट लिखा है कि यज्ञोपवीत का जितना अधिकतर पुरुष को है, उतना ही महिलाओं को है. आज 200 महिलाओं और बालिकाओं का सार्वजनिक यज्ञोपवीत संस्कार किया गया है, जो अनुकरणीय है. इस महासम्मेलन में आर्य समाज से जुड़े ऋषि मुनि, प्रचारक, प्रबुद्ध जन, राजस्थान और दूसरे प्रदेशों के समाज के लोग शामिल हुए. इसके साथ ही अमेरिका, मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, फिजी जैसे देशों से भी आर्य विद्वान और नेता वर्चुअल जुड़े.