जयपुर. जिले में अधिकारी अपना काम समय पर और सही तरीके से नहीं कर रहे हैं, ऐसा जयपुर जिला कलेक्ट्रेट आने वाले फरियादी साबित कर रहे हैं. बता दें कि कलेक्ट्रेट में लोग छोटे-छोटे कामों के लिए भी कलेक्टर के पास आ रहे हैं. यह लोग जन्म, मृत्यु प्रमाण पत्र, भामाशाह कार्ड, पेंशन आदि छोटे-छोटे काम लेकर कलेक्टर के पास आ रहे हैं और कलेक्टर उनके दस्तावेजों के नोट डाल कर संबंधित अधिकारियों को भिजवा देते हैं. लेकिन इन छोटे-छोटे कामों के चक्कर में जिला कलेक्टर का समय खराब होता है और वह महत्वपूर्ण कामों को समय नहीं दे पाते हैं. इसके अलावा ज्ञापन देने वालों की भी भीड़ कलेक्टर दफ्तर में लगी रहती है.
दो साल से चक्कर काट रही चाकसू की कमला
चाकसू की रहने वाली कमला अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए 2 साल से चक्कर काट रही है. 2017 में उनके पति की मौत हो गई. कमला ने बताया कि जयपुर वाले नगरपालिका भेजते हैं, नगरपालिका वाले तहसील भेजते हैं और इसी तरह से वह चक्कर काट रही है. उसने बताया कि आज मैं जिला कलेक्टर के पास मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने की गुहार लेकर आई हूं.
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अपने इलाज की गुहार लेकर पहुंचा घुमंतू जाति का हरजी नाथ
घुमंतू जाति का हरजीनाथ भी कई दिनों से जयपुर जिला कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रहा है. उसे अपने दिल का इलाज कराना है उसकी दिल की नसे ब्लॉक है, जिसके कारण डॉक्टरों ने उसे जल्द से जल्द इलाज कराने के लिए कहा है. लेकिन उसका भामाशाह कार्ड चालू नहीं हो पा रहा है. हरजी नाथ ने बताया कि वह चार बार भामाशाह कार्ड चालू कराने के लिए फॉर्म भर चुका है और चारों बार ही उसका फॉर्म निरस्त हो चुका है. कलेक्ट्रेट परिसर के कर्मचारी फॉर्म निरस्त होने का कारण भी नहीं बताते हैं. हरजीनाथ ने कहा कि वह घुमंतू जाति का है और इसके पास इस बात का प्रमाण भी है और भामाशाह चालू कराने के लिए घुमंतू जाति भी एक शर्त है. इसके कारण उसका भामाशाह कार्ड जल्द चालू हो जाना चाहिए, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते अब तक उसका भामाशाह कार्ड चालू नहीं हुआ. हरजीनाथ की एक नस सौ फीसदी और दूसरी 90 फीसदी ब्लॉक है. डॉक्टर ने कहा है कि इसलिए उसे जल्द से जल्द ऑपरेशन कराना चाहिए.
पेंशन के लिए भटक रही सत्यवती
अपने पिता की पेंशन पाने के लिए सत्यवती पाठक पिछले एक साल से पेंशन विभाग के चक्कर काट रही है, लेकिन पेंशन विभाग उसकी सुनवाई नहीं कर रहा है. अपने भाई के साथ आई सत्यवती ने बताया कि उसके पापा की मौत के बाद उसकी मां को पेंशन मिल रही थी लेकिन मां की मौत भी हो गई. उसके बाद वह पेंशन लेने के लिए पेंशन विभाग के चक्कर काट रही है. सत्यवती पाठक ने बताया कि वह शादीशुदा है लेकिन उसका तलाक हो चुका है और नियमानुसार उसकी मां की मौत के बाद उसे यह पेंशन दी जा सकती है. उसकी एक बड़ी बहन भी है, लेकिन उसने यह लिखकर दे दिया है कि मेरी बहन को पेंशन देने में मुझे किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं है लेकिन पेंशन विभाग का एक बाबू उसे बेवजह ही परेशान कर रहा है.
गुल्लाराम ने सब्सिडी के लिए लगाई गुहार
आमेर तहसील के रहने वाले गुल्लाराम ने बताया कि बैंक केसीसी पर सब्सिडी नहीं दे रही है, इसकी शिकायत लेकर वह कलेक्टर के पास पहुंचा है. उन्होंने कहा कि बैंक वालों ने पहले पहले 20 हजार रुपये बकाया बताए हैं और उसके कुछ दिनों बाद करीब डेढ़ लाख रुपए की मांग कर कहा कि बैंक ने सब्सिडी बंद कर दी है. गुल्लाराम के पास बैंक को देने के लिए इतने पैसे नही हैं.
कलेक्टर किसी भी समय उपलब्ध रहते हैं और सबकी सुनते हैं
कलेक्टर जगरूप सिंह यादव से इस बारे में बात करने पर उन्होंने बताया कि एक कारण तो यह हो सकता है कि यह बात प्रसिद्ध हो गई है कि कलेक्टर किसी भी समय उपलब्ध जाते हैं और उनको कोई भी समस्या बताई जा सकती है. कलेक्टर को बताने पर समस्या निवारण का तुरंत आश्वासन भी दिया जाता है. इसलिए अधिक फरियादी जिला कलेक्ट्रेट आ रहे हैं. इसके अलावा जागरूप सिंह यादव ने कहा यह प्रयास रहता है कि किसी भी फरियादी की स्थानीय स्तर पर सुनवाई हो और वहीं उसका हल निकाला जाए, लेकिन कई बार ऐसे नीतिगत मामले होते हैं जिसमें अधिकारी कह देता है कि आप इस मामले में जिला कलेक्टर से मिल लो तो इस वजह से भी फरियादी जिला कलेक्ट्रेट आ जाते हैं.
उन्होंने कहा कि ब्लॉक उपखंड स्तर पर अधिकारियों को पाबंद किया जाएगा कि स्थानीय स्तर की समस्या का हल वहीं स्थानीय स्तर पर निकाला जाए. स्थानीय स्तर पर उसका हल नहीं निकाला जाता है तो जिला स्तर के अधिकारियों को उनके ओर से मामला प्रेषित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मामला रेफर किया जाता है तो निश्चित चैनल के माध्यम से भेजा जाए.