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पर्यावरण दिवस पर विशेष: फार्म पॉन्ड ने बदली किसानों की तकदीर, जलस्तर गिरने से खेत हो गए थे बंजर... अब छाने लगी हरियाली

जयपुर के ग्रामीण इलाकों में किसान सिंचाई के लिए फार्म पॉन्ड का प्रयोग कर रहे हैं. इससे किसान अपनी फसल को जरूरत के समय पानी देकर अच्छी फसल उगा रहे हे हैं. सरकार की तरफ से फार्म पॉन्ड के लिए अनुदान भी दिया जा रहा (Subsidy on Kisan Farm Pond in Rajasthan) है. इससे किसान पर आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ता.

Kisan Farm Pond Scheme proving useful for Jaipur farmers
फार्म पॉन्ड ने बदली किसानों की तकदीर.. पानी का जलस्तर गिरने से खेत हो गए थे बंजर, अब छाने लगी हरियाली
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Published : Jun 5, 2022, 5:31 PM IST

जयपुर. ड्राई जोन हो रहे कृषि क्षेत्र के लिए फार्म पॉन्ड योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही (Kisan Farm Pond Scheme) है. जयपुर जिले के रेनवाल सहित क्षेत्र में पानी का जलस्तर गिरने से 70 से 90 प्रतिशत खेत बंजर हो चुके हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से किसानों के खेतों में फिर से हरियाली छाने लगी है.

झोटवाड़ा सहायक निदेशक कार्यालय के अंतर्गत 9 पंचायत समितियों में वर्ष 2021 में 1258 किसानों ने फार्म पॉन्ड बनाए हैं. जिसमें सांभर उपखंड में 210 शामिल हैं. बारिश के जमा पानी को सहेजकर किसान सब्जियां व खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. फार्म पॉन्ड से खेताें पर फैली हरियाली से क्षेत्र ग्रीन बेल्ट में कनवर्ट होने लगा है. किसान बारिश के जमा पानी से जहां सब्जियां व रबी की फसल तैयार करते हैं. वहीं खरीफ की फसल के बीच में बारिश नहीं होने पर पर सुख रही फसलों पर जीवन रक्षक सिंचाई कर बचा भी रहे हैं. फार्म पॉन्ड बनने से क्षेत्र में 15 से 20 प्रतिशत सिचिंत क्षेत्र बढ़ गया है. फार्म पॉन्ड से किसान ड्रिप सिस्टम या स्प्रीकंलर सिस्टम से सिंचाई करते हैं.

पढ़ें: 6 करोड़ लीटर बारिश का पानी संरक्षित कर बनाया अनोखी खेती का रिकॉर्ड

किसानों की जुबानी: मुंडली के किसान भगवान सिंह नाथावत का कहना है कि टयूबवेल में पानी सूख जाने से खेत बंजर हो गया था. तीन वर्ष पहले फार्म पॉन्ड बनाया था. अब पॉन्ड में जमा बारिश के पानी से खीरा, टींडा, ककड़ी, टमाटर, मिर्च, बैंगन आदि सब्जियां तैयार कर रहे हैं. फार्म पॉन्ड से आमदनी अच्छी हो जाती है. डयोढ़ा रामसिंहपुरा के किसान चौखाराम डोडवाडिया का कहना है कि खेत पर उद्यान विभाग की मदद से फार्म पॉन्ड बनाया था. जिससे वर्ष भर सब्जियां व खेती करते हैं. क्षेत्र में खारा पानी होने से टयूबवेल के पानी से फसल नहीं होती है. अब फार्म पॉन्ड में जमा बारिश का पानी वर्ष भर खेती के काम आता है.

पढ़ें: अजमेर: किसानों के लिए 'संजीवनी' बनी ऑर्गेनिक फार्मिंग, फार्म में बने उत्पादों से बढ़ा मुनाफा

90 हजार तक मिलता है अनुदान: फार्म पॉन्ड बनाने पर किसान को कृषि विभाग 90 हजार तक अनुदान देता है. फार्म पॉन्ड के लिए किसान के पास कम से कम एक एकड़ जमीन होनी चाहिए. फार्म पॉन्ड बनाने में करीब 2 से 2.50 लाख की लागत आती है. किसान को इसके लिए ऑनलाइन फाईल लगानी पड़ती (Online application for farm pond) है. उद्यान विभाग के अनुदान से फार्म पॉन्ड बनाने की लागत 10 लाख के करीब आती है तथा 5 लाख तक का अनुदान मिलता है. इसके लिए किसान के पास कम से कम 3 हैक्टर जमीन होनी चाहिए जिसमें तीन खातेदार आवश्यक हैं. कृषि विभाग के निर्धारित मापदंड के अनुसार 20X20X3 मीटर का फार्म पॉन्ड तैयार किया जाता है. इसमें 35 लाख लीटर पानी जमा होता है. उद्यान विभाग से स्वीकृत फार्म पॉन्ड 50X50X3 मीटर का होता है, जिसमें 1 करोड़ लीटर पानी जमा होता है.

जयपुर. ड्राई जोन हो रहे कृषि क्षेत्र के लिए फार्म पॉन्ड योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही (Kisan Farm Pond Scheme) है. जयपुर जिले के रेनवाल सहित क्षेत्र में पानी का जलस्तर गिरने से 70 से 90 प्रतिशत खेत बंजर हो चुके हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से किसानों के खेतों में फिर से हरियाली छाने लगी है.

झोटवाड़ा सहायक निदेशक कार्यालय के अंतर्गत 9 पंचायत समितियों में वर्ष 2021 में 1258 किसानों ने फार्म पॉन्ड बनाए हैं. जिसमें सांभर उपखंड में 210 शामिल हैं. बारिश के जमा पानी को सहेजकर किसान सब्जियां व खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. फार्म पॉन्ड से खेताें पर फैली हरियाली से क्षेत्र ग्रीन बेल्ट में कनवर्ट होने लगा है. किसान बारिश के जमा पानी से जहां सब्जियां व रबी की फसल तैयार करते हैं. वहीं खरीफ की फसल के बीच में बारिश नहीं होने पर पर सुख रही फसलों पर जीवन रक्षक सिंचाई कर बचा भी रहे हैं. फार्म पॉन्ड बनने से क्षेत्र में 15 से 20 प्रतिशत सिचिंत क्षेत्र बढ़ गया है. फार्म पॉन्ड से किसान ड्रिप सिस्टम या स्प्रीकंलर सिस्टम से सिंचाई करते हैं.

पढ़ें: 6 करोड़ लीटर बारिश का पानी संरक्षित कर बनाया अनोखी खेती का रिकॉर्ड

किसानों की जुबानी: मुंडली के किसान भगवान सिंह नाथावत का कहना है कि टयूबवेल में पानी सूख जाने से खेत बंजर हो गया था. तीन वर्ष पहले फार्म पॉन्ड बनाया था. अब पॉन्ड में जमा बारिश के पानी से खीरा, टींडा, ककड़ी, टमाटर, मिर्च, बैंगन आदि सब्जियां तैयार कर रहे हैं. फार्म पॉन्ड से आमदनी अच्छी हो जाती है. डयोढ़ा रामसिंहपुरा के किसान चौखाराम डोडवाडिया का कहना है कि खेत पर उद्यान विभाग की मदद से फार्म पॉन्ड बनाया था. जिससे वर्ष भर सब्जियां व खेती करते हैं. क्षेत्र में खारा पानी होने से टयूबवेल के पानी से फसल नहीं होती है. अब फार्म पॉन्ड में जमा बारिश का पानी वर्ष भर खेती के काम आता है.

पढ़ें: अजमेर: किसानों के लिए 'संजीवनी' बनी ऑर्गेनिक फार्मिंग, फार्म में बने उत्पादों से बढ़ा मुनाफा

90 हजार तक मिलता है अनुदान: फार्म पॉन्ड बनाने पर किसान को कृषि विभाग 90 हजार तक अनुदान देता है. फार्म पॉन्ड के लिए किसान के पास कम से कम एक एकड़ जमीन होनी चाहिए. फार्म पॉन्ड बनाने में करीब 2 से 2.50 लाख की लागत आती है. किसान को इसके लिए ऑनलाइन फाईल लगानी पड़ती (Online application for farm pond) है. उद्यान विभाग के अनुदान से फार्म पॉन्ड बनाने की लागत 10 लाख के करीब आती है तथा 5 लाख तक का अनुदान मिलता है. इसके लिए किसान के पास कम से कम 3 हैक्टर जमीन होनी चाहिए जिसमें तीन खातेदार आवश्यक हैं. कृषि विभाग के निर्धारित मापदंड के अनुसार 20X20X3 मीटर का फार्म पॉन्ड तैयार किया जाता है. इसमें 35 लाख लीटर पानी जमा होता है. उद्यान विभाग से स्वीकृत फार्म पॉन्ड 50X50X3 मीटर का होता है, जिसमें 1 करोड़ लीटर पानी जमा होता है.

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